Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – क्रिकेट की दीवानगी और युद्ध का जयघोष

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से - क्रिकेट की दीवानगी और युद्ध का जयघोष

-सुभाष मिश्र 

क्रिकेट, जिसे कभी ‘जेंटलमैन गेम कहा जाता था। आज भारत और पूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों (जैसे पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, वेस्टइंडीज और श्रीलंका) में एक धर्म की तरह पूजा जाता है। भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता इतनी गहरी है कि यह न केवल एक खेल, बल्कि संस्कृति, भावनाओं और अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। हाल ही में बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुई भगदड़ की त्रासदी, जिसमें 11 लोगों की जान गई और कई घायल हुए, ने क्रिकेट के प्रति दीवानगी के खतरनाक पहलुओं को उजागर किया है। मीडिया कवरेज क्रिकेट को ‘युद्ध या ‘धर्म की तरह प्रचारित किया जाता है। मानो ये कोई खेल ना होकर दोनों टीमों के बीच युद्ध का जयघोष हो।

भारत और पूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों वाले देशों में क्रिकेट की लोकप्रियता चरम पर है। यदि हम क्रिकेट की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को देखें तो क्रिकेट की शुरुआत इंग्लैंड में हुई और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान यह भारत, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और कैरेबियाई देशों में फैला। भारत में क्रिकेट 18वीं सदी में ब्रिटिश सैनिकों और व्यापारियों के बीच शुरू हुआ, लेकिन 20वीं सदी में यह राष्ट्रीय जुनून बन गया। 1983 में भारत की विश्व कप जीत और 2007 में टी20 विश्व कप की सफलता ने क्रिकेट को जन-जन का खेल बना दिया।

भारत में क्रिकेट को ‘धर्म की संज्ञा दी जाती है। यह न केवल खेल, बल्कि सामाजिक एकता, राष्ट्रीय गौरव और मनोरंजन का प्रतीक है। स्टार स्पोर्ट्स के अनुसार, 2023 क्रिकेट विश्व कप की कुल व्यूअरशिप 98 करोड़ थी जो महाकुंभ के 56 करोड़ दर्शकों से कहीं अधिक थी। यही हाल उन पूर्व के उपनिवेशों देशों का भी है। भारत-पाकिस्तान मैच दुनिया के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले खेल आयोजनों में से एक हैं।

यदि हम ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका की बात करें तो क्रिकेट यहां पेशेवर खेल के रूप में लोकप्रिय है, लेकिन भारत जैसी भावनात्मक दीवानगी कम देखी जाती है। टी20 और वनडे प्रारूपों ने इन देशों में क्रिकेट को फिर से लोकप्रिय बनाया है, लेकिन भारत की तरह व्यापक जुनून नहीं है। हाल के आंकड़े बताते हैं कि क्रिकेट की विश्व स्तर पर व्यूअरशिप बहुत बढ़ी है। 2023 क्रिकेट विश्व कप ने 980 मिलियन लोगों तक पहुंच बनाई, जिसमें भारत का योगदान 70 फीसदी से अधिक था। यदि बात भारत-पाकिस्तान मैच की करें तो 2023 विश्व कप के भारत-पाकिस्तान मैच को जियो हॉटस्टार पर 25.5 करोड़ लोगों ने लाइव देखा जो एक रिकॉर्ड है। कुल मिलाकर इस मैच की वैश्विक व्यूअरशिप 50 करोड़ से अधिक थी। 2023 आईपीएल फाइनल को जियो सिनेमा पर 32 करोड़ लोगों ने देखा और टीवी पर 12 करोड़ की अतिरिक्त व्यूअरशिप थी। 2025 के आईपीएल फाइनल की व्यूअरशिप के आँकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन एक्स पोस्ट्स के अनुसार, यह 70-75 करोड़ तक हो सकती है।

क्रिकेट की दीवानगी के कारणों की पड़ताल की जाए तो इसके आर्थिक और व्यावसायिक कारक ज़्यादा हैं। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) ने क्रिकेट को ग्लैमर, पैसे और पब्लिसिटी का पर्याय बना दिया। 2025 में आईपीएल की ब्रांड वैल्यू 10 बिलियन डॉलर से अधिक होने का अनुमान है। ड्रीम 11 जैसे फैंटेसी गेमिंग ऐप्स और बेटिंग प्लेटफॉम्र्स ने प्रशंसकों की भागीदारी को और बढ़ाया। क्रिकेट का प्रचार अन्य खेलों की तुलना में कहीं अधिक है। मीडिया और प्रचार के मामले में क्रिकेट का कोई सानी नहीं है। स्टार स्पोर्ट्स, जियो सिनेमा और सोशल मीडिया ने क्रिकेट को हर घर तक पहुंचाया। भारत-पाकिस्तान मैचों को ‘युद्धÓ की तरह प्रचारित किया जाता है, जिससे भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता है। क्रिकेट अब मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, बैंगलोर, हैदराबाद तक सीमित नहीं है। इसमें अब छोटे शहरों के सितारे भी चमक रहे हंै। सबसे ज़्यादा चमकीला सितारा झारखंड के रांची से महेन्द्र सिंह धोनी हैं, उसके बाद रिंकी सिंह, यशस्वी जायसवाल, रजत पाटीदार मध्यप्रदेश ध्रुव जुरेल (आगरा) और बिहार के मुकेश कुमार, वैभव सिंह, छत्तीसगढ़ के शाशंक सिंह जैसे छोटे शहरों के खिलाडिय़ों की रातों-रात प्रसिद्धि ने युवाओं को क्रिकेट की ओर आकर्षित किया। क्रिकेट की जीत को अब राष्ट्रीय और प्रादेशिक गौरव के साथ जोड़कर भी देखा जाने लगा है। भारत-पाकिस्तान मैच या विश्व कप जीत को राष्ट्रीय गौरव से जोड़ा जाता है। 2011 विश्व कप जीत के बाद देशभर में उत्सव इसका उदाहरण है। मनोरंजन के अभावों के चलते भारत में अन्य खेलों की तुलना में क्रिकेट का ढांचा और प्रचार बेहतर है, जिसके कारण यह मनोरंजन का प्रमुख साधन बन गया। क्रिकेट ने देश में एक सेलिब्रिटी संस्कृति विकसित की है। विराट कोहली, रोहित शर्मा, और एमएस धोनी जैसे खिलाड़ी युवाओं के लिए रोल मॉडल हैं, जो क्रिकेट को और आकर्षक बनाते हैं।

किसी जमाने में केवल पांच दिनों का टेस्ट मैच होता था फिर वन डे मैच आया, उसके बाद टी20 ने क्रिकेट को तेज और मनोरंजक बनाया, जबकि टेस्ट क्रिकेट पारंपरिक प्रशंसकों को आकर्षित करता है। आईपीएल और चैंपियंस ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंट्स ने हर आयु वर्ग को जोड़ा।

क्रिकेट की दीवानगी किस हद तक है यह हम चिन्नास्वामी स्टेडियम बैंगलोर में हुए हादसे से समझ सकते हैं। 4 जून 2025 को बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की कथित आईपीएल 2025 जीत के जश्न के दौरान भगदड़ मच गई। इस हादसे में 11 लोगों की मौत हुई और 50 से अधिक लोग घायल हुए। स्टेडियम की क्षमता 38,000 है, लेकिन अनुमानित भीड़ इससे कई गुना अधिक थी। यदि हम इसके कारणों का विश्लेषण करें तो सबसे बड़ी चूक भीड़ प्रबंधन की विफलता है। पुलिस और आयोजकों ने भीड़ को नियंत्रित करने में असफलता दिखाई। अब इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है, जहां बहुत सारी बातें और निकल कर सामने आयेंगी। कर्नाटक सरकार ने हाई कोर्ट को सूचित किया कि मामले की जांच आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) को सौंप दी गई है। घटना की सशक्त जांच सुनिश्चित करने के लिए सीआईडी के अंतर्गत एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाएगा। कर्नाटक पुलिस ने गुरुवार को भगदड़ मामले में रॉयल चैंलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी), डीएनए इवेंट मैनेजमेंट कंपनी और कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इन पर विक्ट्री परेड के दौरान आपराधिक लापरवाही का आरोप लगाया गया है। एफआईआर में कहा गया है कि भगदड़ की घटना अव्यवस्था और जिम्मेदार एजेंसियों की लापरवाही की वजह से हुई। आरसीबी की जीत का जश्न जो बेंगलुरु के लिए पहली आईपीएल ट्रॉफी थी, ने प्रशंसकों को उन्मादी बना दिया। यह एक तरह से ‘क्रिकेट के तमाशे का परिणाम ही था। मीडिया और कमेंटेटर्स ने क्रिकेट को ‘इमोशन का नशाÓ बना दिया, जिसने प्रशंसकों को स्टेडियम की ओर आकर्षित किया।

चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुए हादसे को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को भीड़ प्रबंधन में विफलता के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने दावा किया कि स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया। कांग्रेस ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना करार दिया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने हादसे में मरे लोगों के परिवार को दस-दस लाख रूपये देने की घोषणा की है।

हमारे देश में भीड़ प्रबंधन ठीक से नहीं होने और लोगों की जुनूनी, अनियंत्रित भीड़ के कारण चिन्नास्वामी हादसा भारत में भीड़ से जुड़ी त्रासदियों का नवीनतम उदाहरण है। इसी तरह की घटनाएं पहले भी हुई हैं।
2013, रतनगढ़ मंदिर, मध्य प्रदेश में नवरात्रि के दौरान भगदड़ में 115 लोग मारे गए। 2016, कुंभ मेला, हरिद्वार में भीड़ प्रबंधन की कमी से कई लोग घायल हुए। 2022, हथरस, उत्तर प्रदेश में एक बाबा के प्रवचन में भगदड़ से 121 लोग मारे गए। ये घटनाएं दर्शाती हैं कि क्रिकेट स्टेडियम, धार्मिक स्थल या मेलों में भीड़ प्रबंधन भारत में एक बड़ी चुनौती है।

यदि हम क्रिकेट की दीवानगी के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों की बात करें तो क्रिकेट ने लोगों को कुछ हद तक सकारात्मक प्रभाव रोजगार दिया है और अर्थव्यवस्था में भी योगदान दिया है। आईपीएल ने कोचिंग, स्टेडियम प्रबंधन, मीडिया, और विज्ञापन जैसे क्षेत्रों में लाखों नौकरियां पैदा कीं। 2023 में आईपीएल ने भारतीय अर्थव्यवस्था में 11,500 करोड़ रुपये का योगदान दिया। क्रिकेट विभिन्न धर्मों, जातियों और क्षेत्रों के लोगों को एकजुट करता है। भारत की विश्व कप जीत या आईपीएल फाइनल जैसे मौके राष्ट्रीय उत्सव बन जाते हैं।

अनिश्चितता वाले खेल ने सट्टेबाजी और अवैध गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया है। ड्रीम11 जैसे ऐप्स ने फैंटेसी गेमिंग को बढ़ावा दिया, लेकिन अवैध सट्टेबाजी भी बढ़ी। 2023 में, भारत में क्रिकेट सट्टेबाजी का बाजार 2 बिलियन डॉलर का अनुमानित था। क्रिकेट की लोकप्रियता के चलते टीवी, ओटीटी और सोशल मीडिया पर इसकी व्यूअरशिप बहुत ज़्यादा बढ़ी है।

भारत और पूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में क्रिकेट की लोकप्रियता एक सांस्कृतिक और आर्थिक घटना है जो लाखों लोगों को जोड़ती है। भारत-पाकिस्तान मैच और आईपीएल फाइनल की रिकॉर्ड व्यूअरशिप (50-75 करोड़) और आईपीएल की 10 बिलियन डॉलर की ब्रांड वैल्यू इसकी व्यापकता को दर्शाती है।

क्रिकेट की दीवानगी को संतुलित करने के लिए जिम्मेदार प्रचार, बेहतर सुरक्षा मानक और अन्य खेलों को बढ़ावा देना जरूरी है। सरकार, क्रिकेट बोर्ड और मीडिया को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि क्रिकेट एक खेल और मनोरंजन बना रहे, न कि उन्माद या त्रासदी का कारण।