CG News: छत्तीसगढ़ में मुरमुरा का संकट, सफरी धान की कमी से कीमतें आसमान पर…

राजकुमार मल/ भाटापारा- थोक में 47 से 48 रुपए लेकिन चिल्हर में 50 से 60 रुपए किलो। मुरमुरा में चल रही यह कीमत और बढ़ सकती है क्योंकि अपने प्रदेश में इसके लिए जरूरी धान सफरी की खेती खत्म हो चुकी है। इसलिए पड़ोसी राज्यों से इसकी खरीदी करनी पड़ रही है।

सीजन पूरे साल लेकिन शीत ऋतु में कुछ ज्यादा मांग मुरमुरा में निकलती है। चाट ठेले, मुरमुरा भेल। बड़ी मांग वाले क्षेत्र है मुरमुरा के। इस बार यह शीत ऋतु इनको महंगी पड़ सकती है क्योंकि मुरमुरा की कीमत बढ़ने की प्रबल आशंका व्यक्त की जा रही है। आशंका मात्र से ही ग्रामीण क्षेत्र की दुकानों ने मुरमुरा में प्रति किलो कीमत बढ़ा दी है।चिल्हर में बेहद गर्म

थोक में मुरमुरा में प्रति किलो कीमत 47 से 48 रुपए चल रही है लेकिन खुदरा दुकानें इसकी बिक्री 50 से 60 रुपए किलो पर कर रहीं हैं। विशेष बात यह है कि ग्रामीण क्षेत्र में कीमत जरूरत के हिसाब से तय की जा रही है। यह इसलिए क्योंकि इस क्षेत्र में मुरमुरा की मांग सामान्य दिनों की अपेक्षा दोगुनी निकली हुई है। यह स्थिति पूरे दिसंबर माह तक बने रहने की आशंका है।झटका इनको

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मुरमुरा भेल बनाने और बेचने वाले ठेले। सबसे बड़ी मांग क्षेत्र हैं मुरमुरा के। कुछ घंटे का यह कारोबारी क्षेत्र तेजी से सबसे पहले प्रभावित होगा। रोज की जरूरत के लिए रोज खरीदी करने वाले यह खरीददार अभी तो पूर्ववत स्तर पर चल रही कीमत में मुरमुरा की खरीदी कर रहे हैं लेकिन आशंका सही रही, तो इन्हें भी 2 से 5 रुपए प्रति किलो अतिरिक्त देने होंगे।इसलिए तेजी

मुरमुरा बनाने के लिए सफरी धान की जरूरत होती है, जिसकी खेती अपने छत्तीसगढ़ में बंद हो चुकी है। इसलिए उत्पादक राज्य बिहार से इसकी खरीदी की जा रही है। नई तकनीक के आने के बाद अब चावल से मुरमुरा बनाया जा रहा है लेकिन इसके लिए भी सफरी धान की जरूरत पड़ रही है। कीमत बढ़ने के बाद सफरी चावल की खरीदी, मुरमुरा उत्पादन करने वाली इकाइयों को प्रति क्विंटल 3300 से 3400 रुपए पर करनी पड़ रही है। अब इसमें भी बढ़त की आशंका व्यक्त की जा रही है।

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