दिलीप गुप्ता
सरायपाली। दिल्ली में सीसीआरटी (केंद्र सरकार द्वारा संचालित सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र) द्वारा शिक्षकों के लिए आयोजित पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ से अनिता चौधरी सहित 11 शिक्षकों ने भाग लिया। उन्होंने अपने राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन किया, जिससे अन्य राज्यों के शिक्षकों को छत्तीसगढ़ की अनूठी संस्कृति से परिचित होने का अवसर मिला।
छत्तीसगढ़ के शिक्षकों ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत राज्य गीत अरपा पैरी के धार से की, जो राज्य के सांस्कृतिक गौरव और जनजीवन की महत्ता को दर्शाता है। इसके बाद विभिन्न लोक नृत्यों की आकर्षक प्रस्तुतियाँ दी गईं, जिनमें छत्तीसगढ़ के पारंपरिक नृत्य और संगीत की झलक देखने को मिली। इस पाठ्यक्रम में अनिता चौधरी के साथ अन्य शिक्षकों में मितांजली महती, रामजी निषाद, राकेश निषाद, कंचनलता यादव, वंदना शर्मा, ताराचंद जायसवाल, प्रफुल्ल साहू, दुष्यंत सोनी और हरीश पांडे शामिल थे। अनिता चौधरी ने कहा, यह हमारे लिए एक अद्वितीय अवसर है कि हम भारत के विभिन्न राज्यों की संस्कृति को एक ही मंच पर देख और समझ सकें। यह न केवल हमारे ज्ञान को बढ़ाता है, बल्कि हमें अपने सांस्कृतिक मूल्यों को और भी गहराई से समझने में मदद करता है।
इस रिफ्रेशर पाठ्यक्रम में 16 राज्यों से कुल 127 शिक्षक भाग ले रहे हैं। छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधियों ने अपने राज्य की लोक कला और परंपराओं को मंच पर उकेरा। शिक्षकों ने सुआ नृत्य, पंथी नृत्य और राउत नाचा जैसे छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध लोक नृत्यों का प्रदर्शन किया, जो राज्य की सांस्कृतिक समृद्धि और पारंपरिक धरोहर को दिखाता है। सुआ नृत्य विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है, जो जीवन और प्रकृति के उत्सव का प्रतीक है। पंथी नृत्य छत्तीसगढ़ के सतनामी समाज का धार्मिक और सांस्कृतिक नृत्य है, जो आध्यात्मिकता और मानवता के प्रति समर्पण को प्रदर्शित करता है। राउट नाचा यादव समुदाय का प्रमुख नृत्य है, जो दीपावली के समय भगवान कृष्ण की भक्ति और उनकी जीवन गाथा का वर्णन करता है।
इस ताजग़ीकरण पाठ्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों को सांस्कृतिक जागरूकता और संवर्धन के प्रति प्रेरित करना है, ताकि वे अपने शिक्षण में भी सांस्कृतिक मूल्यों का समावेश कर सकें। छत्तीसगढ़ के इन शिक्षकों की प्रस्तुति ने न केवल राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को उजागर किया, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता को भी प्रकट किया। सीसीआरटी का यह प्रयास शिक्षकों को राष्ट्रीय और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति जागरूक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।