जीएसटी टैक्स स्लैब में छूट 22 सितंबर से लागू होने वाला है। देश के लिए इसे ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। जीएसटी अब केवल दो प्रमुख स्लैब 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत तक सीमित कर दिया गया है, जबकि कुछ विशेष श्रेणियों के लिए 40 प्रतिशत का विशेष स्लैब रखा गया है। इससे टैक्स व्यवस्था सरल होने के साथ ही उपभोक्ता और उद्योग जगत को राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। लेकिन एक सवाल महंगाई पर काबू का है और दूसरा घरेलू बचत का हैं। वहीं, विपक्ष का कहना है कि ट्रंप टैरिफ की वजह से त्रस्ञ्ज की दरों में कमी किया गया है। जिससे भारतीय अव्यवस्था को बूस्ट मिल सकें। इस संदर्भ में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ कर दिया है कि जीएसटी दरों में हम पिछले डेढ़ साल से काम कर रहे हैं। हालांकि, अब तक जीएसटी की जटिलता, स्लैब के हिसाब से वस्तुओं का दर कई तरह से उलझने पैदा करती थी। जिससे आम उपभोक्ता अक्सर कन्फ्यूजन में रहते थे। उदाहरण के लिए, पहले 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत तक टैक्स के अलग-अलग स्लैब थे। जिससे अक्सर व्यापारी और उपभोक्ता उलझन में रहते थे। अब खुले और पैक पॉपकॉर्न पर एक समान 5त्न टैक्स लागू होने से भ्रम दूर हुआ है। यही नहीं, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और आवश्यक सामानों पर टैक्स घटने से मध्यम वर्ग को राहत मिली है। जिससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि सरकार का ये फैसला त्योहारी सीजन में जबरदस्त उछाल लेकर आयेगा। इसके साथ ही, अक्सर रियल स्टेट से जुड़ी कम्पनियां सीमेंट पर अधिक जीएसटी टैक्स लगने का विरोध कर रही थी। अब सीमेंट पर कर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है, टैक्स में 10 प्रतिशत की छूट मिलने से निर्माण लागत कम होगी और मकान खरीदारों को भी राहत मिलेगी। इसी तरह लग्जरी कारों को विशेष स्लैब टैक्स में लाना सरकार का सराहनीय कदम है। इससे उच्च आय वर्ग को भी खरीद में राहत मिलेगी और प्रीमियम वाहन बाजार को गति मिलेगी। जहां उपभोक्ताओं और उद्योगों को राहत मिली है। खेल और मनोरंजन क्षेत्र पर बोझ बढ़ा है। आईपीएल टिकट पर जीएसटी 28 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है। अब 500 रुपए का टिकट लगभग 700 रुपए का पड़ेगा। यह बदलाव आम दर्शक के लिए खेल आयोजनों की पहुंच को महंगा बना देगा। इधर, मॉर्गन स्टैनली, एचएसबीसी और जेफरीज जैसी एजेंसियों के आंकलन करने वाली कम्पनियां इस सुधार को सकारात्मक मान रहे हैं।
मॉर्गन स्टैनली का मानना है कि जीएसटी सुधार महंगाई को नियंत्रित करेगा और जीडीपी में 0.5 से 0.7 प्रतिशत की वृद्धि संभव है। एचएसबीसी का आंकलन है कि खुदरा महंगाई लगभग 1 प्रतिशत प्वॉइंट तक घट सकती है। आरबीआई से उम्मीद है कि, चौथी तिमाही में रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती संभव हो सकती है।
हालांकि, सरकार को जीएसटी दर घटाने के कारण 93,000 करोड़ रु. का राजस्व घाटा होगा। नए 40 प्रतिशत स्लैब से 45,000 करोड़ रु. की भरपाई भी हो सकती है, लेकिन कुल घाटा 48,000 करोड़ रह जाएगा। यह जीडीपी का 0.13 प्रतिशत है, जिसे राजकोषीय अनुशासन के लिहाज से बड़ा खतरा नहीं माना जा सकता।
अमेरिकी ट्रम्प टैरिफ का असर वैश्विक व्यापार पर गहरा रहा है। ऐसे समय में जीएसटी सुधार से घरेलू मांग को बढ़ावा से भारतीय अर्थव्यवस्था को बाहरी झटकों से सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहा है। अगर उपभोक्ता खर्च बढ़ता है और उद्योग जगत को उत्पादन में प्रोत्साहन मिलता है तो यह भारत को वैश्विक व्यापार युद्धों से पैदा दबाव से निपटने में मदद करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन सुधारों को देश के लिए समर्थन और विकास की डबल खुराक बताया है। यह बयान केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि आर्थिक संकेत भी है। सरकार स्पष्ट संदेश दे रही है कि उसकी प्राथमिकता महंगाई घटाना और खपत आधारित वृद्धि को बढ़ावा देना है।
जीएसटी सुधार का तात्कालिक लाभ उपभोक्ताओं और उद्योग जगत को मिलेगा लेकिन इसके दीर्घकालिक असर पर नजर रखना आवश्यक होगा। महंगाई पर अंकुश, घरेलू बचत में वृद्धि और बाजार की रौनक तभी संभव है जब सरकार कर संग्रह के घाटे को नियंत्रित रख सके और सुधारों का फायदा वाकई उपभोक्ता तक पहुंच सके। मनोरंजन क्षेत्र पर अतिरिक्त बोझ का सवाल फिलहाल आलोचना का बिंदु बना रहेगा।
कुल मिलाकर यह सुधार भारत की कर प्रणाली को अधिक सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। महंगाई घटेगी या बचत बढ़ेगी, इसका वास्तविक आंकलन आने वाले महीनों में त्यौहारी सीजन की खपत और 2026 तक महंगाई दर के आंकड़े बताएंगे।
क्या जीएसटी से टैरिफ का मुक़ाबला हो पाएगा?

06
Sep