एमसीबी। जनकपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत बिछिया टोला में आचार संहिता के तहत आयोजित अति संवेदनशील पोलिंग के दौरान तहसीलदार करमचंद जाटवर ने अपनी अद्वितीय पहल से सभी का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने ग्रामीणों और सरंपच समर्थकों को बीच सड़क पर बैठाकर संवाद स्थापित किया, जो कि लोकतान्त्रिक प्रक्रिया को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। तहसीलदार ने खुद भी जमीन पर बैठकर ग्रामीणों को समझाया, जिससे उनकी समस्याओं को सुनने और समझने का अवसर मिला।
इस घटना के बारे में जानकारी देते हुए तहसीलदार करमचंद जाटवर ने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि सभी मतदाता अपनी आवाज उठा सकें और चुनाव प्रक्रिया में भागीदारी करें। बैठकर संवाद करने से मुझे ग्रामीणों के विचार और समस्याओं को बेहतर तरीके से समझने का मौका मिला।”
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ग्रामीणों ने तहसीलदार की इस पहल की प्रशंसा की। स्थानीय निवासी सुमित्रा देवी ने कहा, “यह पहली बार हुआ है जब कोई अधिकारी हमारी समस्याओं को गंभीरता से सुनने आया है। करमचंद जी ने हमें समझाया कि मतदान करना हमारी जिम्मेदारी है और इससे हम अपने अधिकारों का उपयोग कर सकते हैं।” वहीं, सरंपच के समर्थक रामेश्वर यादव ने कहा, “हम तहसीलदार के इस प्रयास को सराहते हैं। यह दिखाता है कि वे हमारे लिए क्या सोचते हैं।”
इस संदर्भ में, चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया, “अति संवेदनशील मतदान स्थलों पर प्रशासन का यह कदम बहुत प्रभावशाली है। इससे मतदाताओं में जागरूकता बढ़ती है और वे अपनी आवाज उठाने के लिए प्रेरित होते हैं।”
हालांकि, कुछ ग्रामीणों ने यह भी जताया कि उन्हें मतदान प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है। स्थानीय निवासी मीरा कुमारी ने कहा, “हमें वोट डालने के लिए प्रक्रियाओं का सही ज्ञान नहीं है। इसके लिए हमें और अधिक जागरूकता कार्यक्रमों की जरूरत है।”
समाज के विभिन्न वर्गों की इस प्रकार की प्रतिक्रियाएं यह दर्शाती हैं कि चुनावी प्रक्रिया में जनसहभागिता बढ़ाने के लिए अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। तहसीलदार करमचंद जाटवर का यह संवाद साधने का तरीका न केवल मतदान की प्रक्रिया को सरल बनाता है, बल्कि ग्रामीणों के बीच एकता और सामंजस्य भी स्थापित करता है।
निष्कर्ष में, यह कहा जा सकता है कि तहसीलदार करमचंद जाटवर की यह पहल बिछिया टोला के ग्रामीणों में लोकतांत्रिक जागरूकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। ऐसी भागीदारी से ना केवल मतदान के प्रति रुचि बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीणों और प्रशासन के बीच एक मजबूत संबंध भी स्थापित होगा। इसके साथ ही, यह सुनिश्चित करेगा कि आगामी चुनावों में सभी मतदाता अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें और अपनी आवाज को प्रभावी रूप से व्यक्त कर सकें।