तो क्या गौरवपथ के बाद सर्विस रोड व नाली निर्माण नही होगा ?

■कमीशन व तुष्टिकरण के चलते गौरवपथ का गौरव हो रहा समाप्त ■
■ कई ऐसे प्रश्न जो नगरपालिका की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल ■
दिलीप गुप्ता, सरायपाली :- नगर में काफी लंबे समय से बेहतर व सुरक्षित यातायात को देखते हुवे गौरव पथ निर्माण किये जाने की मांग की जाती रही है । कांग्रेस के शासन काल मे यह स्वीकृत भी हुआ व निर्माणकार्य प्रारम्भ भी किया गया । किंतु अब मिल रही जानकारी के अनुसार गौरवपथ के साथ ही दोनों किनारों पर सर्विस रोड व नाली निर्माण का कार्य होना था किंतु प्राक्कलन में लगातार बदलाव के कारण एक ओर गौरवपथ निर्माण में विलंब हो रहा है तो वही गौरवपथ निर्माण में लागत भी बढ़ रही है । इस बढ़ते लागत की वजह से मिली जानकारी के अनुसार ठेकेदार द्वारा आगे कार्य किये जाने से इनकार कर दिया गया है । इसके साथ ही बढ़ते खर्च को समायोजित करने के लिए बताया जा रहा है कि सर्विस रोड व नाली निर्माण का कार्य संभव नही है ।

ऐसा लगता है कि गौरवपथ निर्माण के पूर्व बगैर किसी जांच ,सलाह व योजना के हड़बड़ी व कमीशन के चक्कर मे आनन फानन में इसे स्वीकृत कर दिया गया जिसके चलते अब परेशानियों व नगरवासियो के विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है । बगैर किसी पूर्व योजना व सलाह मशविरा किये जाने के कारण जैसे जैसे गौरव पथ का निर्माण थाना चौक से जयस्तंभ चौक तक जा रहा है वैसे वैसे प्रतिदिन विवाद की स्थिति निर्मित होती जा रही है । पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष द्वारा जबसे पूर्व निर्धारित प्राक्कलन में संशोधन कर गौरव पथ का निर्माण किया जा रहा है तब से मामला और गंभीर रूप लेते जा रहा है । अपने निजी स्वार्थ , कमीशन व तुष्टिकरण के चलते प्राक्कलन में भारी परिवर्तन कर दिए जाने से निर्माण कार्य मे बेवजह विलम्ब , लागत बढ़ने से आर्थिक नुकसान व व्यापारियों व राहगीरों को भारी परेशानियों का सामना प्रतिदिन करना पड़ रहा है । इसी वजह से व्यवसाय भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है ।

इस गौरवपथ निर्माण में प्रारंभ से लेकर अब तक कुछ ऐसे निर्णय हैं जो जांच के दायरे में तो आते हैं साथ ही नगराध्यक्ष व नगरपालिका के कार्यशैलियो व प्रशासनिक क्षमता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं । पूर्व प्राक्कलन में कोई भी सुधार के लिए उच्चाधिकारियों से प्रशासकीय स्वीकृति आवश्यक है । क्या नगरपालिका द्वारा यह प्रक्रिया अपनाई गई ?

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निर्माणाधीन गौरवपथ में डिवाइडर की ऊंचाई पूर्व में 5 फिट थी उसकी ऊँचाई कम कर अब उसमें लोहे का ग्रिल लगाए जाने ठेकेदार को निर्देशित किया गया है । इस व्यवस्था में अतिरिक्त लागत व खर्च का वहन कौन करेगा ? प्राक्कलन में कही भी डिवाइडरों में ग्रिल लगाने का प्रावधान नही है ।प्राक्कलन में कहीं भी क्रासिंग छोड़े जाने का भी उल्लेख नही है फिर नपाध्यक्ष के कहने पर 6.5 किलोमीटर लंबे इस गौरव पथ में 40 से 50 की संख्या में बेवजह खतरनाक ढंग से क्रासिंग क्यों छोड़ा गया । गौरवपथ में बने डिवाइडर नियमतः एक सीध में होना चाहिए किंतु कहीं भी डिवाइडर एक सीध में क्यों नही है । सभी डिवाइडर सांप की तरह दिखाई देते हैं ।
गौरवपथ में सर्विस रोड व नाली बनाये जाने का प्रावधान है । उसका काम अभी तक क्यों नही चालू किया गया । गौरवपथ निर्माण का कार्यकाल अप्रैल तक ही है अप्रैल। माह तक कार्य पूरा हो जाना चाहिए था किंतु नगरपालिका की उदाशीनता व लापरवाही के चलते पाइप लाइन , पेड़ , बिजली खम्बो , व्यापारियों द्वारा अतिक्रमण को हटाने में विलंब के कारण तेज गति से निर्माण कार्य नही हो पा रहा है । नगर में गौरवपथ निर्माण के दौरान आने वाले , वृक्षो , खम्बो व अतिक्रमण को हटाने एसडीएम द्वारा कई बार नगरपालिका को निर्देशित किया गया है किन्तु इसके बावजूद आज तक इन्हें हटाने की कार्यवाही नही की गई ।
डिवाइडर की निर्धारित ऊंचाई को कम करने , जगह जगह क्रासिंग छोड़ने , टेढ़े – मेढे डिवाइडरों का निर्माण , सड़क चौड़ीकरण में अनियमितताओं , बिजली खम्बो के गाढ़ने में लापरवाही के साथ ही अनेक ऐसे मुद्दे हैं जहां नगरपालिका की लापरवाही व कार्यशैली शंकाओं के दायरे में हैं । इन महत्वपूर्ण योजना के निर्माण के दौरान कभी भी नगरपालिका के जिम्मेदार अधिकारियों को कभी भी निरीक्षण करते नही देखा गया । अब आरोप लगाया जा रहा है कि ठेकेदार को कोई लिखित निर्देश डिवाइडर की ऊंचाई कम करने , क्रासिंग ( कट ) छोड़ने का नही दिया गया है । सवाल यह है कि जब ठेकेदार को निर्देश नही दिया गया था तो 40 से 50 की संख्या में बन चुके क्रासिंग को बनने से क्यों नही रोका गया ? , डिवाइडर की ऊंचाई जब बनाई जा रही थी तब उसे क्यों नही रोक गया नगरपालिका द्वारा । जब ठेकेदार द्वारा मनमानी पूर्वक कार्य किया जा रहा था तो उसे नोटिस क्यों नही दिया गया और अभी तक कितनी नोटिस दी गई ।

नगरपालिका के कार्यशैली व लापरवाही का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि अभी तक गौरवपथ निर्माण के दौरान 2 सीएमओ व 4 उपयंत्री को बदल दिया गया । आखिर क्यों ? यहां तक पूर्व में उच्च विभाग द्वारा तत्कालीन सीएमओ व उप अभियंता को निलंबित भी किया गया है । सबसे आश्चर्यजनक जनक बात यह है कि नगरपालिका में विभागीय उप अभियंता की नियुक्ति न कर पीडब्ल्यूडी विभाग के उपअभियंता की नियुक्ति की गई है ।

इस प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण विषय यह है कि नगरपालिका अध्यक्ष द्वारा अपने लोगो को फायदा पहुंचाने , कमीशनखोरी व तुष्टीकरण के चलते डिवाइडर की ऊंचाई कम कराई गई , जुसमे ग्रिल लगाने का प्रावधान किया गया , जबरदस्ती खतरनाक ढंग से जगह जगह अनवश्यकरूप से क्रासिंग ( कट ) छोड़ा गया । अब इन खर्चो को बचाने व एडजस्ट करने के लिए ठेकेदार पर दबाव बनाया जा रहा है । ठेकेदार द्वारा अब इन अतिरिक्त खर्चो की मांग की जा रही है जो कि संभव नही है इसलिए गौरवपथ के साथ बनने वाले सर्विस रोड व नाली निर्माण को रोककर या बन्द कर अतिरिक्त खर्च को इससे वसूली किये जाने की प्रबल संभावना बढ़ गई है । यदि ऐसा प्रयास किया गया तो नगरवासियो को अब सर्विस रोड व अतिरिक्त नाली का फायदा नही मिल सकेगा ।
गौरवपथ का निर्माण नगरपालिका के लिए एक बेहतर आय का जरिया बन गया दिखता है ।
कुछ संघटनो ने बताया कि सर्विस रोड व अतिरिक्त नाली का निर्माण जो कि प्राक्कलन में शामिल है यदि इसका निर्माण नही किया गया तो न्यायालय में नगरपालिका के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की जायेगी ।

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