धमतरी में हाल ही में हुई तीन युवकों की हत्या ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। यह सिर्फ एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि समाज में पनप रही नशाखोरी, बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति और युवाओं की दिशा-हीनता का गंभीर संकेत है। घटना की प्रारंभिक जांच में पता चला कि मामूली विवाद शराब के नशे में चाकूबाजी तक पहुँच गया, जिससे तीन निर्दोष युवाओं की जान चली गई।
हिंसा के पीछे छिपे कारण में एक है धैर्य और सहिष्णुता की कमी। यह घटना दर्शाती है कि आज के कई युवा छोटी-सी तकरार को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के बजाय सीधे हिंसा का सहारा लेने लगे हैं। मनोवैज्ञानिक शोध बताते हैं कि लगातार गुस्से में प्रतिक्रिया देने की प्रवृत्ति, भावनात्मक नियंत्रण की कमी और सामाजिक दबाव हिंसक व्यवहार को बढ़ावा देते हैं।
इशके अलावा नशाखोरी का बढ़ता दायरा भी एक प्रमुख कारण है। छत्तीसगढ़ में आबकारी विभाग के 2024 के आँकड़ों के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में शराब की खपत में लगभग 18फीसदी की वृद्धि हुई है। युवाओं में यह लत सिर्फ स्वास्थ्य ही नहीं, निर्णय लेने की क्षमता और आत्म-नियंत्रण को भी कमजोर करती है। पारिवारिक व सामाजिक उपेक्षा भी एक प्रमुख कारण है। जब परिवार और समुदाय युवा पीढ़ी से संवाद और मार्गदर्शन का रिश्ता खो देते हैं, तब वे गलत संगत, नशा और हिंसा के जाल में फँस सकते हैं।
धमतरी की यह घटना अकेली नहीं है। पिछले कुछ महीनों में यहाँ कई गंभीर वारदातें हुई हैं। बुजुर्ग महिला को तेज रफ्तार वाहन से कुचलने की घटना। एक ज्वेलरी दुकान में फायरिंग, जिसमें कारोबारी बाल-बाल बचा। बेमेतरा और रायपुर में शराब के नशे में चाकूबाजी व मारपीट की कई घटनाएँ। प्रदेश के पुलिस विभाग के अनुसार, 2023-24 में हिंसक अपराधों में 11फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई, जिसमें बड़ी संख्या शराब या नशीले पदार्थ के सेवन के बाद हुई घटनाओं की है।
इस मामले में पुलिस की भूमिका और चुनौतियाँ भी सामले आई है। धमतरी घटना में पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें वयस्क और नाबालिग दोनों शामिल हैं। यह सक्रियता कानून-व्यवस्था की मजबूती का संकेत है, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि पुलिस सिर्फ लक्षणों से लड़ रही है, जबकि बीमारी समाज में गहराई तक बैठ चुकी है।
इस मामले को मनोवैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो इस तरह की घटनाओं के पीछे तीन मुख्य कारण उभरते हैं। इंस्टेंट ग्रैटिफिकेशन कल्चर- युवाओं में त्वरित संतुष्टि की चाह बढऩे से धैर्य और सहनशीलता कम हो रही है। नशे में न्यूरोलॉजिकल बदलाव- शराब या ड्रग्स मस्तिष्क के निर्णय-क्षमता केंद्र को कमजोर कर हिंसा की संभावना बढ़ा देते हैं। असुरक्षा और पहचान संकट- कई युवा अपनी पहचान और अहमियत साबित करने के लिए ‘माचोÓ या डरावनी छवि बनाने की कोशिश करते हैं, जो हिंसक टकराव में बदल जाती है।
इस प्रकार की हिंसक मांलो को रोकने के लिए परिवार स्तर पर: माता-पिता को बच्चों के साथ संवाद, निगरानी और भावनात्मक जुड़ाव बनाए रखना होगा। शिक्षा स्तर पर: स्कूल-कॉलेजों में नशा-रोधी और गुस्सा-नियंत्रण (एंगर मैनेजमेंट) कार्यक्रम जरूरी हैं। समाज स्तर पर: मोहल्ला समितियों, युवा क्लबों और धार्मिक-सांस्कृतिक संगठनों को नशाखोरी और हिंसा-रोधी अभियान चलाना चाहिए। नीतिगत स्तर पर: शराब की बिक्री पर सख्त नियंत्रण, विशेषकर नाबालिगों को रोकने के लिए कड़े कानून लागू करने होंगे।
धमतरी की घटना सिर्फ एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि अगर अभी ठोस कदम नहीं उठाए गए तो हिंसा और नशाखोरी का यह जहर आने वाली पीढिय़ों को निगल सकता है। समाज, परिवार, शिक्षा प्रणाली और शासन सभी को मिलकर इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना होगा।
छत्तीसगढ़ में बढ़ती हिंसा और नशाखोरी: युवाओं का बिगड़ता मनोविज्ञान और समाज की जिम्मेदारी

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Aug