राजकुमार मल, भाटापारा- समर्थन अखरोट और किशमिश का। सहयोग मिल रहा है मौसम का। ऐसे में बादाम भड़का हुआ है। यह स्थिति दीर्घ अवधि तक बने रहने की प्रबल संभावना है क्योंकि लोकल फसल नहीं के बराबर है, तो आयातित बादाम उत्पादक क्षेत्र में ही ऊंचे दाम पर खरीदा जा रहा है।
हैरत में है, सूखे मेवे का उपभोक्ता कीमत सुनकर। आशंका और तेजी की ही है इसलिए मात्रा में कमी की जाकर खरीदे जा रहे हैं बादाम, अखरोट और किशमिश। रिकॉर्ड गर्मी के बावजूद मांग में यह तीनों मेंवे इसलिए मांग में बने हुए हैं क्योंकि मौसम का तकाजा है। सामान्य होने के बाद शादी-ब्याह की तारीखें भी आएंगी। इसलिए अग्रिम सौदे की खबरें आ रही है।
भड़का बादाम
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घरेलू फसल नहीं के बराबर। ऑस्ट्रेलिया और अमेरिकन बादाम की कीमत इसलिए तेज है क्योंकि सूखे मेवे के आयात पर लगने वाले शुल्क में वृद्धि हो चुकी है। रही- सही कसर दोनों देश में बादाम की कमजोर फसल पूरी कर रही है जबकि मांग का स्तर बराबर बना हुआ है। इसलिए 620 से 920 रुपए प्रति किलो पर मिलने वाला बादाम अब 680 से 980 रुपए किलो पर पहुंचा हुआ है।
गर्म अखरोट और किशमिश
अखरोट और किशमिश भी तेजी की राह पर चल पड़े हैं क्योंकि घरेलू फसल बेहद कमजोर बताई जा रही है। सप्लाई लाइन कमजोर होता देखकर कीमत में जो तेजी का दौर चल रहा है, उसके बाद अखरोट खड़ा 50 रुपए तेज होकर 600 से 800 रुपए किलो की ऊंचाई पर पहुंच गया है। अखरोट गिरी में नई कीमत 1000 से 1400 रुपए किलो बोली जा रही है। पीछे किशमिश भी नहीं है। 30 रुपए की तेजी के बाद यह पहली बार 200 से 400 रुपए किलो पर पहुंच चुका है।
आशंका और तेजी की
कमजोर फसल, मौसम का साथ और मांग का प्रवाह जैसा बना हुआ है। उसे देखते हुए इन तीनों सूखे मेवे में आगे भी गर्मी बने रहने की आशंका है क्योंकि आने वाले महिने से शादी-ब्याह की तारीखें शुरू होने वालीं हैं। ऐसे मांग में लगभग 30 से 40% बढ़ोतरी की संभावना है। यानी सूखे मेवों की इन तीनों किस्म में तेजी दीर्घ अधिक तक बने रहने की धारणा है।