भुवनेश्वर प्रसाद साहू
कसडोल / सोनाखान समाचार
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गर्मी की वजह से स्कूल और अन्य संस्थानों को बंद करना आम हो गया है। कई राज्यों में गर्मी की लहरों (heatwaves) के कारण स्कूलों की गर्मी की छुट्टियाँ बढ़ा दी गई थीं। यह जलवायु परिवर्तन का असर है, जिसके कारण हर साल स्कूल दस प्रतिशत दिन बंद रहते हैं।
भारत में मार्च से जून तक, और कभी-कभी जुलाई तक, गर्मी की लहरें चलती हैं। मई में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है। ऐसे में, यह सवाल उठना लाजमी है कि अगर स्कूल बंद हैं, तो आंगनबाड़ी केंद्र क्यों खुले हैं, क्योंकि छोटे बच्चे गर्मी से ज्यादा प्रभावित होते हैं।
अगर स्कूल बंद कर दिए गए हैं, तो आंगनबाड़ी केंद्रों को भी बंद करना चाहिए, क्योंकि आंगनवाड़ी केंद्रों में 6 महीने से 6 साल तक के बच्चे आते हैं, और गर्मी की लहरें उनके लिए खतरनाक हो सकती हैं।
गर्मी की वजह से मौतें और बीमारियाँ तुरंत (उसी दिन) या कुछ दिनों बाद हो सकती हैं, खासकर कमजोर बच्चों में।
पहले भी ऐसे कदम उठाए गए हैं: 2024 में छत्तीसगढ़ सरकार ने ऐसा ही किया था , तो यह माँग जायज़ है कि 2025 में भी ऐसा होना चाहिए, खासकर जब गर्मी इतनी ज्यादा है कि स्कूल बंद करने पड़े।
जलवायु परिवर्तन की वजह से बारिश, गर्मी, और बाढ़ की घटनाएँ बढ़ रही हैं, जिससे स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों की कनेक्टिविटी भी प्रभावित होती है।
सरकार को चाहिए कि तुरंत कदम उठाए: अगर स्कूल बंद हैं तो आंगनबाड़ी केंद्रों को भी बंद करना चाहिए और बच्चों को घर पर ही पोषण सामग्री पहुँचानी चाहिए, जैसा कि छत्तीसगढ़ में 2024 में किया गया था।
जागरूकता बढ़ाएँ: सरकार और स्थानीय प्रशासन को गर्मी से बचने के उपाय (जैसे पानी पीना, धूप से बचना) के बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए।
भीषण गर्मी को देखते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों को भी बंद करना चाहिए, क्योंकि बच्चों की सुरक्षा सबसे पहले होनी चाहिए। छत्तीसगढ़ सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।