हमारे प्रधानमंत्री व्हाया जापान, चीन पहुंच गये हंै और चीन में हो रही समिट में बहुत से दोस्त-दुश्मन-दोस्त बनकर आपस में मिलकर मौजूदा हालात पर बातचीत कर रहे हैं। कूटनीति की दृष्टि से बहुत से नये संबंध बन रहे हैं। हाथी और ड्रैगन अपने आपसी हितों और अमेरिका की दादागिरी से निपटने साथ आ सकते हैं।
हम थे वो वो थी और समां रंगीन समझ गये ना, जाना था जापान पहुंच गये चीन समझ गये न….। किशोर कुमार का गाया फिल्म चलती का नाम गाड़ी का यह गीत….अपने समय में बहुत लोकप्रिय हुआ। जिसे लोगों ने अपने-अपने ढंग से इसके मायने निकाले। हमारे सिनेमा के गाने हमारे संबंधों की ओर भी इशारा करते हैं।
ले गई दिल गुडिय़ा जापान की, वही आवारा फिल्म का गाना…..मेरा जूता है जापानी, सर पर लाल टोपी रूसी फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी। देखो-देखो देखो, पेरिस की एक रंगीन शाम। हमारे गाने चीन, जापान, रूस, पेरिस, लंदन पर तो है, अमेरिका पर नहीं है। हमारे संबंध चीन से बहुत बढिय़ा नहीं है। कभी हम हिन्दी-चीनी भाई-भाई का नारा लगते थे लेकिन बाद में सीमा विवाद, आपसी मतभेद और प्रतिस्पर्धा के चलते दोनों देशों के बीच टकराव की स्थिति बनी। तिब्बत, दलाईलामा आदि को लेकर विवाद बने हुए हैं।
अभी हाल में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन, पाकिस्तान के साथ मजूबती से खड़ा दिखाई दिया। रूस के साथ हमारे रिश्तें काफी प्रगाढ़ रहे हैं।
भिलाई स्टील प्लॉंट सहित ऐसी बातें हैं जो हमें सोवियत रूस के निकट लाती रही है। सोवियत रूस के विघटन और अमेरिका से हारे कथित लगाव की वजह से रूस से हमारे संबंधों में पहली जैसी गर्माहट नहीं रही।
जापान से हमारे संबंध यथावत बने रहे किन्तु अब जबसे हमारा फ्रेंड डोनाल्ड ट्रम्प जिनके दूसरे बार अमेरिका का राष्ट्रपति बनने पर हमारे देश में जश्न मना, उनका जन्मदिन मनाया गया। साधु-संतों ने भी ट्रम्प बाबा की जयजयकार करके उन्हें इसी सदी का महामानव करार दिया। यहीं से ट्रम्प के मन में शांति के नोबेल पुरस्कार की लालसा जागी होगी। जिसे समय रहते पाकिस्तान ने लपक लिया।
नमस्ते ट्रम्प जैसा आयोजन हुआ, जिन्हें जीताने हमारे प्रधानमंत्री को अमेरिका में जाकर अबकी बार ट्रम्प सरकार जैसे नारे लगाने पड़े, वो ट्रम्प टेरिफ के मामले में हमें धमका रहा है।
कहा जाता है कि जब बाढ़ आती है तो सांप, बिच्छु सभी जीव जंतु एक साथ आ जाते हैं। यही हाल इस समय ट्रम्प के टेरिफ को लेकर एक साथ है। चीन में होने वाले एससीओ सम्मेलन में झांके तो हमारी चीन के साथ मुस्कुराते और विश्वासघात की तस्वीरें साफ दिखाई देती है। चीन हमारा पड़ोसी राष्ट्र है, दो ही देश दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश है। दोनों की अर्थव्यवस्था, प्रतिस्पर्धा एक सी है। हमारी यह प्रतिस्पर्धा आपसी मतभेद में न बदले, प्रधानमंत्री की इस विदेश यात्रा का यह भी एक मकसद है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान और चीन की हालिया यात्राएँ, चीन और रूस के साथ बढ़ती दोस्ती, अमेरिका के टैरिफ़ तनाव और शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान की उपस्थिति इन सभी घटनाओं ने वैश्विक कूटनीति में महत्वपूर्ण बदलावों को जन्म दिया है।
अगस्त 2025 में, चीन के विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने सीमा विवाद पर बातचीत बढ़ाने, सीधी उड़ानें शुरू करने और पर्यटन वीजा जारी करने पर सहमति व्यक्त की। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा कि हम मानते हैं कि भारत-चीन संबंध न केवल हमारे लोगों के लिए बल्कि शांति, स्थिरता और विकास के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
मोदी जी ने चीनी राष्ट्रपति को भारत आने का न्योता दिया। जिनपिंग बोले-ड्रैगन और हाथी एक हों। सात साल बाद चीन पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। इस बातचीच में मोदी जी ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया। मोदी ने आतंकवाद को वैश्विक मुद्दा बताया और इसके खिलाफ लड़ाई में साथ देने की मांग की। मोदी ने ये भी कहा कि भारत और चीन के बीच सहयोग से 2.8 अरब लोगों को फायदा होगा और यह पूरी मानवता के कल्याण का रास्ता खोलेगा। इसके साथ ही उन्होंने जिनपिंग को भारत में आयोजित ब्रिक्स 2026 में आने के लिए न्योता दिया। वहीं, मीटिंग में जिनपिंग ने कहा कि पीएम मोदी से मिलकर खुशी हुई। ड्रैगन (चीन) और हाथी (भारत) को साथ आना चाहिए। चीन के तियानजिन शहर में हो रहे शंघाई सहयोग संगठन समिट में 20 से ज्यादा देश शामिल हो रहे हैं। मोदी और पुतिन के साथ-साथ सेंट्रल एशिया, मिडिल ईस्ट, साउथ एशिया और साउथ-ईस्ट एशिया के नेता भी इस समिट में हैं। इस दौरान जिनपिंग ने कहा कि भारत और चीन के लिए दोस्त बनना ही सही विकल्प है, दोनों देशों को सीमा विवाद को आपसी रिश्तों की पहचान नहीं बनने देना चाहिए। अमेरिका और भारत के रिश्तों में खटास आई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। 1 सितंबर को पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की भी द्विपक्षीय वार्ता हो सकती है।
भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद के लिए समझौता किया। जिससे अमेरिका के साथ संबंधों में तनाव बढ़ा। रूस ने भारत के समर्थन में कहा कि वह भारत को तेल सप्लाई करता रहेगा और इसलिए उसके पास एक बहुत, बहुत खास तरीका है। अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ़ लगा दिया, जिसमें रूसी कच्चा तेल खरीदने के लिए 25 प्रतिशत जुर्माना भी शामिल था। भारत ने इसे अन्यायपूर्ण करार दिया और रूस के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
इस मुलाकात में भारत, चीन, रूस और पाकिस्तान के बढ़ते सहयोग से क्षेत्रीय और वैश्विक कूटनीति में नए समीकरण उभर सकते हैं। भारत और चीन के बीच बढ़ते संवाद से सीमा विवादों के समाधान की संभावना बढ़ी है, जबकि रूस और पाकिस्तान के साथ बढ़ते संबंध क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को प्रभावित कर सकते हैं।
चीन, रूस, जापान भारत, पाकिस्तान और बाक़ी देशों के बीच बनते बिगड़ते समीकरणों , रिश्तों को देखते हुए प्रसंगवश ये शेर याद आता है-
हर चीज़ यहां की मरकज़ में, एक रोज़ यहां एक रोज़ वहां
नफऱत से ना देखो दुश्मन को, शायद वो मोहब्बत कर बैठे।