-सुभाष मिश्र
2025 की कांवड़ यात्रा से पहले ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों द्वारा जारी दिशानिर्देशों ने विवाद खड़ा कर दिया। यूपी सरकार ने यात्रा मार्ग पर दुकानों पर नेमप्लेट (नाम प्रदर्शन) और क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य किया, जिसे पारदर्शिता और सुरक्षा का नाम दिया गया, लेकिन विपक्ष ने इसे मुस्लिम दुकानदारों को निशाना बनाने का तरीका बताया। सुप्रीम कोर्ट ने 15 जुलाई 2025 को यूपी और उत्तराखंड सरकारों को नोटिस जारी कर कहा कि यह नीति संवैधानिक स्वतंत्रता का उल्लंघन कर सकती है।
कांवड यात्रा को देखते हुए ग़ाजिय़ाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर में 16 जुलाई से 25 जुलाई तक स्कूल बंद रहेंगे। दिल्ली में ट्रेफि़क डायर्वट किया गया। इसी तरह अलग-अलग शहरों में भी निकलने वाले जुलूसों, रैलियों और जलसों के दौरान भी ट्रेफि़क डायवर्ट किया जाता है। धार्मिक आयोजनों, त्योहारों में उपद्रव की आशंका को देखते हुए शांति समिति की बैठक बुलाकर बहुत से ऐतिहातन कदम उठाता है।
समाजवादी पार्टी (एसपी) सांसद राजीव राय ने कांवड़ यात्रा को ‘बेरोजगारों का आयोजन बताकर विवाद बढ़ाया, जिस पर भाजपा और संत समाज ने मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाया। मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर ‘एक देश दो कानून का आरोप लगाया, जहां कांवड़ यात्रा के दौरान सड़क जाम की अनुमति है लेकिन नमाज पर कार्रवाई होती है। भाजपा समर्थक स्रोतों में इसे हिंदू आस्था की रक्षा बताते हुए विपक्ष पर हिंदू-विरोधी होने का आरोप लगाया गया। राजनीति का मुख्य उद्देश्य वोट बैंक लगता है। भाजपा हिंदू बहुमत को मजबूत करने के लिए कड़े नियम लाती है, जबकि विपक्ष मुस्लिम अल्पसंख्यक अधिकारों की बात करता है।
यात्रा के दौरान हुड़दंग की कई घटनाएं सामने आईं, जिनमें कांवडिय़ों द्वारा हिंसा शामिल है। मुजफ्फरनगर में एक मुस्लिम युवक उस्मान पर कांवड़ पर थूकने का आरोप लगा, जिसके बाद कांवडिय़ों ने सड़क जाम की। पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया, लेकिन बाद में बताया गया कि वह गूंगा-बहरा है, और वीडियो कॉल से माफी मंगवाई गई। कुछ स्रोत इसे ‘थूक जिहाद बताते हैं, जबकि अन्य इसे फर्जी आरोप मानते हैं।
हरिद्वार के मंगलौर में एक मुस्लिम परिवार की कार कथित तौर पर कांवड़ से छू गई, जिसके बाद कांवडिय़ों ने कार क्षतिग्रस्त की, युवक को पीटा और कपड़े फाड़े। परिवार में महिलाएं और बच्चे थे। देहरादून में हिंदू रक्षा दल के कार्यकर्ताओं ने मुस्लिम फल विक्रेताओं को धमकी दी कि कांवड़ यात्रा के दौरान नाम लिखें, वरना तोडफ़ोड़ होगी। एक्स पर पोस्ट दिखाते हैं कि कुछ कांवडि़ए गांजा पीते हुए नजर आए, जिसे मुस्लिम यूजर्स ने दोहरे मापदंड का उदाहरण बताया (नमाज पर कार्रवाई लेकिन हुड़दंग पर चुप्पी)। हिंदू पक्ष इसे आस्था की रक्षा बताता है, जबकि मुस्लिम पक्ष गुंडागर्दी मानता है।
कई घटनाओं में मुस्लिमों को निशाना बनाया गया। हरिद्वार में संत समाज ने मुस्लिम कारीगरों द्वारा कांवड़ बनाने पर बैन की मांग की, ‘थूक और पेशाब जिहाद का डर जताया। मुस्लिम नाम वाली चाय दुकान पर कांवडिय़ों ने बहस की, अमरनाथ यात्रा का उदाहरण देकर सरदारजी ने जवाब दिया।
एक्स पोस्ट पर मुस्लिम लीग के कौसर हयात ने यात्रा को ‘खतरा’ बताकर रोकने की मांग की, जिसे हिंदू यूजर्स ने भड़काऊ बताया। एक पोस्ट में मुस्लिम यूजर ने कांवड़ यात्रा को ‘गुंडों की फौजÓ बताया, जबकि हिंदू यूजर ने इसे जाति-रहित एकता कहा।
कुछ मीडिया ने मुस्लिमों को ‘फ्रिंज एलिमेंट’ बताकर यात्रा बाधित करने का आरोप लगाया, जबकि अन्य ने हिंदू गुंडागर्दी पर फोकस किया। एक्स पर कांवड़ यात्रा के तहत ऐसे पोस्ट वायरल हैं जहां मुस्लिमों को ‘थूक जिहादी’ कहा गया, लेकिन साक्ष्य अक्सर विवादित होते हैं। बरेली में मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने मुस्लिमों से कांवडिय़ों पर फूल बरसाने और स्वागत करने की अपील की, और जोगी नवादा विवाद सुलझाकर सौहार्द दिखाया। मुस्लिम यूजर्स ने यात्रा के दौरान सेवा की तस्वीरें शेयर कीं।
इस मामले में पुलिस प्रशासन की नाकामी भी जनचर्चा का विषय है। पुलिस की भूमिका पर व्यापक आलोचना हो रही है। कई घटनाओं में पुलिस मूकदर्शक रही, जैसे मंगलौर हमले में तुरंत हस्तक्षेप न करना। मुस्लिम पक्ष का आरोप है कि पुलिस सांप्रदायिक पूर्वाग्रह से ग्रस्त है, कांवड़ यात्रा पर सहयोग देती है लेकिन मुहर्रम या नमाज पर सख्ती। दिल्ली पुलिस ने 5000 जवानों, ड्रोन और क्यूआरटी तैनात की, लेकिन यूपी में दुकानदारों पर दबाव बनाने वाले संगठनों पर कार्रवाई नहीं हुई। एक्स पर पोस्ट दिखाते हैं कि पुलिस कांवडिय़ों की सेवा करती है लेकिन हुड़दंग पर चुप है। हालांकि, कुछ जगहों पर पुलिस ने विवाद सुलझाए, जैसे बरेली में। कुल मिलाकर, नाकामी का मुख्य कारण राजनीतिक दबाव लगता है, जहां हिंदू वोट बैंक को नाराज करने का डर है।