-सुभाष मिश्र
पूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां आज से नहीं सैकड़ों सालों से देश के किसी भी हिस्से में कोई भी बाबा प्रकट होता हंै और खुद को अवतारी घोषित कर देता है और एक बड़ी भीड़ उसके पीछे चल पड़ती है। भारत में चमत्कारी बाबाओं और संतों का महिमामंडन एक लंबे समय से चली आ रही परंपरा रही है। ये बाबा अपने अनुयायियों के बीच आध्यात्मिक शक्ति, चमत्कार और जीवन की समस्याओं के समाधान का दावा करते हैं। हालांकि, कई बार इनमें से कुछ बाबाओं के खिलाफ गंभीर अपराधों के आरोप लगे हैं, जैसे यौन शोषण, हत्या और धोखाधड़ी। इसके बावजूद राजनीतिक दलों का संरक्षण और इनकी लोकप्रियता इन्हें समाज में प्रभावशाली बनाए रखती है। कुछ चर्चित बाबाओं को सजा होने के बाद भी पैरोल मिलना विवाद का विषय रहा है।
फिर कुछ समय बाद उनमें से अधिकांश या तो बलात्कारी निकलते हैं या ठगी के आरोप में या फिर चोरी और डकैती के आरोप में पकड़े जाते हैं। फिर चाहे आसाराम महाराज हो या राम रहीम बाबा लेकिन यह सिलसिला जारी है। पिछले कुछ दशकों से बाबाओं ने राजनीति में दिलचस्पी लेना शुरू किया है। उन्हें लगता है कि उनके अपराधों के लिए राजनीति एक सुरक्षित शरणस्थली है। हर बरस एक नया बाबा किसी शहर में प्रगट होता है। कोई अपने आप को राम का अवतार कहता है। कोई कृष्ण का तो कोई परम गुरु कहता है। कोई अपने आप को सन्यासी कहता है। उनके आसपास भीड़ जमा हो जाती है। आश्रम के लिए जमीन मिल जाती है। महंगी गाडिय़ां आ जाती है। सेवा के लिए सेवादार और सुंदर स्त्रियां आ जाती है। जब भीड़ बढऩे लगती है तो हर राजनीतिक दल को वोट के लिए उनकी जरूरत भी महसूस होती है। जिससे उनके अपराध ढंक दिए जाते हैं। कोई नहीं पूछता कि एक साधु या सन्यासी को महंगी गाडिय़ों, एसी और महंगे फर्नीचरों से सुसज्जित महंगे बंगलों की क्या जरूरत है? सच्चे साधु तो भीड़ से बचते हैं और एकांत में साधना करते हैं। मुगल बादशाह ने जब कुंभन दास को अपना दरबारी बनाने के लिए आमंत्रित किया था तो उन्होंने कहा था कि, ‘संत को कहा सीकरी से कामÓ यानी एक संत को सत्ता की संगति या सत्ता के पास रहने का कोई मतलब नहीं है। मैं तो ईश्वर का नाम कहीं भी बैठकर ले सकता हूं। लेकिन इधर कुछ अरसे से धर्म आधारित राजनीति ने ऐसे अनेक अपराधियों को साधु बनने के लिए प्रेरित किया है। हाथरस में एक कांस्टेबल को कथित अपराध के लिए पुलिस विभाग ने निलंबित कर दिया। वह साधु बन गया। एक आश्रम खोल लिया। आश्रम की भगदड़ में जब कुछ लोग मारे गए। पकड़े गए उनके सेवादारों ने बताया था कि उन्हें दस हजार रूपए महीने की पगार मिलती थी और गांवों में भेजा जाता है कि प्रचार करो, बाबा बहुत चमत्कारी है। उनके पानी से सारे रोग ठीक हो जाते हैं। मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अभी हाल ही में कुछ दिन पहले गांव रुलदुसिंहवाला (बठिंडा) में राधेश्याम सुधार नाम के एक अपराधी ने एक आश्रम खोला और अपने आप को परमगुरु कहते हुए दावा किया कि मैं कृष्ण हूं। मैंने ही गीता लिखी है। यह व्यक्ति आठ राज्यों के लोगों से तीन हजार करोड़ ठग चुका है। चार साल की जेल काटी है। इसकी 300 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की गई है। मध्य प्रदेश के जिला नीमच में साढ़े पाँच करोड़ की हेराफेरी हुई है। आठ राज्यों में राधेश्याम सुधार पर 30 से ज्यादा एफआईआर दर्ज है। इस अपराधी ने खुद को कृष्ण का अवतार घोषित करके आश्रम खोल लिया है और खुले तौर पर क्यूआर कोड जारी कर लोगों से कहता था कि आश्रम के लिए ज्यादा से ज्यादा दान करें। हालांकि गांव में अंदरूनी तौर पर इस आश्रम का विरोध हो रहा है लेकिन सरकारी तौर पर इस पूरे मामले में चुप्पी पसरी हुई है। शासन-प्रशासन बिल्कुल खामोश है।
सवाल यहीं से खड़े होते हैं कि अपराधी खुले तौर पर इस तरह से धर्म का आड़ लेकर भोली-भाली जनता को ठग रहे हैं, लूट रहे हैं। बलात्कार कर रहे हैं लेकिन सारे राजनीतिक दल वोट की राजनीति के आगे झुक जाते हैं। कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती है? नए-नए अपराधियों को इस मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती जाती है। लोगों को धर्म से डरना चाहिए। धर्म के प्रति आस्था होनी चाहिए, लेकिन अपराधी अब धर्म को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। यह एक खतरनाक परिपाटी शुरू हो गई है। इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
मध्य प्रदेश में एक कथित संत हैं जो धर्म से जुड़े हुए टोटके बताकर कथित रूप से लोगों की आस्था को अंधविश्वास से जोड़ते हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि ये कहते हैं शिवलिंग पर फलां तरह से जल चढ़ाने से मैं परीक्षा में सफलता की गारंटी लेता हूं। शिवलिंग पर बिलपत्र रखने या फलां उपवास करने से या उस तरह की पूजा के तरीके से लड़की की शादी की गारंटी लेता हूं। सफलता की गारंटी कितनी पूरी हुई है पता नहीं। लेकिन बेहतर होता कि यह संत श्रीमान यह कहते हैं कि परीक्षा की अच्छे से तैयारी करो। मेहनत करो, पढ़ाई करो क्योंकि ईश्वर आलसी, निकम्मे और नाकारा लोगों की मदद नहीं करता है। लड़की के लिए अच्छा वर खोजने के लिए लड़की को पढ़ाएं -लिखाएं उसको शिक्षित करें। आस्था को अंधविश्वास से जोडऩे से भ्रम फैलेगा और लोग श्रम से बचने के लिए ऐसे टोटके आजमाने लगेंगे। कहा जाता है कि इन संत श्रीमान की भी चाट की दुकान थी। बाद में यह संत बन गए। इन्हें कृष्ण और विशेष कर राधा से जुड़ी किसी कथित गलत टिप्पणी के लिए मथुरा-वृंदावन जाकर वहां के संतो के चरणों में नाक रगडऩे से क्षमा मिली थी। खबरों में तो यह भी आया था कि मध्य प्रदेश में रुद्राक्ष बांटने के अभियान में एक बार एक लाख से ज्यादा लोग इक_े हो गए थे और भगदड़ मची थी। जिसमें कहा जाता है कि सैकड़ो लोग घायल हुए थे और संभवत: कथित रूप से कुछ मर भी गए थे। सच्चाई जो भी हो लेकिन पूरे देश में इस समय धर्म को आधार बनाकर भोले-भाले लोगों की आस्था से खेल किया जा रहा है और एक लंबी लूट का सिलसिला शुरू हो गया है।
गुरमीत राम रहीम सिंह डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख व हरियाणा के सिरसा से संचालित एक आध्यात्मिक संगठन के नेता हैं। 2017 में दो साध्वियों के साथ बलात्कार के मामले में 20 साल की सजा सुनाई गई। इसके अलावा पत्रकार रामचंद्र छत्रपति और डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के मामले में भी दोषी पाए गए हैं। आसाराम बापू का असली नाम असुमल हरपलानी हैं। उन्होंने गुजरात के अहमदाबाद से अपने आध्यात्मिक करियर की शुरुआत की। 2018 में जोधपुर कोर्ट ने नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उनके बेटे नारायण साईं को भी बलात्कार के एक अन्य मामले में उम्रकैद की सजा हुई है। स्वामी भीमानंद दिल्ली के शिवमूरत द्विवेदी जो इच्छाधारी संत के नाम से मशहूर थे। 1997 में देह व्यापार के आरोप में गिरफ्तार हुए। वे प्रवचन के बहाने लड़कियों को फंसाते थे। राधे मां सुखविंदर कौर जो अपने नृत्य और चमत्कारी दावों के लिए जानी गईं। उन पर धोखाधड़ी और अश्लीलता के आरोप लगे, लेकिन कोई बड़ी सजा नहीं हुई। निर्मल बाबा यानि निर्मलजीत सिंह जो टीवी पर तीसरा नेत्र और चमत्कारी उपायों के लिए प्रसिद्ध हुए। उन पर लोगों से पैसे ऐंठने के आरोप लगे, लेकिन कानूनी कार्रवाई सीमित रही।
राम रहीम और आसाराम जैसे बाबाओं को बार-बार पैरोल या जमानत मिलना कानून व्यवस्था पर सवाल उठाता है। जहां राम रहीम को हरियाणा सरकार ने कई बार रिहा किया, वहीं आसाराम को स्वास्थ्य आधार पर राहत दी गई। यह स्थिति आम लोगों में असंतोष पैदा करती है, क्योंकि इसे अमीर और प्रभावशाली लोगों के लिए अलग कानून के रूप में देखा जाता है।
भारत में चमत्कारी बाबाओं का प्रभाव आस्था, अंधविश्वास और राजनीति के मिश्रण से बना है। हालांकि, कुछ बाबा वास्तविक संत हो सकते हैं, लेकिन राम रहीम और आसाराम जैसे उदाहरण दिखाते हैं कि धर्म की आड़ में अपराधी भी पनपते हैं। इनके प्रति समाज का रवैया और सरकार की नीतियां इस समस्या को जटिल बनाती हैं।