Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से -फेक बाबा संस्कृति : भारतीय धार्मिक आस्था का दोहन

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से -फेक बाबा संस्कृति : भारतीय धार्मिक आस्था का दोहन


-सुभाष मिश्र

व्यक्ति की धार्मिक आस्था का आर्थिक, दैहिक और भावनात्मक शोषण का इतिहास भारत में बहुत पुराना है। ज्यादा पीछे ना जाएं और 70 के दशक के आसपास देखें तो आचार्य रजनीश, जो बाद में अपने आपको ओशो कहलाना पसंद करते थे, उनकी लोकप्रियता ने फेक बाबाओं को उत्साहित किया। रजनीश बहुत पढ़े-लिखे व्यक्ति थे, ज्ञानी थे बल्कि उनकी अधिकांश कोशिश रही कि समाज को अंधविश्वास से बाहर निकाला जाए। वे अपने प्रवचनों में कबीर से लेकर कन्फ्यूशियस तक का हवाला देते थे लेकिन अपनी दर्शन संबंधी व्याख्याओं में उन्होंने स्त्री-पुरुष के संबंधों और साधना को लेकर जो बातें कहीं वो बहुत आधुनिक मानी गई लेकिन उनसे अनेक लोग असहमत भी रहे। उनकी लोकप्रियता देश की सरहदों के पार विदेशों तक गई थी। सुप्रसिद्ध व्यंग्य कार हरिशंकर परसाई ने अपनी रचना टार्च बेचने वाला में रजनीश की अच्छी खासी खबर ली है। दोनों ही जबलपुर में पढ़ाने का काम करते थे। पर दोनों की सोच में बहुत अंतर था परसाई पूर्ण रूप से वैज्ञानिक चेतना संपन्न लेखक थे। और रजनीश आध्यात्मिकता से लैस। आचार्य रजनीश की किताब संभोग से समाधि बहुचर्चितच है। पुना में उनका आश्रम अभी भी संचालित है। उनके पास अपार संपत्ति थी और बहुत लोकप्रियता। उनके शिष्यों में देश दुनिया के बड़े-बड़े लोग थे। इस लोकप्रियता आज भी रजनीश के वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत वायरल होते हैं रजनीश के पास बहुत तार्किक्ता थी। और अपार संपत्ति के लालच ने अनेक भारतीय लोगों को बाबा बनकर पैसा कमाने के लिए उकसाया। अधिकांश लोग जो धर्म को धंधा बनाना चाहते थे, वे पढ़े-लिखे नहीं थे । ज्ञान के स्तर पर कोरे थे। तब उन्होंने धार्मिक व्याख्यान को अपना आधार बनाया। उसने कथा पूजा पाठ शुरू की। कुछ पाखंडी बाबाओं ने भागवत कथाएं शुरू कीं। कुछ ने धार्मिक प्रवचन देना शुरू किया। धार्मिक प्रवचनों में सबसे बड़ी सुविधा यह थी कि उनके धार्मिक प्रवचन यदि वैज्ञानिक स्तर पर गलत भी होते थे तो कोई प्रश्न नहीं करता था। आपत्ति नहीं उठाता था। धार्मिक मसलों में कभी कोई संदेह नहीं करता है। यही ऐसे अनपढ़ बाबाओं का सुरक्षा कवच था। आसाराम बाबा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। लगभग मिडिल पास इस व्यक्ति ने लोगों की धार्मिक भावनाओं का बहुत दोहन किया। आर्थिक स्तर पर भी और कथित रूप से स्त्रियों का दैहिक शोषण भी किया। आसाराम बाबा की लोकप्रियता और अमीरी ने इस क्षेत्र में, इस धंधे में आने के लिए अपराधियों को भी प्रोत्साहित किया। अपराधी के बाबा बन जाने के बाद पुलिस और राजनीति का संरक्षण भी मिल जाता है। एकाएक पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती है। छोटा-मोटा जन समर्थन भी उसके साथ रहता है। बाद के कुछ कथित अपराधी बाबाओं ने तो जनसमर्थन और लोकप्रियता के लिए मीडिया और सोशल मीडिया का इस्तेमाल भी शुरू किया। किराए पर ऐसे प्रचारक भी रखे जो आसपास के गांवों में जाकर उनके झूठे चमत्कार का प्रचार करते हैं। दिल्ली और उत्तर प्रदेश में ऐसे कई पाखंडी बाबा पकड़े गए। हाल ही में हरियाणा में तो एक ऐसे अपराधी ने बाबा बनकर आश्रम खोल लिया है , जिस पर देशभर में 400 से अधिक मुकदमे चल रहे हैं। ऐसे कथित बाबा अपने आश्रम या मंदिर के आसपास आयोजन करते हैं। भारी भीड़ इक_ी करके राजनीति में अपनी साख बनाते हैं। इन आयोजनों में भीड़ और भगदड़ में कई लोग मारे जाते हैं। मध्य प्रदेश में भी ऐसी हाल ही में कई घटनाएं हुई हैं लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
मुस्लिम समुदाय में यह बहुत चुपचाप और चोरी छुपे चल रहा था। वहां भी ऐसे पाखंड और कुकर्म बहुत होते हैं लेकिन उनकी शिकायतें नहीं होती इसलिए ऐसे लोगों के पाप बाहर नहीं आ पाते हैं। इधर, कुछ बरसों से एक नई सांप्रदायिकता और धार्मिक घृणा ने जन्म लिया है। लव जिहाद के बाद आतंकवाद ने धर्म, पुनर्जन्म और चमत्कार को जोड़कर अपने प्रचार तंत्र के सहारे समाज हितकारी छबि बनाने की कोशिश की है। चमत्कार के नाम पर लोगों को बहकाने और तथाकथित ऐसे बाबा अक्सर अंधविश्वास का फायदा उठाकर यौन शोषण, जबरन धर्म परिवर्तन, आर्थिक ठगी और सामाजिक विभाजन और सांप्रदायिकता फैलाते हैं। इस तरह के कथित आतंकवादी हिंदू धर्म के आधार पर नाम रखकर आश्रम तक खोल लेते हैं। जिसमें बड़ी संख्या में हिंदू धर्म के अनुयाई आस्था के कारण चपेट में आ रहे हैं। यह एक नए किस्म का आतंकवाद है जिसको विदेशों से फंडिंग हो रही है। हाल ही में इस संदर्भ में एक नया नाम उभरकर आया है- छांगुर बाबा।
छांगुर बाबा (असली नाम जलालुद्दीन या जमालुद्दीन) उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले का निवासी है, जो पहले एक व्यापारी था और बाद में ‘पीरÓ या सूफी संत बन गया। जुलाई 2025 में, उत्तर प्रदेश पुलिस की एटीएस ने उसे गिरफ्तार किया, आरोप है कि वह बड़े पैमाने पर हिंदू (विशेष रूप से दलित और गरीब) लड़कियों का यौन शोषण कर जबरन इस्लाम में परिवर्तित करवा रहा था । यह एक ऐसा रैकेट चला रहा है जिसमें 1500 से अधिक हिंदू लड़कियों का लव जिहाद के जरिए ट्रैप कर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया गया। इसमें 500 करोड़ रुपये (200 करोड़ बैंक से, 300 करोड़ हवाला के जरिए नेपाल से), आईएसआई लिंक और पाकिस्तान, दुबई से कनेक्शन। 100 करोड़ से अधिक की संपत्ति का खुलासा हुआ है। इसके 3000 फॉलोअर्स, जिनमें फर्जी नामों से हिंदू लड़कियों को फंसाने वाले शामिल जैसे बदर अख्तर उर्फ आरव ऐसे अनेक नाम हैं। दरअसल, यह बात भी कही जाती है कि छांगुर बाबा जैसे अनेक लोग हैं जो देश भर में फैले हैं और विदेशी फंडिंग के जरिए ऐसे ट्रेनिंग हाउस खोल रखे हैं, जहां युवा मुसलमानों को हिंदू लड़कियों को फंसाने और धर्म परिवर्तन के दबाव बनाने के तौर-तरीके सिखाए जाते हैं।
9 जुलाई 2025 को छांगुर बाबा का अवैध मकान बुलडोजर से ध्वस्त किया गया। ईडी ने 16 जुलाई 2025 को बलरामपुर और मुंबई में 14 ठिकानों पर छापे मारे। बाबा ने खुद को निर्दोष बताया, लेकिन दो महिलाओं (बेंगलुरु और औरैया से) ने जबरन कन्वर्जन की गवाही दी। विपक्ष (राहुल गांधी, अखिलेश यादव) की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं। इसे तुष्टिकरण बताया जा रहा है। हिंदू संगठन (विश्व हिंदू रक्षा परिषद) ने विरोध प्रदर्शन किए। मामला अंधविश्वास और धार्मिक पहचान का शोषण दर्शाता है, जहां गरीबों को चमत्कार का लालच देकर फंसाया गया। जुलाई 2025 में उत्तराखंड सरकार ने ‘ऑपरेशन कालनेमीÓ शुरू किया, जो रामायण के असुर कलनेमी से प्रेरित नाम है, फेक बाबाओं को पकडऩे के लिए। यह अभियान सनातन धर्म की छवि खराब करने वाले फेक संतों पर फोकस करता है। अभी थोड़े समय में ही 118 से 300 फेक बाबा/साधु पकड़े गए, जिनमें 23 अन्य राज्यों से 1250 संदिग्धों से पूछताछ की गई।
महिलाओं और युवाओं को व्यक्तिगत समस्याओं के समाधान का झांसा देकर ठगी, चमत्कार दिखाकर पैसे ऐंठना इनका काम रहा है।
अखाड़ों ने कुंभ मेला 2025 में फेक बाबाओं पर बैन की मांग की थी। यह दर्शाता है कि सनातन धर्म के नाम पर भी ठगी हो रही है, जहां फेक संत हिंदू आस्था का शोषण करते हैं। फरवरी 2025 में राजस्थान में 11 मुस्लिम सदस्य गिरफ्तार हुए, इन पर स्कूली लड़कियों के धर्म परिवर्तन का आरोप है। इन सबके बीच पुराने लेकिन सतत मामलों का प्रभाव भी है। आसाराम, राम रहीम जैसे पुराने केस (यौन शोषण, हत्या) अब भी चर्चा में है लेकिन 2024-25 में फोकस फंडिंग और धर्म परिवर्तन पर है। फेक बाबा हिंदू आस्था का शोषण कर करोड़ों कमाते हैं, जैसे एक ट्रक-खलासी से बाबा बन गया। अंधविश्वास से गरीबों की कमजोरी का फायदा उठाया जा रहा है। प्रभाव और सुधार के सुझाव ये घटनाएं दिखाती हैं कि अंधविश्वास, गरीबी और धार्मिक पहचान का शोषण एक बड़ी समस्या है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा (विदेशी फंडिंग) को भी प्रभावित करती है। सनातन धर्म के नाम पर ठगी से हिंदू समुदाय की छवि खराब होती है, जबकि अन्य धर्मों में भी ऐसे रैकेट चलते हैं। सख्त कानून (जैसे पी कन्वर्जन एक्ट), जागरूकता अभियान, और ईडी/एटीसी जैसी एजेंसियों की सक्रियता। असली संतों का कहना है कि फेक बाबा धर्म को बदनाम करते हैं इसमें बहुत सच्चाई है।

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