राजकुमार मल /भाटापारा: उत्पादन की बढ़ती लागत और जरूरी सामग्रियों की कीमतों में लगातार वृद्धि के कारण अब कन्फेक्शनरी आइटम्स के वजन में कमी की जा रही है। जहां पहले केक, बिस्किट्स, पेस्ट्री और खस्ता का उत्पादन होता था, अब इन सभी प्रोडक्ट्स में धीरे-धीरे वजन घटाया जा रहा है। खासकर नानखटाई, पेस्ट्री और बिस्किट्स के निर्माता अब कम वजन वाले पैकिंग पर ध्यान दे रहे हैं, ताकि उत्पादन लागत में संतुलन बना सके।
कन्फेक्शनरी उद्योग में सबसे बड़ी समस्या डालडा, सूजी और मैदा जैसी सामग्री की बढ़ती कीमतों से उत्पन्न हो रही है। डालडा की कीमत 160 से 175 रुपए प्रति किलो, सूजी 25 से 50 रुपए प्रति किलो और मैदा 38 से 40 रुपए प्रति किलो हो चुकी है। इन बढ़ती कीमतों ने उत्पादन की लागत को बहुत बढ़ा दिया है, जिससे इन उत्पादों की कीमत बढ़ाना मुश्किल हो गया है। ऐसे में निर्माता कंपनियां पैकिंग का वजन घटाने का उपाय अपना रही हैं, ताकि उत्पाद की कीमत में वृद्धि न हो और बाजार में प्रतिस्पर्धा कायम रहे।
खस्ता, नानखटाई, पेस्ट्री और बिस्किट्स जैसे उत्पादों के छोटे पैकिंग के वजन में 20 से 25 प्रतिशत की कटौती की जा रही है। इसके अलावा बड़ी पैकिंग में भी वजन घटाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस बदलाव को लेकर कन्फेक्शनरी निर्माता कंपनियां सतर्क हैं और उपभोक्ता की मांग पर कड़ी नजर रखे हुए हैं।
इसके साथ ही छोटे स्तर पर कन्फेक्शनरी आइटम बनाने वाली इकाइयों में भी यह बदलाव लाने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, अभी तक इन इकाइयों ने इस पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन भविष्य में छोटे पैकिंग में वजन घटाने की योजना बन सकती है।
इस बदलाव के चलते उपभोक्ताओं को कम कीमत में अधिक खरीदने के लिए तैयार रहना होगा, क्योंकि कीमतों में इस बदलाव के कारण नया माहौल बन सकता है।