Chhattisgarh High Court : नगरीय निकायों के वार्ड परिसीमन के खिलाफ छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर
Chhattisgarh High Court : बिलासपुर। प्रदेश के नगरीय निकायों के वार्डों के परिसीमन को लेकर विवाद की स्थिति बनती जा रही है।
शनिवार को प्रदेश के आधा दर्जन नगरीय निकायों के कांग्रेसी नेताओं ने वार्ड परिसीमन को लेकर अपनाई जा रही प्रक्रिया का विरोध करते हुए और इस पर रोक लगाने की मांग करते हुए अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
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रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय ने याचिका को रजिस्टर्ड कर लिया है। 29 जुलाई को सुनवाई की तिथि तय कर दी है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार ने प्रदेशभर के निकायों के वार्ड परिसीमन के लिए जो आदेश जारी किया है उसमें वर्ष 2011 के जनगणना को आधार माना है। इसी आधार पर परिसीमन का कार्य करने कहा गया है।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं का कहना था कि वार्ड परिसीमन के लिए बनाए गए नियमों के अनुसार अंतिम जनगणना को आधार माना गया है। राज्य सरकार ने अपने सर्कुलर में भी परिसीमन के लिए अंतिम जनगणना को आधार माना है।
अधिवक्ताओं का कहना था कि राज्य सरकार ने इसके पहले वर्ष 2014 व 2019 में भी वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन का कार्य किया है। जब आधार एक ही है तो इस बार क्यों परिसीमन का कार्य किया जा रहा है।
याचिका के अनुसार वर्ष 2011 के बाद जनगणना हुई नहीं है। तो फिर उसी जनगणना को आधार मानकर तीसरे मर्तबे परिसीमन कराने की जरुरत क्यों पड़ रही है।
चार नगरीय निकायों के परिसीमन पर हाई कोर्ट ने लगाई है रोक
राजनादगांव नगर निगम, कुम्हारी नगर पालिका व बेमेतरा नगर पंचायत में वार्डों के परिसीमन को चुनौती दी गई थी। मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस पीपी साहू ने परिसीमन की प्रक्रिया और अधिसूचना पर रोक लगा दी है।
याचिका में इस पर दिया जोर
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा है कि वर्ष 2011 की जनगणना को आधार मानकर जब दो बार वार्ड परिसीमन कर दिया गया है तो फिर उसी आधार पर तीसरी मर्तबे परिसीमन की क्यों जरुरत पड़ रही है। परिसीमन के बाद कलेक्टर ने शहरवासियों से दावा आपत्ति मंगाई थी।
उसका निराकरण नहीं किया गया है। आवेदन पत्र को रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया है।
ऐसा लगता है कि कलेक्टर ने कानूनी अड़चनों से बचने और औपचारिकता निभाने के लिए शहरवासियों से दावा आपत्ति मंगाई थी। सक्षम प्राधिकारी के पास आपत्ति दर्ज कराई गई है तो उनका दायित्व बनता है निराकरण किया जाए।
पर ऐसा नहीं हो रहा है। शासन द्वारा तय मापदंड व प्रक्रिया का पालन कहीं नहीं किया जा रहा है। अधिकारीगण केवल औपचारिकता निभाते रहे हैं।
लोगों की आने वाली मुसीबतों पर ध्यान नहीं दिया गया है। वार्ड परिसीमन के बाद लोगों का पता बदल जाएगा, परिस्थितियां बदल जाएंगी। आधारकार्ड से लेकर पेन कार्ड सहित जरुरी दस्तावेजों में पता बदलवाना पड़ेगा।
सोमवर को रायपुर नगर के कांग्रेसी नेता दायर करेंगे याचिका
रायपुर नगर निगम के कांग्रेसी नेताओं की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार सोमवार को अपने अधिवक्ता के माध्यम से परिसीमन की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग को लेकर याचिका दायर की जाएगी।