CG NEWS: छत्तीसगढ़ को रेलवे से बड़ी सौगात: नवा रायपुर में 60 एकड़ में बनेगा अत्याधुनिक ट्रेन वाशिंग स्टेशन

रायपुर | CG: नवा रायपुर में केंद्री स्टेशन के पास वॉशिंग स्टेशन बनेगा। इसके लिए 60 एकड़ जमीन का चयन कर लिया गया है। स्टेशन बनने के बाद बोगियों और इंजन की मरम्मत के अलावा रखरखाव वहां शुरू हो जाएगा। पूरे प्रोजेक्ट की लागत 1500 करोड़ रुपए है। इसके साथ ही रेल सुविधाएं बढ़ेंगी। खरसिया से रेल लाइन का विस्तार नवा रायपुर तक होगा।

यहां के ट्रैक को परमलकसा तक जोड़ा जाएगा। उसके बाद नवा रायपुर से कोलकाता, मुंबई और विशाखापट्‌टनम तक सीधे ट्रेन चलेगी। रेलवे तकरीबन एक दर्जन से अधिक ट्रेनें शुरू करेगा। अभी रायपुर स्टेशन या इसके आस-पास वॉशिंग स्टेशन नहीं है। पहले चरण में रायपुर विशाखापट्टनम वंदे भारत एक्सप्रेस, दुर्ग-जम्मूतवी, दुर्ग- निजामुद्दीन, दुर्ग-गोरखपुर, दुर्ग-कानपुर, दुर्ग-भोपाल, दुर्ग-जयपुर, दुर्ग-अजमेर, दुर्ग-दल्ली राजहरा एक्सप्रेस को चलाने की योजना है।

वॉशिंग स्टेशन के पास ही रेल कर्मियों और अफसरों के लिए कॉलोनी बसाई जाएगी। इसका असर नवा रायपुर के आस-पास के इलाके में पड़ेगा और यहां आबादी बसाने में मदद मिलेगी। अफसरों के अनुसार वॉशिंग स्टेशन में एक साथ 30 से अधिक ट्रेनों की मरम्मत और धुलाई हो सकेगी। इसके बनने से दुर्ग के वॉशिंग स्टेशन का भार भी कम हो जाएगा, जहां अभी 12 ट्रेन की ही वॉशिंग या मेंटनेंस हो पाता है। दुर्ग में कई बार वॉशिंग स्टेशन में जल्दी धुलाई और मरम्मत न होने के कारण भी भी ट्रेनें लेट चलती हैं।

Related News

नवा रायपुर में वाशिंग स्टेशन बनने से लोगों को बड़ा फायदा मिलेगा। अभी रायपुर स्टेशन से एक भी ट्रेन नहीं बनती। इससे यात्रियों को रिजर्वेशन का कोटा कम मिलता है। वाशिंग स्टेशन बनने से यहां ट्रेनें शुरू होंगी और लोगों का सफर आसान होगा। अभी जिस वॉशिंग स्टेशन के साथ जो प्रोजेक्ट लाया जा रहा है, उसके अनुसार खरसिया से बलौदाबाजार होकर केंद्री, अभनपुर और दुर्ग पैवारा होते हुए परमलकसा तक रेल लाइन बिछाई जाएगी। 266 किमी लंबे ट्रैक पर 5,078 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसके सर्वे का काम पूरा हो गया है।

कई इलाके रेल से जुड़ेंगे
इस प्रोजेक्ट से छत्तीसगढ़ के कई इलाके ऐसे हैं, जो आजादी के बाद पहली बार रेल नेटवर्क से जुड़ेंगे। इससे उन इलाकों में रहने वाले लोगों को यात्री ट्रेन की सुविधा मिलेगी। यह लाइन जिन इलाकों से गुजरेगी, वहां सीमेंट व अन्य उद्योग हैं, इसलिए यह रूट ढुलाई के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा।

6 घंटे में होती है धुलाई
रेलवे के मुताबिक एक ट्रेन के मैकेनिकल मेंटेनेंस और धुलाई के लिए 6 घंटे का समय निर्धारित है। इसमें गाड़ियों के डिब्बों का मेंटनेंस कर हर डिब्बे की धुलाई की जाती है। लेकिन दुर्ग में जगह कम होने से ट्रेनों की मरम्मत के दौरान काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

सर्वे शुरू हो गया है
रायपुर राजधानी होने के नाते भविष्य में यहां से और ट्रेनें चलेंगी। इसके लिए कोचिंग डिपो बनाने का प्रस्ताव है। इससे 30 गाड़ियों की मरम्मत हो सकेगी। इसके लिए सरकार से नवा रायपुर में जमीन देने के लिए पत्र लिखा था। खरसिया लाइन को नवा रायपुर से जोड़ने के लिए सर्वे हो रहा है।

Related News