सेलिब्रिटीज़ कर रहे सट्टेबाजी का प्रचार: कानूनी, सामाजिक और नैतिक सवाल

सेलिब्रिटीज़ कर रहे सट्टेबाजी का प्रचार: कानूनी, सामाजिक और नैतिक सवाल

-सुभाष मिश्र

सेलिब्रिटीज़ द्वारा बेटिंग ऐप्स के प्रचार ने न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक और नैतिक सवाल भी खड़े किए हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा हैदराबाद में 29 सेलिब्रिटीज़, जिनमें विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती और प्रकाश राज जैसे बड़े नाम शामिल हैं के खिलाफ दर्ज मामला इस समस्या की गंभीरता को उजागर करता है। यह कार्रवाई साइबराबाद पुलिस की प्राथमिकी (एफआईआर) पर आधारित है, जिसमें आरोप है कि इन सेलिब्रिटीज़ ने अवैध बेटिंग और जुआ ऐप्स को बढ़ावा दिया, जिससे आम जनता, खासकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को वित्तीय नुकसान हुआ।
ईडी ने इन सेलिब्रिटीज़ के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए), भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), तेलंगाना गेमिंग एक्ट और आईटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। इन पर जंगल रम्मी, ए 23, जेटविन और फेयरप्ले जैसे ऐप्स को प्रचारित करने का आरोप है जो कथित तौर पर अवैध सट्टेबाजी को बढ़ावा देते हैं। जांच का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या ये प्रचार केवल लापरवाही थे या मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर अपराधों से जुड़े थे।
विजय देवरकोंडा ने दावा किया कि उन्होंने ए 23 को केवल स्किल बेस्ड गेमिंग प्लेटफार्म के रूप में प्रचारित किया, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा मान्यता प्राप्त है। उनकी टीम ने कहा कि उनका कॉन्ट्रैक्ट 2023 में समाप्त हो चुका है। राणा दग्गुबाती ने बताया कि उनका स्किल बेस्ड गेमिंग ऐप के साथ कॉन्ट्रैक्ट 2017 में खत्म हो गया था और यह केवल कानूनी क्षेत्रों तक सीमित था। वहीं प्रकाश राज ने स्वीकार किया कि उन्होंने 2016 में जंगल रम्मी को प्रचारित किया था, लेकिन 2017 में नैतिक कारणों से इससे अलग हो गए।
सेलिब्रिटीज़ का प्रभाव लाखों लोगों पर पड़ता है, और उनके द्वारा प्रचारित उत्पादों को लोग भरोसेमंद मानते हैं। बिना पूरी जांच के बेटिंग ऐप्स का प्रचार करना गैर जिम्मेदाराना है। बेटिंग ऐप्स खासकर आईपीएल और अन्य खेल आयोजनों के दौरान ड्रीम 11 जैसे प्लेटफॉम्र्स के जरिए सट्टेबाजी को सामान्य बनाने का काम करते हैं। ये ऐप्स अक्सर स्किल-बेस्ड गेम्स के रूप में पेश किए जाते हैं, लेकिन कई यूजर्स इन्हें जुए के रूप में देखते हैं जिससे वित्तीय नुकसान, लत और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं।
भारत में ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी को नियंत्रित करने वाला मुख्य कानून, पब्लिक गैंबलिंग एक्ट, 1867 पुराना और अप्रासंगिक हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने रम्मी और फंतासी स्पोट्र्स जैसे गेम्स को स्किल बेस्ड माना है, लेकिन कई ऐप्स इस अस्पष्टता का फायदा उठाकर अवैध सट्टेबाजी को बढ़ावा देते हैं। इस क्षेत्र में स्पष्ट और आधुनिक कानून की कमी इस समस्या को और जटिल बनाती है।
क्रिकेट में सट्टेबाजी खासकर ड्रीम 11 जैसे फंतासी गेमिंग प्लेटफॉम्र्स के जरिए होने वाली गतिविधियां, एक गंभीर मुद्दा हैं। बीसीसीआई जो आईपीएल का आयोजक है, इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हालांकि, बीसीसीआई का रवैया विरोधाभासी रहा है। बीसीसीआई ने 2020 में आईपीएल के दौरान सट्टेबाजी पर नजर रखने के लिए एक योजना बनाई थी, जिसमें सट्टेबाजी रुझानों की निगरानी और संदिग्ध गतिविधियों की जांच शामिल थी। ड्रीम 11 जैसे फंतासी प्लेटफॉम्र्स बीसीसीआई के प्रमुख प्रायोजक रहे हैं। 2020 में ड्रीम 11 आईपीएल का टाइटल स्पॉन्सर था। यह विरोधाभास इस तथ्य में झलकता है कि बीसीसीआई एक ओर सट्टेबाजी पर अंकुश लगाने की बात करता है, वहीं दूसरी ओर ऐसे प्लेटफॉम्र्स से राजस्व कमाता है।
बीसीसीआई का कहना है कि वह केवल क्रिकेट के आयोजन और नियमन के लिए जिम्मेदार है और सट्टेबाजी जैसे मुद्दों का नियंत्रण सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के दायरे में आता है। बीसीसीआई के अध्यक्ष जय शाह, जो केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बेटे हैं, के नेतृत्व में यह मुद्दा और संवेदनशील हो जाता है। जय शाह 2019 से बीसीसीआई के सचिव थे और 2022 में अध्यक्ष बने। वह वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के चेयरमैन भी हैं। उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण कुछ लोग उनकी नियुक्ति और निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं। हालांकि, बीसीसीआई के संविधान के अनुसार, अध्यक्ष का चुनाव वार्षिक आम बैठक में होता है और जय शाह को निर्विरोध चुना गया था।
जय शाह के नेतृत्व में बीसीसीआई ने घरेलू क्रिकेट में पुरस्कार राशि बढ़ाने और खिलाडिय़ों की स्थिति पर निगरानी जैसे कदम उठाए हैं। हालांकि, सट्टेबाजी और फंतासी गेमिंग के मुद्दे पर उनकी चुप्पी की आलोचना होती है। बीसीसीआई एक स्वायत्त संस्था है जो सरकारी वित्त पर निर्भर नहीं है, इसलिए सट्टेबाजी जैसे मुद्दों पर कार्रवाई इसके सामूहिक निर्णयों पर निर्भर करती है। इस समस्या से निपटने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं। फंतासी गेमिंग प्लेटफॉम्र्स के प्रचार और प्रायोजन पर सख्त नियम लागू करें। खिलाडिय़ों और अधिकारियों के लिए सट्टेबाजी से संबंधित आचार संहिता को और कड़ा करना होगा। आईपीएल और अन्य टूर्नामेंट्स में सट्टेबाजी की निगरानी के लिए स्वतंत्र एजेंसियों को नियुक्त करना। साथ ही जनता को फंतासी गेम्स और जुए के जोखिमों के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चलाने की आवश्यकता होगी।
सरकार को चाहिए कि ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी के लिए एक स्पष्ट और आधुनिक कानूनी ढांचा बनाए। अवैध सट्टेबाजी और मनी लॉन्ड्रिंग पर ईडी और अन्य एजेंसियों की कार्रवाई को तेज करें। उपभोक्ता संरक्षण कानूनों के तहत फंतासी गेमिंग ऐप्स को विनियमित करे। सेलिब्रिटीज़ और इन्फ्लुएंसर्स के लिए प्रचार से पहले कानूनी जांच अनिवार्य किया जाए। इसके अलावा सेलिब्रिटीज़ और क्रिकेटरों को केवल कानूनी और नैतिक रूप से सही प्लेटफॉम्र्स का प्रचार करना होगा। प्रचार से पहले प्लेटफॉर्म की पृष्ठभूमि की गहन जांच करना होगी।

सेलिब्रिटीज़ द्वारा बेटिंग ऐप्स का प्रचार और क्रिकेट में फंतासी गेमिंग का बढ़ता प्रभाव न केवल खेल की साख को प्रभावित कर रहा है, बल्कि सामाजिक-आर्थिक नुकसान भी पहुंचा रहा है। ईडी की जांच से यह स्पष्ट होगा कि क्या ये प्रचार लापरवाही थी या संगठित अपराधों से जुड़े थे। बीसीसीआई को इस मामले में सक्रिय भूमिका निभानी होगी, खासकर ड्रीम 11 जैसे प्रायोजकों के साथ अपने संबंधों की समीक्षा करके। जय शाह के नेतृत्व में बीसीसीआई ने कुछ सकारात्मक कदम उठाए हैं, लेकिन सट्टेबाजी जैसे संवेदनशील मुद्दों पर पारदर्शी और कठोर कार्रवाई की जरूरत है। उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण हितों के टकराव का सवाल उठना स्वाभाविक है, लेकिन समाधान संस्थागत सुधारों और स्पष्ट कानूनी ढांचे से ही संभव है। सरकार को ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी के लिए आधुनिक कानून बनाकर इस क्षेत्र को विनियमित करना चाहिए, ताकि अवैध गतिविधियों और उनके सामाजिक नुकसानों पर अंकुश लगाया जा सके। साथ ही जनता को इन प्लेटफॉम्र्स के जोखिमों के बारे में जागरूक करना जरूरी है ताकि वे आकर्षक विज्ञापनों के झांसे में न आएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *