चुनावी चोरी : कितना सच, कितना झूठ

पिछले दो बरसों में भारतीय चुनाव प्रक्रिया बहुत ज्यादा संदेह के घेरे में आई है। चुनाव आयोग पर सत्ता पार्टी की पक्षधरता का आरोप आज तक नहीं कोई लगा पाया था। अब उ...

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ढहते पहाड़, तटबंध तोड़ती नदियां, एक बढ़ती पर्यावरणीय चुनौती

वर्तमान समय में हिमालयी क्षेत्र में ढहते पहाड़ और तटबंध तोड़ती नदियां एक गंभीर पर्यावरणीय संकट का रूप ले चुकी हैं। पिछले कुछ वर्षों से भारत के उत्तरी हिस्सों,...

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भूपेश बघेल की कानूनी जंग: राजनीतिक प्रतिशोध या घोटालों की जांच?

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 4 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की। महादेव सट्टा ऐप, शराब घोटाला, कोयला परिवहन ...

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देशभक्ति की कसौटी या जिम्मेदारी की याद?

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – देशभक्ति की कसौटी या जिम्मेदारी की याद?

-सुभाष मिश्रसुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी सीधे तौर पर राहुल गांधी की देशभक्ति पर सवाल नहीं उठाती, बल्कि एक विपक्षी नेता के रूप में उनकी जिम्मेदारी पर जोर देती ह...

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प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा यौन अपराध और समाज की जिम्मेदारी

सत्ता की अंधी दौड़: प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा यौन अपराध और समाज की जिम्मेदारी

कर्नाटक के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को बलात्कार के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। यह फैसला बेंगलुरु की विशेष अदालत ने दिया, जहां रेवन्ना पर...

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कटहल: एक व्यंग्यपूर्ण सामाजिक कॉमेडी जो राष्ट्रीय पुरस्कार की हकदार

फिल्म “कटहल: ए जैकफ्रूट मिस्ट्री” पर आधारित है, जो 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का खिताब जीत चुकी है। अशोक मिश्रा एक प्रशंसित ...

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अंधविश्वास की बलि चढ़ती मासूमियत

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से-अंधविश्वास की बलि चढ़ती मासूमियत

-सुभाष मिश्रभारत एक ऐसा देश है जहां प्रगति और पतन एक साथ सांस लेते हैं। एक ओर हम चंद्रमा और मंगल पर पहुंच रहे ह...

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से - पानी में डूबता, पानी को तरसता देश

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – पानी में डूबता, पानी को तरसता देश

-सुभाष मिश्रभारत, जहां नदियां जीवन की धारा मानी जाती हैं, आज एक विरोधाभासी जल संकट से गुजर रहा है। एक ओर करोड़ो...

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से - भारत में अश्लीलता का बढ़ता बाजार

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – भारत में अश्लीलता का बढ़ता बाजार

-सुभाष मिश्रअश्लीलता के पक्षधर एक तर्क दिया करते हैं कि जहां बहुत वर्जनाएं होती हैं, सेक्स को लेकर परहेज पाला ज...

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से - बिना रीढ़ का सरकारी तंत्र

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – बिना रीढ़ का सरकारी तंत्र

-सुभाष मिश्रजब सरकारी तंत्र कहा जाता है तो इसका आशय उस पूरी सरकारी व्यवस्था से है जो शासन...

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