Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से -मुम्बई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत आते ही राजनीति गरमाई

-सुभाष मिश्रमुम्बई में 26/11/2008 की आतंकी घटना के मुख्य सूत्रधार तहव्वुर राणा को प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत लाकर तिहाड़ जेल में कड़ी सुरक्षा में रखकर घटना के पीछे की स्याह कह...

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – सुशासन तिहार और जमीनी सच्चाई

-सुभाष मिश्रछत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय की भाजपा सरकार का स्लोगन है हमने बनाया है, हम ही संवारेंगे। छत्तीसगढ़ नई सरकार को सुशासन वाली सरकार के रूप में प्रचारित, प्रसारित किया गय...

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से - जानलेवा फर्जीवाड़ा

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – जानलेवा फर्जीवाड़ा

-सुभाष मिश्रदेश में डिग्रियों, नौकरियों, असली-नक़ली और अमानक चीजों की आपूर्ति को लेकर कई तरह के फर्जीवाड़े सुनाई देते हैं, किन्तु यदि यह फर्जीवाड़ा जब लोगों के लिए जानलेवा साबि...

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – किसी की करनी, किसी की भरनी

-सुभाष मिश्रहमारे यहां कहावत है करे कोई, भरे कोई या फिर गेहूं के साथ कभी-कभी धुन भी पीसता है। दरअसल, हम सरकारी भर्ती की प्रक्रिया उसमें हुए भ्रष्टाचार, लापरवाही, अर्हता संबंधी ...

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अंधेरे जीवन की विडंबनाओं की कथा

पुस्तक समीक्षा- अंधेरे जीवन की विडंबनाओं की कथा

वरिष्ठ कथाकार आनंद हर्षुल का उपन्यास ‘देखना’ पढ़ा। यह उपन्यास रेलवे स्टेशन पर जीवन यापन करने वाले भिखारियों के जीवन पर आधारित है। कहानी का मुख्य पात्र एक अंधा व्यक्ति है। यहाँ अंधे...

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति से होगा नक्सलवाद का खात्मा

-सुभाष मिश्रएक बार फिर भाजपा की डबल इंजन वाली सरकार के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ से विशेषकर बस्तर से नक्सलवाद के खात्मे...

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – नक्सल खात्मे को लेकर सरकार और जनता एकमत

-सुभाष मिश्रदशकों से माओवाद पीडि़त दक्षिणी छत्तीसगढ़ में शांति स्थापना के लिए युद्धविराम और शांतिवार्ता के लिए नक्सलियों का राज़ी होना इस बात की सूचना है कि राज्य के माओवाद-विर...

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व्यंग्यात्मक टिप्पणी सुभाष मिश्र

व्यंग्यात्मक टिप्पणी सुभाष मिश्र- मातादीन खैरागढ़ में

-सुभाष मिश्र “ सामयिक संदर्भ “ पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी मातादीन कहीं भी हो सकते हैं । यह एक सिस्टम है जिसमें निर्दोष लोगों को , खिलाफत करने वालों को सबक सीखने की गरज से पुलिसिया प...

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – देश में तेजी से फैल रहा बाबाओं का बाजार

-सुभाष मिश्रपूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां आज से नहीं सैकड़ों सालों से देश के किसी भी हिस्से में कोई भी बाबा प्रकट होता हंै और खुद को अवतारी घोषित कर देता है और एक...

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – वक्फ़ संशोधन बिल क्या वोट की राजनीति है ? 

-सुभाष मिश्रपूरे देश में ख़ासकर मुस्लिम समुदाय में वक्फ़ संशोधन बिल को लेकर काफ़ी कुछ संशय बना हुआ है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, एआईएमपीएलबी और बाक़...

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