:राजेश राज गुप्ता:
कोरिया: सोनहत विकासखण्ड के ग्राम पंचायत अकलासरई के पंजीकृत श्रमिक आनंद पिता जगरूप का जीवन मनरेगा के निजी परकोलेशन टैंक के निर्माण से पूरी तरह बदल गया है। पहले वर्षा आधारित खेती और अकुशल श्रम पर आश्रित रहने वाला यह किसान परिवार आज कृषि, सब्जी उत्पादन और मत्स्य पालन से आत्मनिर्भर हो चुका है।

पहले सिंचाई साधन न होने से सीमित थी उपज
आनंद के पास कुल 4 एकड़ भूमि है, लेकिन सिंचाई के साधन न होने के कारण वे परंपरागत धान की खेती तक ही सीमित थे। पानी की कमी के कारण उत्पादन बेहद कम होता था, जिससे परिवार के लिए खाद्यान्न जुटाना भी चुनौती था। मनरेगा में मिलने वाला अकुशल श्रम ही उनकी आय का मुख्य स्रोत था।
परकोलेशन टैंक ने दिलाई नई राह
मनरेगा के तहत निजी परकोलेशन टैंक (डबरी) निर्माण के बाद उनके ढाई एकड़ खेतों में धान की बंपर पैदावार होने लगी है। अब वे मछली पालन भी कर रहे हैं, जो आय का अतिरिक्त स्रोत बन गया है। सब्जी और दलहन उत्पादन से परिवार की आर्थिक स्थिति लगातार बेहतर हो रही है।

रबी फसलों से बढ़ी उम्मीदें
आनंद ने खरीफ की सफल फसल के बाद अब एक एकड़ भूमि में अरहर, मटर, सरसों, टमाटर और आलू जैसी रबी फसलों की बुवाई की है। मेहनत और सिंचाई सुविधा के भरोसे उन्हें अच्छी आमदनी की उम्मीद है।
कार्य का विवरण
अकलासरई, जनपद पंचायत सोनहत, जिला कोरिया के हितग्राही आनंद पिता जगरूप ने अपने भूमि पर निजी परकोलेशन टैंक का निर्माण कराया है। इसके पहले इस कार्य की 1,99,000 रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति: 21 दिसंबर 2024 को मिली थी।
