जब अमेरिका ने हमें आंख दिखाई तो हमें स्वदेशी की याद आई। अमेरिका के टैरिफ और दादागिरी का जवाब हम स्वदेशी में खोज रहे हैं। महात्मा गांधी ने अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन में न केवल विदेशी सामानों के बहिष्कार का आव्हान किया था बल्कि प्रतीक स्वरूप विदेशी सामान की होली जलाई थी। हिन्द स्वराज की अपनी सोच में गांधीजी गांवो की पूर्ण स्वयत्तता की बात करते थे जिसमें केवल नमक बाहर से लाना होता है। गांधीजी ने नमक आंदोलन चलाया। गांधीजी से परहेज करने वाली भाजपा की सरकार को आज स्वदेशी की बहुत याद आ रही है। वजह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का टैरिफ के बहाने हमें आंख दिखाना है।
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अहमदाबाद में कहा कि – हर किसी के जीवन का मंत्र स्वदेशी होना चाहिए। अमेरिका द्वारा 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लागू करने से एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में स्वदेशी और मेक इन इंडिया की जोरदार वकालत की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार की मेक इन इंडिया पहल ने वैश्विक एवं घरेलू दोनों विनिर्माताओं के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया है। दुनिया अब भारत में बने इलेक्ट्रिक वाहन चलाएगी। देश में बने ई-वाहनों का 100 देशों में निर्यात किया जाएगा।
गांधीजी के सिद्धांतों से थोड़ा हटकर नरेन्द्र मोदी ने स्वदेशी की एक नई परिभाषा देते हुए कहा कि मेरी परिभाषा है कि पैसा कोई भी लगाए, पर काम भारतीय करें। महत्वपूर्ण यह नहीं कि निवेश कौन करता है। खास बात यह है कि उत्पाद बनाने में भारतीयों की मेहनत हो। अब पैसा कहीं से भी आये पसीना हमारा बहेगा। भारत की बहुत सारी प्रतिभाएं जिनमें इंजिनियर, डॉक्टर, टेक्नीशियन, वैज्ञानिक अलग-अलग देशों की कंपनियों में काम करके उनके देश का उत्पादन बढ़ा रहे हैं। अब उन्हें देश के भीतर विदेशी पूंजी के जरिए स्थापित होने वाले उद्योग धंधे में लगाया जायेगा।
स्वदेशी आंदोलन का उद्देश्य विदेशी उत्पादों का बहिष्कार और घरेलू उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देना है। इससे भारतीय उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा, लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि स्वदेशी उत्पादों की गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धी मूल्य वैश्विक बाजार में बनी रहे। यदि भारतीय उत्पाद वैश्विक मानकों के अनुरूप नहीं है तो उनका निर्यात प्रभावित हो सकता है, जिससे वस्तु बाजार की स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
स्वदेशी का सिद्धांत महात्मा गांधी के समय से ही भारतीय समाज में महत्वपूर्ण रहा है, जिसमें स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने और विदेशी निर्भरता को कम करने पर जोर दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ की अवधारणा को आगे बढ़ाते हुए मेक इन इंडिया और स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को प्रोत्साहित किया है।
अमेरिका द्वारा भारत समेत कई देशों पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने के निर्णय के बाद स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देना एक प्रभावी रणनीति हो सकता है। इससे घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और विदेशी निर्भरता कम होगी। हालांकि, यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि स्वदेशी उत्पादों की गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धी मूल्य वैश्विक बाजार में महत्वपूर्ण है।
चीन और रूस जैसे देशों ने अमेरिका के एकतरफा टैरिफ निर्णयों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। चीन ने अमेरिका पर एकतरफावाद, संरक्षणवाद और आर्थिक दबाव डालने का आरोप लगाया है और कहा है कि अमेरिका की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति वैश्विक उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला की स्थिरता को नुकसान पहुंचाती है। रूस ने भी अमेरिकी टैरिफ को आलोचना करते हुए कहा है कि उनके पास BRICS साझेदारों का समर्थन है और अमेरिका के इस कदम से वैश्विक व्यापार व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
अमेरिकी टैरिफ से सबसे पहले और सबसे ज्यादा टैरिफ से पड़ने वाले प्रभावों में टेक्सटाइल सेक्टर पर पड़ने वाला है, क्योंकि अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने भारत पर कुल 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया है, जिसमें 25 फीसदी पेनाल्टी के तौर पर है। भारत ने अमेरिका के इस फैसले को एकतरफा और अनुचित करार दिया है। भारत में बड़े पैमाने पर लोग टेक्सटाइल सेक्टर से जुड़े हैं, जिससे लाखों लोगों की नौकरियां खतरे में है, क्योंकि टैरिफ की वजह से अमेरिका से कपड़ों की डिमांड घटने वाली है। अगर ऑर्डर में गिरावट आती है तो फिर उसका प्रोडक्शन पर असर दिखेगा, जो सीधे तौर पर रोजगार को प्रभावित करेगा। यही वजह है कि अब भारत सरकार अमेरिकी बाजार के विकल्प के तौर पर करीब 40 अन्य मार्केट यानी दूसरे देशों में गारमेंट एक्सपोर्ट पर विचार कर रहा है।
ब्रिटेन, जापान और दक्षिण कोरिया समेत 40 प्रमुख बाजारों में पहुंच की योजना बनाई है। यह बाजार 590 अरब डॉलर का है। इन घटनाओं के मद्देनजर भारत, चीन और रूस के बीच सहयोग बढ़ने की संभावना है, जिससे एक नया वैश्विक राजनीतिक समीकरण बन सकता है। भारत ने अपनी विदेश नीति में रूस और चीन के साथ संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए हैं, जो अमेरिका के टैरिफ निर्णयों के बाद और भी महत्वपूर्ण हो गए हैं।
अनुमान लगाया जा रहा है कि नए शुल्क के बाद भारत के प्रतिस्पर्धियों की स्थिति अमेरिकी बाजार में बेहतर हो जाएगी। एक अनुमान के अनुसार हमें पड़ोसी देशों से भी चुनौतियों का समाना करना पड़ेगा। हमारे पड़ोसी म्यांमार (40 प्रतिशत टैरिफ), थाईलैंड व कंबोडिया (36), बांग्लादेश (35), इंडोनेशिया (32), चीन और श्रीलंका (30), मलयेशिया (25), फिलीपीन और वियतनाम (20) शामिल है। इन देशों के उत्पाद कम टैरिफ लगने के कारण भारतीय उत्पादों की तुलना में अमेरिकी बाजार में कम कीमतों में उपलब्ध होंगे। इसी के साथ जानकारों का कहना है कि भारत को अमेरिकी बाजार के नए विकल्प तलाशने होंगे। खासकर यूरोप, दक्षिण-पूर्व एशिया व अफ्रीका जैसे देशों से निर्यात बढ़ाना होगा। इससे अमेरिका पर निर्भरता कम होगी व टैरिफ के असर को कम करने में मदद मिलेगी।
अमेरिका द्वारा भारत समेत कई देशों पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने के निर्णय का भारतीय अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ने की संभावना है। विशेषकर रत्न आभूषण, वस्त्र-परिधान, मशीनरी, चमड़ा और रसायन जैसे उद्योगों पर इसका प्रतिकूल असर हो सकता है। जिससे उत्पादन में कमी और नौकरियों पर संकट उत्पन्न हो सकता है।