Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – छत्तीसगढ़ में अब सूरज की किरणों से रोशन होगा सूर्यघर

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

छत्तीसगढ़, जो कभी अपनी घने जंगलों और दूरस्थ अंचलों के लिए जाना जाता था, आज सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच रहा है। अब सौर उर्जा के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाने जा रहा है। छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय की सरकार के मंत्रिमंडल की बैठक में 18 जून को लिए गये फैसले के अनुसार छत्तीसगढ़ में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना अंतर्गत घर की छतों में सोलर रूफटॉप संयंत्र की स्थापना में राज्य शासन द्वारा उपभोक्ताओं को वित्तीय सहायता दी जाएगी।
छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के माध्यम से पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत घरेलू उपभोक्ताओं के घरों पर सोलर रूफटॉप संयंत्र लगाने पर केंद्रीय वित्तीय सहायता के साथ-साथ राज्य की ओर से अतिरिक्त वित्तीय सहायता भी दी जाएगी। जो सोलर प्लांट की क्षमता (1 किलोवाट, 2 किलोवाट, 3 किलोवाट और उससे अधिक) के आधार पर अलग-अलग होगी। उदाहरण के लिए, 1 किलोवाट प्लांट के लिए कुल 45,000 रूपए, (30,000 रूपए केंद्रीय और 15,000 रूपए राज्य सहायता) जबकि 3 किलोवाट या उससे अधिक के प्लांट के लिए 1,08,000 रूपए (78,000 रूपए केंद्रीय और 30,000 रूपए राज्य सहायता) की मदद मिलेगी। हाउसिंग सोसाइटी/रेसिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन के लिए भी इसी तरह की सहायता प्रस्तावित की गई है। यह अनुदान राशि सीएसपीडीसीएल को अग्रिम रूप से मिलेगी और वही इसे लाभार्थियों को देगी। वर्ष 2025-26 में 60,000 और 2026-27 में 70,000 सोलर पावर प्लांट की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। इससे वित्तीय वर्ष 2025-26 में 180 करोड़ एवं 2026-27 में 210 करोड़ रूपए का वित्तीय भार आएगा। सीएसपीडीसीएल इस योजना की कार्यान्वयन एजेंसी होगी और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार इसे लागू करेगी। कंपनी इस योजना के संचालन के लिए एक अलग बैंक खाता खोलेगी, जिसमें सब्सिडी की राशि रखी जाएगी और उसका हिसाब-किताब किया जाएगा। राज्य वित्तीय सहायता उन घरेलू उपभोक्ताओं को प्राथमिकता से दी जाएगी जिनके सोलर प्लांट का ग्रिड सिंक्रोनाइजेशन 1 अप्रैल 2025 या उसके बाद हुआ है।
इस समय छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार और केंद्र सरकार की संयुक्त पहल के तहत ‘सौर सुजला योजना और ‘कुसुम योजना जैसे कार्यक्रमों ने ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की पहुंच को आसान बनाया है। सौर ऊर्जा ने न केवल बिजली की समस्या को हल किया है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा दिया है।
राज्य के बस्तर, सुकमा और दंतेवाड़ा जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में, जहां पहले बिजली की पहुंच न के बराबर थी, अब सौर पैनलों की मदद से गांव रोशन हो रहे हैं। सौर ऊर्जा से चलने वाले स्ट्रीट लाइट्स, स्कूलों में बिजली और स्वास्थ्य केंद्रों में उपकरणों का संचालन अब संभव हो पाया है। सौर सुजला योजना किसानों के लिए वरदान बनकर सामने आई है। सौर सुजला योजना के तहत छत्तीसगढ़ में अब तक 1,58,000 सौर पंप स्थापित किए जा चुके हैं। इन पंपों ने न केवल किसानों को सिंचाई के लिए सस्ता और विश्वसनीय साधन उपलब्ध कराया है, बल्कि डीजल और बिजली की लागत को भी कम किया है। यदि हम सौर ऊर्जा की उपलब्धियां की बात करें तो छत्तीसगढ़ में 1,58,000 सौर पंप स्थापित किए गए हैं। 1,69,000 सौर स्ट्रीट लाइट्स, सौर ऊर्जा उत्पादन 7,528 किलोवाट, 22,227 लाभार्थी गांव के अलावा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के 6,454 गांव में बिजली की रोशनी सौर उर्जा के ज़रिए पहुँची है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी छत्तीसगढ़ में क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। सौर ऊर्जा ने ग्रामीण स्कूलों में डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा दिया है। सुकमा के एक स्कूल में अब सौर ऊर्जा से चलने वाले प्रोजेक्टर और कंप्यूटर के जरिए बच्चे आधुनिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। वहीं, स्वास्थ्य केंद्रों में सौर ऊर्जा से वैक्सीन स्टोरेज और आपातकालीन उपकरणों का संचालन संभव हुआ है। छत्तीसगढ़ के दूरस्थ अंचलों में सौर ऊर्जा ने न केवल बिजली की समस्या को हल किया है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक तरक्की को भी नई दिशा दी है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सौर ऊर्जा की पहुंच ने लोगों के जीवन में सुरक्षा और आत्मविश्वास बढ़ाया है। रात के समय सौर स्ट्रीट लाइट्स की रोशनी ने गांवों में सामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया है। सौर ऊर्जा ने छोटे उद्यमों को भी बढ़ावा दिया है। ग्रामीण महिलाएं अब सौर ऊर्जा से चलने वाली सिलाई मशीनों और अन्य उपकरणों का उपयोग करके आत्मनिर्भर बन रही हैं। सौर ऊर्जा ने छत्तीसगढ़ को आत्मनिर्भर भारत के सपने के करीब ला दिया है। राज्य में सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना ने न केवल बिजली उत्पादन को बढ़ाया है, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा किए हैं। युवाओं को सौर पैनल की स्थापना और रखरखाव का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे अपने गांव में ही रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। सौर ऊर्जा के बढ़ते उपयोग ने छत्तीसगढ़ में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद की है। डीजल पंपों और कोयला आधारित बिजली पर निर्भरता कम होने से पर्यावरण को भी लाभ हुआ है। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक छत्तीसगढ़ की 50 प्रतिशत बिजली जरूरतें सौर ऊर्जा से पूरी हो। छत्तीसगढ़ सरकार का लक्ष्य है कि अगले पांच वर्षों में हर गांव तक सौर ऊर्जा की पहुंच सुनिश्चित हो। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काम कर रही है। सौर ऊर्जा न केवल बिजली की समस्या का समाधान है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाने का माध्यम बन रहा है।