Jaitusaav Math- मंदिर की संपत्ति हड़पने वाले माफियाओं पर साय सरकार सख्त

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0 जैतुसाव मठ को वापस मिली 57 एकड़ जमीन

0 कथित महंत की वसीयत और नामांतरण को कमिश्नर ने किया निरस्त

रायपुर। राजधानी के जैतूसाव मठ की 57 एकड़ जमीन पर फर्जी वसीयतनामा बनाकर अपने नाम चढ़ाने वाले कथित महंत राम आशीष दास उर्फ आशीष तिवारी की अपील रायपुर कमिश्नर महादेव कावरे ने खारिज कर दी। इसके साथ ही उसका आबंटन भी निरस्त कर दिया। कथित महंत राम आशीष दास उर्फ आशीष तिवारी ने ट्रस्ट की जमीन जो धरमपुरा में थी, उसे तत्कालीन तहसीलदार अजय चंद्रवंशी से सांठगांठ कर निजी भूमि बताकर अपने नाम पर चढ़वा लिया था। जिसकी कीमत लगभग 300 करोड़ है। इस मामले में आशीष तिवारी भारतमाला सड़क परियोजना मुआवजा घोटाले में जेल में बंद हरमीत सिंह खनुजा का साथी है। जमीन अपने नाम चढ़ते ही आशीष तिवारी ने एक साल पहले इस जमीन को विशाल शर्मा और शराब घोटाले में जेल में बंद एक आरोपी से 13 करोड़ में सौदा करते हुए 2 करोड़ 30 लाख रुपए बयाना ले लिया था। मंदिर की यह जमीन शराब घोटाले में बंद आरोपी के धरमपुरा स्थित फार्म हाउस के बगल में स्थित है, इसलिए उसने इसे खरीदने का सौदा किया था।

श्री रामचन्द्र स्वामी मंदिर, जैतुसाव मठ जो वर्ष 1955 से पंजीकृत सार्वजनिक ट्रस्ट है। जिसकी करीब 300 करोड़ की धरमपुरा स्थित बहुमूल्य संपत्ति को अपने मामा महंत रामभूषण की निजी संपत्ति बताते हुए वसीयतनामा के आधार पर अपने निजी नाम पर चढ़ाने का आदेश कथित महंत राम आशीष ने तत्कालीन तहसीलदार अजय चन्द्रवंशी से सांठगांठ कर प्राप्त कर लिया था। जबकि ठाकुर रामचन्द्र स्वामी मंदिर पंजीकृत सार्वजनिक ट्रस्ट हैं। जिसके प्रबंधक कलेक्टर, रायपुर तथा 10 ट्रस्टी हैं। राम आशीष दास गत तीन वर्षों से रामचन्द्र स्वामी मंदिर जैतुसाव मठ, पुरानी बस्ती की बहुमूल्य जमीनों को बेचने के कार्य में लिप्त है, अपना नाम आशीष तिवारी से महंत राम आशीष दास रख लिया है और अपने को निहंग (ब्रम्हचारी) होना तथा जैतुसाव मठ में रहना बताकर मंदिर के पते पर अपना आधार कार्ड बनवा लिया है। जबकि वह वालफोर्ट सिटी में करोड़ों का बंगला खरीद कर अपनी पत्नी ज्योति तिवारी व दो बच्चों के साथ रहता है। जिसे मंदिर की संपत्ति बेचकर खरीदा है। संभाग आयुक्त महादेव कावरे व अनुविभागीय अधिकारी द्वारा राम आशीष दास के नाम पर अवैध रूप से नामांतरित कराई गई लगभग 57 एकड़ भूमि का नामांतरण रद्द कर श्री ठाकुर रामचन्द्र स्वामी मंदिर, जैतुसाव मठ के नाम पर रखने का आदेश दिया गया है।

आयुक्त महादेव कावरे ने श्री ठाकुर रामचन्द्र स्वामी मंदिर सार्वजनिक ट्रस्ट की भूमि खसरा नंबर 1. 149/1, 284/3, 284/3 का भाग, 302/1, 351, 286, 21/25, 21/2ज, 21/21, 21/2ज्ञ रकबा लगभग 57 एकड़ के अवैध नामांतरण में प्रयुक्त वसीयतनामा को संदेहास्पद मानते हुए तहसीलदार के आदेश दिनांक 27.02.2024 को विधि विरूद्ध व अनुविभागीय अधिकारी के आदेश दिनांक 01.01.2025 को उचित माना। अपने आदेश में लिखा है कि अनुविभागीय अधिकारी रायपुर द्वारा लेख किया गया है कि स्व. रामभूषण दास न्यायालय अपर कलेक्टर रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट के समक्ष श्रीरामचंद्र जी स्वामी जैतुसाव मठ पुरानी बस्ती रायपुर का सर्वराकार नियुक्ति करने का आवेदन किया गया जिसमें प्र.क्र. 05/ब-113(4)/1987-88 में आदेश दिनांक 14.03.1988 में आदेश पारित कर आवेदक श्रीरामभूषण दास को न्यास में न्यासी मान्य किया गया। न्यास का संचालन ट्रस्ट कमेटी द्वारा किया जा रहा है जिसमें कलेक्टर अध्यक्ष है और आवेदन निरस्त किया गया। जिसके कारण वसीयत भी शुरूवात से अकृत, शून्य तथा अधिकारिता रहित है। अधिनस्थ न्यायालय द्वारा यह भी लेख किया गया है कि महंत लक्ष्मीनारायण दास के व्यवस्था पत्र के आधार पर न्यायालय रजिस्ट्रार रायपुर के प्र.क्र. 2/ ब-113(3)/1971-72 में आदेश दिनांक 23.08.1972 के अनुसार महंत लक्ष्मीनारायण दास की मृत्यु के बाद उसके नाम से जितनी चल अथवा अचल संपत्ति को भी वह श्रीरामचंद्र स्वामी जैतुसाव मठ की मानी जायेगी, के अनुसार वादभूमि महंत लक्ष्मीनारायण दास की मृत्यु उपरांत रामचन्द्र स्वामी जैतुसाव मठ की है।

महंत लक्षमीनारायण दास द्वारा प्रथम वसीयत महंत राम भूषण दास को करना संदेहास्पद है। इस प्रकार महंत लक्ष्मीनारायण दास एवं महंत रामभूषण दास द्वारा निष्पादित वसीयत मंदिर ट्रस्ट के व्यापक हित में नहीं होने और ना ही उक्त वसीयत संदेह से परे साबित किये जाने से सर्वराकार की हैसियत से महंत रामभूषण दारा द्वारा वसीयत करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता लिखा है। प्रश्नाधीन वादभूमि महंत रामभूषण दास के नाम पर कभी भी दर्ज नहीं होने महंत रामभूषण दारा को श्रीरामचंद्र स्वामी सर्वराकार महंत लक्ष्मीनारायण दास साकिन पुरानी बस्ती रायपुर के किसी भी चल-अचल संपत्ति को वसीयत/अंतिम इच्छा पत्र निषादित किये जाने का अधिकार नहीं होने से इच्छा पत्र के आधार पर विचारण न्यायालय का आदेश दिनांक 27.02.2024 एवं 28.02.2024 प्रारंभ से शून्य व अकृत होने से इसे निरस्त किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित न्याय दृष्टांत 2022 (1) सी.जी.आर.जे. 92 (एस. सी.) पक्षकार जितेन्द्र सिंह वि. म.प्र. शासन एवं अन्य में आदेश दिनांक 06.09.2021 में अभिनिर्मित के अनुसार वसीयत के आधार पर अधिकार का दावा केवल वसीयत के निष्पादक की मृत्यु के पश्चात् ही किया जा सकता है। यदि हक के संबंध में विशेषकर उस समय कोई विवाद है, जब नामांतरण की प्रविष्टि को वसीयत के आधार पर किये जाने का प्रयास किया गया है तो पक्षकार जो वसीयत के आधार पर हक/अधिकार का दावा कर रहा है, को सिविल न्यायालय में उपागम करना होगा। अपने अधिकारों को स्पष्ट कराना होगा, केवल उसके पश्चात् ही सिविल न्यायालय के समक्ष विनिश्चय के आधार पर आवश्यक नामांतरण किया जा सकता है।

श्रीराम चंद्र जी स्वामी जैतुसाव मठ पुरानी बस्ती रायपुर के सर्वराकार नियुक्ति संबंधी अपर कलेक्टर/रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट द्वारा प्र.क्र. 05/ब-113(4) /1987-88 में आदेश दिनांक 14.03.1988 में राममूषण दास का आवेदन निरस्त किया गया एवं रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट रायपुर के प्र.क्र. 2/ब-113(3)/1971-72 में आदेश दिनांक 23.08. 1972 में महंत लक्ष्मीनारायण दास की मृत्यु पश्चात् उनके नाम की चल अथवा अचल संपत्ति श्रीराम चंद्र स्वामी जैतुसाव मंदिर की माने जाने का व्यवस्था पत्र अनुसार माना गया। आयुक्त श्री कावरे ने अधिनस्थ न्यायालय के आदेश 01.01.2025 से सहमत होते हुए कि ट्रस्ट की संपत्ति को वसीयत करने का कोई औचित्य नहीं होना माना है क्योंकि यह एक पब्लिक ट्रस्ट है। प्रथम वसीयत जो महंत लक्ष्मीनारायण दास द्वारा निष्पादित किया गया उसे संदेहास्पद है।

जैतुसाव मठ के सचिव महेन्द्र अग्रवाल व ट्रस्टी अजय तिवारी ने बताया कि राम आशीष दास व जेल में बंद हरमीत सिंह खनुजा, विजय जैन द्वारा कलेक्ट्रेट रिकार्ड रूम सहित राजस्व के पुराने रिकार्ड में हेराफेरी कर सैकड़ों की मंदिर की जमीनें बेच दी गई है। जिसकी जानकारी ट्रस्ट कमेटी को मिलने से ट्रस्ट कमेटी लगातार कानूनी कार्यवाही कर अपनी जमीन वापस ले रही है। ट्रस्ट की संपत्ति हड़पने राम आशीष दास ने मुस्लिम शब्बीर हुसैन का नाम समीर शुक्ला व उसके पिता का नाम जी.पी. शुक्ला रखकर आधार कार्ड भी बनवा लिया है। वह भी मंदिर की संपत्ति बिक्री का पैसा पावती देकर ले रहा है। ट्रस्ट कमेटी ने माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही के लिए साय सरकार को धन्यवाद ज्ञापित किया है।