Jam- सड़क और प्रांगण में जाम के हालात

अव्यवस्था से दूसरे कारोबार भी प्रभावित
बन रही आंदोलन की मानसिकता

राजकुमार मल
भाटापारा- सड़क पर दो दिवस। प्रांगण में भी इतना ही समय। किसानों से होती हुई यह परेशानी अब संस्थानों और शहर के अंदरूनी हिस्सों में भी दस्तक दे चुकी है। फलस्वरुप अब आंदोलन की मानसिकता बनती देखी जा रही है।

रबी फसल की आवक अब न केवल आवाजाही को प्रभावित कर रही है बल्कि व्यापारिक गतिविधियों पर भी प्रतिकूल असर डालने लगी हैं। खासकर भवन निर्माण सामग्री और खाद, बीज विक्रेता संस्थानें इस अव्यवस्था से ज्यादा प्रभावित हो रहीं हैं क्योंकि अधिकांश संस्थानें कृषि उपज मंडी मार्ग पर ही हैं।
रास्ते बंद यहां के लिए
खरीफ की तैयारी आहिस्ता- आहिस्ता जोर पकडऩे लगीं हैं। ऐसे में जरूरी बीज और उर्वरक दुकानें तैयार हैं लेकिन संस्थानों तक पहुंचने के सारे रास्ते बंद हैं क्योंकि गलियों तक में कृषि उपज से भरी वाहनें खड़ी हैं। इसलिए जरूरतमंद किसान संस्थानों तक पहुंच नहीं पा रहे हैं। चिंता इसलिए भी बढ़ रही है क्योंकि मानसून प्रवेश के लिए ज्यादा समय नहीं रह गया है।
ब्रेक भवन निर्माण पर
सीमेंट और छड़। बारिश के पूर्व शासकीय और निजी क्षेत्र की मांग में हैं लेकिन विक्रेता संस्थानों तक बीते एक सप्ताह से उठाव के आर्डर नहीं है। पहुंच की राह इन संस्थानों तक भी आसान नहीं रह गई है क्योंकि कृषि उपज से भरी वाहनें संस्थानों के ठीक सामने खड़ी हुई हैं। बड़ा असर आधे-अधूरे भवनों पर पड़ रहा है जहां सीमेंट और छड़ की तत्काल जरूरत है।
बन रही मानसिकता आंदोलन की
जिला प्रशासन और मंडी प्रबंधन ने जिस तरह की खामोशी अख्तियार कर रखी हैं उसे देखते हुए अब आंदोलन की मानसिकता बनती देखी जाने लगी है क्योंकि आवाजाही और व्यापारिक गतिविधियों के साथ सामान्य जनमानस भी फैलती अव्यवस्था के घेरे में आ चुका है। नाराजगी जनप्रतिनिधियों से भी है क्योंकि जानकर भी अंजान बने हुए हैं।

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