विधायक ने गौरव पथ भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई हेतु अनशन के साथ विधानसभा में उठाया था मामला
नपा के इंजीनियर को पहले ही किया जा चुका है सस्पेंड
दिलीप गुप्ता
सरायपाली। विधायक चातुरी नंद की गौरव पथ निर्माण में भ्रष्टाचार और अनियमितता के मामले में आक्रमक रुख के चलते आखिरकार राज्य सरकार ने संज्ञान लिया है और तत्कालीन इंजीनियर के बाद अब तत्कालीन सीएमओ को भी निलंबित कर दिया है।
गौरव पथ भ्रष्टाचार मामले पर मीडिया को जारी प्रेस विज्ञप्ति में विधायक चातुरी नंद ने कहा कि शहर को संवारने पूर्व में कांग्रेस की सरकार ने 44 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की थी परंतु भाजपा सरकार आते ही गौरव पथ निर्माण में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। गौरव पथ डिवाइडर की ऊंचाई कम करने, घटिया सामग्री का उपयोग करने समेत कई अनियमिताओं को लेकर मैने नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव समेत वरिष्ठ अधिकारियों से इसकी जांच की मांग की थी और विधानसभा में मामले को उठाया था। साथ ही एक दिवसीय भूख हड़ताल भी करना पड़ा था। गौरव पथ निर्माण में शुरू से लापरवाही बरती जा रही थी परंतु जैसे ही पालिका में भाजपा का अध्यक्ष प्रभार दिया गया तब से घोर अनियमितता बरती गई जिसके चलते आज गौरव पथ पूरी तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है।
उन्होंने कहा कि गौरव पथ भ्रष्टाचार मामले में तत्कालीन सीएमओ और इंजीनियर के सस्पेंड से स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस पार्टी ने जो आरोप लगाया था वो शत प्रतिशत सही है। विधायक चातुरी नंद ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि पोल शिफ्टिंग कार्य में भी भारी गड़बड़ी की जा रही है। इस्टीमेट में नए पोल लगाने का प्रावधान है लेकिन ठेकेदार द्वारा नियम विरुद्ध पुराने पोल पर ही डेंटिंग पेंटिंग कर लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पोल शिफ्टिंग के लिए 5 करोड़ रुपए का प्रावधान है लेकिन ठेकेदार नियम को ठेंगा दिखाते हुए कार्य कर रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव से पहले भाजपा विकास की बात करती है लेकिन चुनाव जीतते ही आकंठ भ्रष्टाचार में डूब जाती है। भाजपा की कथनी और करनी में फर्क है। भाजपा जो कहती है वो बिल्कुल नहीं करती। राज्य में डबल इंजन की सरकार है लेकिन नगर पालिका में मूलभूत सुविधाओं की आज भी कमी बनी हुई है। वार्डवासी नाली, बिजली, पानी, सड़क समेत मूलभूत सुविधाओं से आज भी परेशान है।
विदित हो कि गौरव पथ निर्माण में गड़बड़ी को लेकर क्षेत्रीय विधायक चातुरी नंद लगातार मुखर रही है। उन्होंने एक दिवसीय भूख हड़ताल के साथ ही उच्चाधिकारियों को जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी और विधानसभा में भी मामले को उठाया था।