भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में कार्यरत रहे वरिष्ठ आईएएस अफसर सुबोध सिंह की छत्तीसगढ़ में वापसी हो रही है। सुबोध सिंह को इस साल नीट-यूजी पेपर लीक मामले में हटाया गया था, लेकिन अब वे राज्य सरकार के आग्रह पर अपनी पुरानी भूमिका में वापस लौटने जा रहे हैं। उनका नाम प्रमुख सचिव (पीएस) के पद के लिए सुझाया गया है, जो राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था में एक नई ऊर्जा का संचार करेगा।
सूबोध सिंह की प्रशासनिक यात्रा: रमन सरकार में बड़ी भूमिका, अब मुख्यमंत्री सचिवालय में अहम जिम्मेदारी
सुबोध सिंह, जो अपने 1997 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं, पहले भी छत्तीसगढ़ के कई जिलों में कलेक्टर के रूप में अपनी उत्कृष्ट सेवाएं दे चुके हैं। रमन सरकार में वे मुख्यमंत्री सचिवालय के प्रमुख अधिकारियों में से एक थे, जहां उन्होंने न केवल प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत किया, बल्कि कई अहम फैसलों में भी अपनी छाप छोड़ी।
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गौरतलब है कि…
रमन सरकार के बाद जब कांग्रेस की सरकार बनी, तो सुबोध सिंह दिल्ली में केंद्रीय सरकार के विभिन्न विभागों में अहम पदों पर तैनात हुए। उन्होंने खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्रालय में संयुक्त सचिव से लेकर एनटीए (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) के महानिदेशक तक का जिम्मा संभाला। हालांकि, नीट-यूजी पेपर लीक मामले के बाद उन्हें इस पद से हटा दिया गया, लेकिन उनकी प्रशासनिक छवि और अनुभव को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने उनकी वापसी की मांग की, जो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश से पूरी हुई।
*पावर सेंटर की अहम जिम्मेदारी*
सुबोध सिंह की वापसी से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री सचिवालय में महत्वपूर्ण बदलाव की संभावना जताई जा रही है। उनकी प्रशासनिक क्षमता और सिस्टम में सुधार करने की दिशा में उनकी नीतियां प्रदेश की कार्यप्रणाली को और मजबूत कर सकती हैं। उनके अनुभव और कड़ी मेहनत से मुख्यमंत्री सचिवालय की कार्यप्रणाली में सुधार होगा, साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार के डिजिटल प्रोजेक्ट्स, जैसे ई-ऑफिस को भी नया आयाम मिल सकता है।
बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था की ओर कदम
सुबोध सिंह की वापसी से न केवल छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक व्यवस्था को ताकत मिलेगी, बल्कि मुख्यमंत्री साय के ड्रीम प्रोजेक्ट्स पर भी तेजी से काम हो सकता है। उनकी छवि एक साफ-सुथरी और निष्पक्ष अफसर के रूप में स्थापित है, जिससे राज्य सरकार को काफी उम्मीदें हैं कि उनकी नियुक्ति से भ्रष्टाचार में कमी आएगी और कार्यप्रणाली में पारदर्शिता आएगी।
इस बीच, सुबोध सिंह के परिवार के अनुसार, उनके पिता जो एक शिक्षक थे, ने उन्हें बड़े सपने दिखाए और उन्हें पूरे करने का रास्ता भी बताया। उनकी जीवन यात्रा, एक छोटे से शिक्षक के घर से लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा में उच्चतम पदों तक पहुंचने तक की, प्रेरणादायक है।
सुबोध सिंह का छत्तीसगढ़ लौटना न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राज्य के विकास और सरकार की योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में भी मदद करेगा।