Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – यात्रा के लिए कौन सा मार्ग सुरक्षित है

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

मेरे कुछ जानने वालों को हवाई यात्रा से डर लगता है। कुछ ट्रेन खासकर उसके टायलेट की गंदगी, ट्रेन के बार-बार रूकने डिले होने से ट्रेन की यात्रा से बिदकते हैं। कुछ लोगों को सड़क मार्ग अच्छा लगता है बशर्ते कि लंबा ट्रैफिक जाम ना हो और ड्राइवर पीकर या नींद में उनींदा होकर गाड़ी ना चला रहा हो। हमारे देश में करोड़ों लोग ऐसे हैं जो हवाई जहाज़, ट्रेन में नहीं चढ़े। अभी हमारे देश की बड़ी आबादी ज़्यादा यात्रा नहीं करती। इसके बावजूद बस स्टेंड, रेल्वे स्टेशन, एयरपोर्ट पर लंबी-लंबी लाइन देखने को मिलती है। किसी भी मार्ग से जाओ, यात्रा की सुखद अनुभूति के साथ उसके ख़तरे भी मौजूद रहते हैं ।

सरफऱाज़ शाहिद का एक शेर है –

न इतरा अगर बच गया हादसे से
सड़क पर अभी लारियां और भी हैं।

कुछ लोग धार्मिक यात्रा पर केदारनाथ गये थे। केदारनाथ के गौरीकुंड के पास हुए हेलीकॉप्टर हादसे में पायलट सहित सात लोगों की जान चली गई। इस हादसे के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम की हेलीकाप्टर यात्रा पर रोक लगाते हुए इसके संचालन के लिए कड़े नियम बनाने की बात कही। अभी तीन दिन पहले ही गुजरात के अहमदाबाद में लंदन जा रहा एक बोइंग विमान आग के गोले में तब्दील हो गया, बहुत सारे परिवारों में मातम पसरा हुआ है। बहुत सारी मार्मिक कहानियां निकल-निकलकर बाहर आ रही हैं।

प्रसंगवश-साक़ी फ़ारुक़ी का शेर याद आता है

मुझे ख़बर थी मेरा इन्तजार घर में रहा,
ये हादसा था कि मैं उम्र भर सफऱ में रहा

हाल के वर्षों में बोइंग विमानों और हेलिकॉप्टर दुर्घटनाओं की बढ़ती घटनाओं ने वैश्विक स्तर पर विमानन उद्योग की सुरक्षा और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इन दुर्घटनाओं में न केवल अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है, बल्कि हजारों निर्दोष लोगों की जान भी गई है। बोइंग, जो कभी इंजीनियरिंग का प्रतीक माना जाता था, अब तकनीकी खामियों, प्रबंधन की लापरवाही और मुनाफे को प्राथमिकता देने के आरोपों के घेरे में है।
भारत में हवाई मार्ग से कहीं ज़्यादा जानें सड़क और रेल हादसों में जाती हैं । हालिया आँकड़ों के मुताबिक 2022 में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 1,68,491 लोगों की मृत्यु और 4,43,366 लोग घायल हुए। वर्ष 2023 मेंकेंद्र सरकार को राज्यों द्वारा साझा किए गए आँकड़ों के अनुसार, लगभग 4.8 लाख दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 1.73 लाख लोगों की मृत्यु हुई। औसतन 460 से अधिक मौतें प्रतिदिन। वर्ष 2024 में 46,052 दुर्घटनाओं में 24,118 मौतें और 34,665 लोग घायल हुए (एक राज्य के आँकड़े)। पूरे देश में अनुमानित 1.8 लाख मौतें और इस साल यानी 2025 में प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, सड़क दुर्घटनाएं और मृत्यु दर में वृद्धि जारी है, विशेष रूप से दोपहिया वाहन चालकों में।
यदि बात रेल दुर्घटनाओं करें तो ये भी कम नहीं है। भारतीय रेलवे जो देश की जीवनरेखा है, उसकी दुर्घटनाओं से जुड़े आंकड़े भी चौंकाते हैं। वर्ष 2019 से 2024 के बीच पिछले पाँच वर्षों में 200 बड़ी रेल दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 351 लोगों की मृत्यु और 970 लोग घायल हुए। 2021 में रेलवे ट्रैकों पर गिरने या अन्य कारणों से 11,000 से अधिक मौतें। 2024 में सात बड़े हादसे, जिनमें पश्चिम बंगाल में एक टक्कर में 11 मृत्यु और 60 से अधिक घायल। झारखंड और उत्तर प्रदेश में पटरी से उतरने (डिरेलमेंट) और टक्कर की घटनाएं। 2025 में ठाणे में लोकल ट्रेन से गिरकर 5 लोगों की मृत्यु हुई।
विमान जिसके ज़रिए लंबी दूरी जल्दी तय हो जाती है, अपना समय बचाने और सुरक्षित, शीघ्र पहुँचने की चाहत में लोग जो इस यात्रा का खर्च वहन कर सकते है हवाई यात्रा करते हैं। इस हवाई यात्रा की दुर्घटनाओं में मरने वाले अधिकांश लोग आम यात्री, सैन्यकर्मी या नागरिक थे, जिनका कोई दोष नहीं था। बोइंग के हादसों में अब तक लगभग 9,000 लोगों की मृत्यु हो चुकी है, जिसमें 6,000 से अधिक दुर्घटनाएँ शामिल हैं। यह आंकड़ा न केवल तकनीकी विफलता, बल्कि जवाबदेही की कमी और लापरवाही को भी उजागर करता है। प्रत्येक हादसा न केवल परिवारों के लिए अपूरणीय क्षति है, बल्कि समाज में विमानन उद्योग के प्रति अविश्वास को भी बढ़ाता है।
यदि हम इन दुर्घटनाओं के कारणों की पड़ताल करें तो बोइंग की कई दुर्घटनाएँ, विशेष रूप से 737 मैक्स मॉडल से जुड़ी, फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम जैसे मैन्युवरिंग कैरेक्टरिस्टिक्स ऑगमेंटेशन सिस्टम की खामियों से संबंधित रही हैं। 2018 में इंडोनेशिया की लायन एयर फ्लाइट 610 और 2019 में इथियोपियन एयरलाइंस फ्लाइट 302 में क्रमश: 189 और 157 लोगों की मृत्यु हुई। इन हादसों का कारण एमसीएएस का गलत तरीके से सक्रिय होना था, जिसने विमान को नीचे की ओर धकेल दिया। हेलिकॉप्टर दुर्घटनाओं में भी इंजन विफलता, मैकेनिकल त्रुटियां और रखरखाव की कमी प्रमुख कारण रहे हैं। उदाहरण के लिए पुराने हेलिकॉप्टर मॉडल्स में स्पेयर पार्ट्स की अनुपलब्धता और अपर्याप्त रखरखाव घातक सिद्ध हुआ है।
लीक हुए दस्तावेज़ों और आंतरिक संवादों से पता चलता है कि बोइंग ने सुरक्षा मानकों को दरकिनार कर लागत में कटौती और तेज़ उत्पादन को प्राथमिकता दी। इंजीनियरों ने सिस्टम की खामियों की चेतावनी दी थी, लेकिन प्रबंधन ने इन चेतावनियों को नजऱअंदाज़ किया। यह केवल बोइंग तक सीमित नहीं है; हेलिकॉप्टर निर्माता भी पुराने मॉडल्स को अपग्रेड करने के बजाय उनके संचालन को जारी रखते हैं, जिससे जोखिम बढ़ता है। कई एयरलाइंस और ऑपरेटर लागत बचाने के लिए पुराने विमानों और हेलिकॉप्टरों का उपयोग करते हैं। ये पुराने मॉडल आधुनिक सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करते। उदाहरण के लिए, बोइंग के पुराने 737 मॉडल्स और कुछ हेलिकॉप्टरों में अप्रचलित तकनीक और थकान से प्रभावित संरचनाएँ होती हैं, जो दुर्घटना का कारण बन सकती हैं।
पायलटों और चालक दल को अपर्याप्त प्रशिक्षण, विशेष रूप से नए सॉफ्टवेयर सिस्टम्स के लिए, दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण रहा है। बोइंग 737 मैक्स के मामले में, पायलटों को एमसीएएस के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं दी गई थी। हेलिकॉप्टरों में भी, जटिल परिस्थितियों में त्वरित निर्णय लेने के लिए अपर्याप्त प्रशिक्षण घातक साबित हुआ है।
पूर्व की दुर्घटनाओं के बाद बोइंग और अन्य निर्माताओं ने सुरक्षा ऑडिट और सुधारों को लागू करने में ढिलाई बरती। उदाहरण के लिए, 2018 और 2019 की दुर्घटनाओं के बाद बोइंग को 737 मैक्स का परिचालन रोकना पड़ा, जिससे 30 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। फिर भी, हाल की घटनाएँ जैसे 2024 में साउथ कोरिया और 2025 में अहमदाबाद में एयर इंडिया की दुर्घटना (फ्लाइट एआई -171) बताती हैं कि सुधार अपर्याप्त रहे। इसी तरह हेलिकॉप्टर दुर्घटनाओं की बात की जाये तो पुराने मॉडल्स जैसे बेल और सिकोरस्की हेलिकॉप्टरों में मैकेनिकल विफलता और रखरखाव की कमी के कारण कई हादसे हुए। भारत में 2019 की एक सैन्य हेलिकॉप्टर दुर्घटना में तकनीकी खामी को कारण माना गया था। यदि हम इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकना चाहते हैं तो इसके संभावित समाधानों में बोइंग और हेलिकॉप्टर निर्माताओं को नियमित और पारदर्शी ऑडिट से गुजरना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय विमानन संगठनों को कड़े मानक लागू करने चाहिए। पुराने विमानों और हेलिकॉप्टरों को आधुनिक तकनीक के साथ अपग्रेड करना या उन्हें चरणबद्ध तरीके से हटाना आवश्यक है। पायलटों और चालक दल को नवीनतम सिस्टम्स और आपातकालीन प्रक्रियाओं का गहन प्रशिक्षण देना होगा। निर्माताओं और एयरलाइंस को सुरक्षा मानकों के उल्लंघन के लिए कड़ी सजा और आर्थिक दंड का प्रावधान होना चाहिए।
साइबर हमलों और तकनीकी खामियों से बचने के लिए उन्नत सेंसर, एआईआधारित निगरानी और सुरक्षित सॉफ्टवेयर सिस्टम्स को अपनाना चाहिए।

बोइंग विमान और हेलिकॉप्टर दुर्घटनाएँ केवल तकनीकी विफलताओं का परिणाम नहीं हैं, बल्कि प्रबंधन की लापरवाही, मुनाफाखोरी और सावधानी के अभाव का भी द्योतक है। पूर्व की दुर्घटनाएं जैसे 2018 और 2019 के हादसों ने स्पष्ट चेतावनियाँ दी थीं, फिर भी हाल की घटनाएँ बताती है कि सुधार अपर्याप्त रहे। निर्दोष लोगों की मृत्यु एक ऐसी त्रासदी है, जिसे रोका जा सकता था। विमानन उद्योग को अब जवाबदेही, पारदर्शिता और सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को टाला जा सके। यह समय है कि बोइंग और अन्य निर्माता अपनी गलतियों से सबक लें और मानव जीवन को मुनाफे से ऊपर रखें।