The Dalai Lama- दलाई लामा ने किया उत्तराधिकारी का चयन

The Dalai Lama

नई दिल्ली।  निर्वासित तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा 6 जुलाई को 90 साल के हो जाएंगे। दलाई लामा का यह जन्मदिन बेहद खास होने वाला है क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि वो अपने उत्तराधिकारी का ऐलान कर सकते हैं। दलाई लामा ने इस साल मार्च में प्रकाशित अपनी किताब ‘वॉइस फॉर द वॉइसलेस’ में पहली बार बताया था कि उनका उत्तराधिकारी स्वतंत्र दुनिया में और चीन के बाहर पैदा होगा। तिब्बती बौद्ध धर्म में नए दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन विशेष पारंपरिक प्रक्रिया के जरिए किया जाता है। यह प्रक्रिया बेहद रोचक है और पुनर्जन्म से भी जुड़ी है। चलिए इस बार में आपको बताते हैं।

धार्मिक और रहस्यमयी है प्रक्रिया

दलाई लामा तिब्बती बौद्ध धर्म की सबसे ऊंची धार्मिक पदवी मानी जाती है। यह केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक तुल्कु परंपरा (पुनर्जन्म की मान्यता) का प्रतीक है। दलाई लामा को अवलोकितेश्वर (करुणा के बोधिसत्व) का अवतार माना जाता है। जब एक दलाई लामा का निधन होता है, तो उनका पुनर्जन्म खोजा जाता है और वही उनके उत्तराधिकारी बनते हैं। दलाई लामा का उत्तराधिकारी कोई नियुक्त पदाधिकारी नहीं होता, बल्कि उसे खोजा जाता है। यह प्रक्रिया काफी लंबी, धार्मिक और रहस्यमयी होती है। आइए चरणबद्ध तरीके से समझते हैं।

दलाई लामा की मृत्यु और पुनर्जन्म

जब वर्तमान दलाई लामा का निधन होता है, तब तिब्बती बौद्ध भिक्षु यह मानते हैं कि उनका पुनर्जन्म (reincarnation) जल्द ही होगा। इसके बाद उत्तराधिकारी की खोज शुरू होती है। तिब्बती परम्परा में यह मान्यता है कि वरिष्ठ बौद्ध भिक्षु की आत्मा उसकी मृत्यु के बाद पुनर्जन्म लेती है।

संकेत और भविष्यवाणी

दलाई लामा की मृत्यु के बाद, वरिष्ठ लामाओं द्वारा ध्यान और प्रार्थना के माध्यम से संकेतों का निरीक्षण किया जाता है। ल्हामो लात्सो नाम की पवित्र झील में वरिष्ठ भिक्षु ध्यान लगाकर संकेत प्राप्त करते हैं – जैसे किसी गांव का नाम, कोई दिशा, या कोई दृश्य। संकेतों के आधार पर पुनर्जन्म हुए बालक की खोज की जाती है। कई दल पूरे तिब्बत, नेपाल, भूटान या भारत के हिमालयी क्षेत्रों में भ्रमण करते हैं।

परीक्षण की प्रक्रिया

जब किसी विशेष बच्चे पर संदेह होता है कि वही नया दलाई लामा हो सकता है, तो उसके साथ विशेष परीक्षण किए जाते हैं। बच्चे से पिछले दलाई लामा की वस्तुओं जैसे माला, कपड़े, छड़ी आदि में से सही वस्तु की पहचान करवाई जाती है। इस दौरान व्यवहार और बुद्धिमत्ता का निरीक्षण किया जाता है साथ ही ध्यान और स्वभाव भी परखा जाता है। यदि बच्चा यह सब सफलतापूर्वक करता है, तो उसे दलाई लामा घोषित किया जाता है। परीक्षण की प्रक्रिया चुने गए बालक को मठ में लाकर विशेष अनुष्ठानों के जरिए गद्दी पर बैठाया जाता है। उसे वर्षों तक बौद्ध धर्म, संस्कृत, तिब्बती संस्कृति और दर्शन की शिक्षा दी जाती है।

राजनीतिक जटिलताएं (वर्तमान समय में)

चीन दावा करता है कि वह दलाई लामा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति में अधिकार रखता है, जबकि तिब्बती समुदाय इसे धार्मिक स्वतंत्रता का हनन मानता है। चीन का कहना है कि उसके नेताओं को शाही समय से विरासत के रूप में दलाई लामा के उत्तराधिकारी को मंजूरी देने का अधिकार है। चीन के दावों और बयानों से इतर तिब्बती सरकार-इन-एक्साइल के स्पीकर खेनपो सोनम तेनफेल पहले ही कह चुके हैं कि किसी भी स्थिति में तिब्बती सिर्फ दलाई लामा के बताए गए उत्तराधिकारी को ही स्वीकार करेंगे।

ये है अनोखी और पवित्र परंपरा

दलाई लामा का उत्तराधिकारी बनना एक लोकतांत्रिक या विरासती नहीं, बल्कि आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसमें पुनर्जन्म, चमत्कारिक संकेत और धार्मिक परीक्षण का समावेश होता है। यह तिब्बती बौद्ध धर्म की एक अनोखी और पवित्र परंपरा है, जो आज भी रहस्य और भक्ति से भरपूर है।