-सुभाष मिश्र
जब कोई राज्य अपनी रजत जयंती मनाता है, तो वह केवल बीते वर्षों का उत्सव नहीं होता, बल्कि उस यात्रा का सम्मान होता है जिसमें संघर्ष, उम्मीदें और संकल्प एक साथ चलते हैं। छत्तीसगढ़ जब अपने स्थापना के 25 वर्ष पूरे कर रहा है, तब यह अवसर स्मरण का ही नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने का भी है। इस ऐतिहासिक क्षण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रायपुर यात्रा पूरे राज्य के लिए ऊर्जा, आत्मगौरव और नए विकास-संकल्प का प्रतीक बनकर उभर रही है।
प्रधानमंत्री की यह यात्रा केवल औपचारिक कार्यक्रमों की श्रृंखला नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की जनता के परिश्रम और विश्वास का सम्मान है। रायपुर की धरती पर उनका आगमन उस ‘नए भारतÓ की भावना का प्रतीक है, जहाँ हर राज्य अपनी विशिष्ट पहचान के साथ राष्ट्रीय विकास में सहभागी है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के छह कार्यक्रम राज्य के विकास, लोकतंत्र और संस्कृति—तीनों स्तरों पर नई दिशा देने वाले हैं।
रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में आयोजित राज्योत्सव-2025 इस बार ऐतिहासिक रूप ले चुका है। प्रधानमंत्री के मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने से यह आयोजन केवल राज्य का नहीं, बल्कि पूरे देश का उत्सव बन गया है। मंच पर जब वे प्रदेश की जनता से संवाद करेंगे, तो यह संबोधन केवल औपचारिक नहीं होगा, बल्कि पच्चीस वर्षों की उस सामूहिक यात्रा का उत्सव होगा, जिसमें संघर्ष से स्थायित्व और संसाधनों से समृद्धि की कहानी गुँथी है। यही वह छत्तीसगढ़ है जिसने 2000 में अपने अस्तित्व की शुरुआत की थी और आज आत्मविश्वास के साथ हरित औद्योगिक राज्य की दिशा में बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी रायपुर में नव-निर्मित छत्तीसगढ़ विधानसभा भवन का उद्घाटन करेंगे, जो लोकतंत्र की नई चेतना का प्रतीक बनेगा। यह भवन केवल वास्तुशिल्प का उदाहरण नहीं, बल्कि संवाद, पारदर्शिता और जवाबदेही की भावना का मूर्त रूप है। स्वतंत्र भारत के संघीय ढाँचे में यह कदम उस सहयोगी संघवाद की भावना को सशक्त करता है जिसकी प्रधानमंत्री लंबे समय से वकालत करते आए हैं। इस यात्रा का सबसे मानवीय पक्ष तब झलकेगा जब प्रधानमंत्री रायपुर स्थित सत्य साँई संजीवनी अस्पताल में हृदय रोग से जूझ रहे बच्चों से भेंट करेंगे। यह दृश्य विकास की उस परिभाषा को विस्तार देता है जिसमें संवेदना को केंद्र में रखा गया है। आर्थिक प्रगति और मानवीय संवेदनशीलता जब साथ चलती हैं, तभी किसी राज्य का वास्तविक उत्थान संभव होता है।
प्रधानमंत्री छत्तीसगढ़ में हरित ऊर्जा आधारित औद्योगिक हब की आधारशिला भी रखेंगे, जो राज्य की अर्थव्यवस्था को नए युग में ले जाने वाला कदम होगा। कोयला और लौह-अयस्क की पारंपरिक पहचान से आगे बढ़कर अब छत्तीसगढ़ हरित ऊर्जा, सौर उत्पादन और ग्रीन ट्रांसपोर्ट की दिशा में अग्रसर है। यह पहल प्रधानमंत्री की ‘मेक इन इंडियाÓ और ‘मिशन लाइफÓ की उस दृष्टि का हिस्सा है जिसमें पर्यावरण, रोजगार और निवेश तीनों एक साथ आगे बढ़ते हैं। रायपुर के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री का युवा संवाद कार्यक्रम आने वाले छत्तीसगढ़ की रूपरेखा तय करेगा। नई पीढ़ी ही उस स्वर्णिम छत्तीसगढ़ की नींव रखेगी जिसका सपना राज्य ने अपनी रजत जयंती पर देखा है। प्रधानमंत्री का यह संवाद केवल प्रेरणा नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का भी आह्वान है कि युवाओं को आत्मनिर्भर भारत के साथ आत्मविश्वासी छत्तीसगढ़ के निर्माण में अग्रणी बनना है।
प्रधानमंत्री मोदी का आदिवासी गौरव परिसर का उद्घाटन छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक आत्मा को समर्पित क्षण होगा। इस परिसर में बस्तर, सरगुजा और माड़ क्षेत्र की परंपराएँ, लोकनृत्य और शौर्यगाथाएँ संजोई जाएँगी। यह वह पहचान है जो इस प्रदेश की आत्मा में बसी है और जो आज राष्ट्रीय गौरव का हिस्सा बन रही है। प्रधानमंत्री की यह पहल दर्शाती है कि भारत की विविधता ही उसकी वास्तविक शक्ति है।
इन सबके बीच यह यात्रा छत्तीसगढ़ की उपलब्धियों की पुनर्पुष्टि भी है। दो दशकों में राज्य ने शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला स्व-सहायता समूहों और ग्रामीण ढाँचों में उल्लेखनीय प्रगति की है। नक्सलवाद की चुनौती को धीरे-धीरे पीछे छोड़कर अब यह राज्य निवेश और नवाचार का केंद्र बन रहा है। प्रधानमंत्री की यह यात्रा उसी परिवर्तन की गवाही है जहाँ भय की जगह भरोसा, और ठहराव की जगह गतिशीलता ने ली है।
इस बार का राज्योत्सव केवल सरकारी आयोजन नहीं रहा। रायपुर से बस्तर, सरगुजा से रायगढ़ तक पूरा प्रदेश लोकनृत्य, हस्तशिल्प मेले और महिला समूहों की प्रदर्शनी के रंग में डूबा है। दीपों की चमक में विकास की आशा झिलमिला रही है। यह उत्सव आत्मगौरव और जनभागीदारी का उत्सव है, जो बताता है कि छत्तीसगढ़ अब संघर्ष की कहानी नहीं, बल्कि सफलता की मिसाल बन चुका है। रजत जयंती का यह अवसर एक नई शुरुआत का संकेत है। प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति ने इस राज्य स्थापना दिवस को केवल एक तारीख नहीं, बल्कि एक संकल्प में बदल दिया है कि अगले 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ खनिजों का प्रदेश नहीं, बल्कि हरित ऊर्जा और मानव विकास की राजधानी बनेगा।
हमने पच्चीस साल तय किए हैं संघर्ष और सपनों के, अब अगले पच्चीस साल होंगे सृजन और समृद्धि के। रायपुर की रोशनी, विधानसभा की नई चमक, बच्चों की मुस्कान और लोक संस्कृति की ताल—सब मिलकर यही संदेश दे रहे हैं कि छत्तीसगढ़ अब अपनी रजत जयंती पार कर स्वर्णिम भविष्य की ओर बढ़ चुका है। यह उत्सव बीते समय का स्मरण ही नहीं, आने वाले युग की दिशा भी है जहाँ परंपरा और आधुनिकता, संवेदना और विकास एक साथ चलें, और छत्तीसगढ़ भारत की प्रगति का उज्ज्वल अध्याय बने।