-सुभाष मिश्र
भारत में सोने का आकर्षण कोई नई बात नहीं। शादी-ब्याह, तीज-त्योहार से लेकर मृत्यु की स्वर्ग निसैनी तक, सोना हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। कहते हैं, ‘हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती,’ पर हमारे देश में सोने की चमक ने हर दिल को बांध रखा है। मगर इस चमक के पीछे अब एक काला सच उभर रहा है, भ्रष्टाचार की काली कमाई को ठिकाने लगाने का नया जरिया, सोने की तस्करी।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने हाल ही में छत्तीसगढ़ में सोने की तस्करी के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया। कोर्ट में पेश चालान में खुलासा हुआ कि महादेव सट्टा ऐप, आबकारी घोटाले और डीएमएफ फंड जैसे मामलों में काली कमाई करने वालों ने अपने धन को सोने की ईंटों और बिस्किट में बदला। रायपुर में छापेमारी के दौरान सराफा दुकानों और मकानों से तस्करी का सोना बरामद हुआ, और तीन सराफा कारोबारियों को जेल भेजा गया।
‘सोना नहीं, यह काले धन की लंका,
जो हनुमान की आग में जल जाए सका।’
जब कोई अपने धन दौलत सोने चाँदी पर घमंड करता है, अभिमान करता तो लोग उसकी सत्ता को सोने की लंका का नाम देकर रावण की सोने की लंका से तुलना करते हैं जिसे हनुमान जी ने जलाकर राख कर दिया था। जब कोई आदमी अपने परिश्रम और मेहनत से कुछ नाम हासिल करता है तो लोग यह भी कहने से नहीं चुकते ‘सोना यूँ ही नहीं चमकता , उसको पहले जलना पड़ता है’। पिछले कुछ सालों में सोने के प्रति भारत का आकर्षण और भी मजबूत होता गया है, दुनिया भर में खपत होने वाले सोने में से ज़्यादातर हिस्सा भारतीयों का है। भारतीय इतिहास में सोना सिफऱ् एक निवेश से कहीं ज़्यादा है, यह एक सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण धातु है जिसने भारतीयों के दिलों और घरों में समान रूप से जगह बनाई है।
भारत में सोना सिर्फ धातु नहीं, संस्कृति का प्रतीक है। तिरुपति के मंदिर में टनों सोना दान होता है, शादियों में दुल्हनें सोने से लदी आती हैं, और पीढ़ी-दर-पीढ़ी सोना विरासत के रूप में हस्तांतरित होता है। फिल्मी गीतों में भी सोने की महिमा गाई गई—‘मेरे देश की धरती, सोना उगले’ से लेकर ‘सोना ले जा रे, चांदी ले जा रे’ तक। विदेशों में भी रॉबर्ट फ्रॉस्ट की च्च्हृशह्लद्धद्बठ्ठद्द त्रशद्यस्र ष्टड्डठ्ठ स्ह्लड्ड4ज्ज् और थॉमस हूड की च्च्त्रशद्यस्रज्ज् जैसी कविताएं सोने की महत्ता को दर्शाती हैं।
जो लोग सोना खरीदते हैं या बेचते हैं, वे भली भांती जानते है कि 22 कैरेट सोने की शुद्धता थोड़ी कम होती है। 24 कैरेट सोने से बने आभूषण बनाना और इस्तेमाल करना मुश्किल होता है क्योंकि यह नरम और चिपचिपा होता है। 24 कैरेट से कम वजन का सोना चांदी, प्लैटिनम या तांबे जैसी अन्य धातुओं के साथ मिश्रधातु से बना होता है। दरअसल सोना दुकान से खरीदने की बात हो या तस्करी का सोना खरीदना हो, सोने में निवेश का सबसे ज्यादा फायदेमंद समझा जाता है। सोने के रेट बहुत कम अवसर पर कम होते हैं। सोना हमेशा महंगा होता है। कई बार तो इसकी कीमत आसमान छुती है, इस समय सोना बहुत महंगा है।
दुनिया में सबसे ज्यादा सोने का भंडार संयुक्त राज्य अमेरिका के पास है, लगभग 8,133.5 टन. दुनिया में कुल 244,000 मीट्रिक टन सोना खोजा जा चुका है। इसके बाद जर्मनी के पास 3353 टन, इटली में 2452 टन, फ्रांस में 2437 टन, रूस के पास 2335 टन तथा चीन के पास 2264 टन तथा सातवें नम्बर पर स्विट्जरलैंड है जिसके पास 1041 टन सोना है। भारत के पास 879.59 टन सोने का भंडार है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास है।
सोने में निवेश का सबसे बड़ा फायदा इसे आसानी से छिपाया जा सकता है और जरूरत पडऩे पर कहीं भी, कभी भी बेचा जा सकता है। तस्करी का सोना दुबई, बांग्लादेश, म्यांमार जैसे रास्तों से मुंबई-दिल्ली होते हुए छत्तीसगढ़ पहुंच रहा है। दुबई से सोना लाने पर 3फीसदी जीएसटी और 10फीसदी कस्टम ड्यूटी बच जाती है, जिससे प्रति तोला 10-15 हजार रुपये की बचत होती है। यह मुनाफा नेताओं, अधिकारियों, ठेकेदारों और बिचौलियों की मिलीभगत से फल-फूल रहा है।
यह सच है कि भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा अल्प संसाधनों पर जीवित रहता है, लेकिन इसके बावजूद वे सोना खरीदने के तरीके ढूंढ लेते हैं और इसे अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लेते हैं, भले ही उनके शहर/कस्बों में सोने की दरें कुछ भी हों। भारत में धार्मिक समारोहों में सोना एक अभिन्न अंग है, चाहे वह कोई भी धर्म हो। चाहे वह हिंदू धर्म हो, सिख धर्म हो, जैन धर्म हो या ईसाई धर्म हो, सोना देश के सभी प्रमुख धर्मों में एक प्रमुख संपत्ति है। सोने की बढ़ती कीमतें भक्तों को मंदिर के कोष में अत्यधिक सोने के आभूषण दान करने से नहीं रोकती हैं।
सोना हर भारतीय घर का हिस्सा है और ज़्यादातर भारतीय इसे पारिवारिक विरासत मानते हैं। पारिवारिक विरासत को जीवित रखने के लिए सोने के आभूषण पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित किए जाते हैं। डिज़ाइन ट्रेंड या मूल्य में बदलाव जैसे तथ्यों के बावजूद, ज़्यादातर घरों में शादियों में माँ से दुल्हन को आभूषण देना आम बात है। सोना कुछ परंपराओं का एक बेहद भावनात्मक हिस्सा है और यह एक पोषित विरासत बनी हुई है। एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को सोना हस्तांतरित करने से लोगों को सोने पर पैसे बचाने में भी मदद मिलती है, जिससे भारत में सोने की कीमतों में लगातार वृद्धि नहीं होती है।
भारत में सोने से बड़ा कोई स्टेटस सिंबल नहीं है, और भारतीय इसे दिखाने में संकोच नहीं करते। अरबों लोगों के साथ सामाजिक परिवेश में, सोना एक ऐसा तत्व है जो लोगों को भीड़ में अलग दिखने, सचमुच चमकने में मदद कर सकता है। राजनेता, व्यवसायी, अभिनेता, अधिकारी, सभी को अपना सोना दुनिया को दिखाना पसंद है, जिससे उन्हें नई ऊँचाइयाँ मिलती हैं। सोना भारत में सदियों से स्टेटस सिंबल रहा है, राजाओं और रानियों के समय से लेकर अंग्रेजों तक और स्वतंत्र भारत ने इसे अपने खून में समाहित कर लिया है। जितना अधिक सोना किसी के पास होता है, उतनी ही अधिक उसकी शक्ति होती है, यह सोने की बढ़ती कीमतों के बावजूद सोना खरीदने की उनकी क्षमता का संकेत है।
लेकिन अब यही सोना अब भ्रष्टाचार का हथियार बन चुका है। डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस के अनुसार, 2021-22 में भारत में जब्त तस्करी के सोने का 37फीसदी म्यांमार से, 20फीसदी मिडिल ईस्ट से, और 7 फीसदी बांग्लादेश से आया। भारत, जो दुनिया के सोने का सबसे बड़ा खरीदार है, के पास 879.59 टन सोने का भंडार है, फिर भी तस्करी का यह खेल रुकने का नाम नहीं लेता।
सोने की तस्करी के बढऩे के कारणों में जो सबसे महत्वपूर्ण फ़ैक्टर है, उनमें तस्करी का सोना सस्ता पड़ता है, जिससे मोटा मुनाफा कमाया जाता है। सोना छोटे आकार में बड़ी रकम को छिपाने का सबसे आसान जरिया है। सोने की खरीद पर कोई सवाल नहीं उठता, क्योंकि यह हर घर की जरूरत है। सीमा पर तस्करी रोकने के लिए संसाधनों की कमी और भ्रष्टाचार इस कारोबार को बढ़ावा देता है।
सोना भारतीयों के लिए सुपर-मेटल है, निवेश, स्टेटस, और संस्कृति का प्रतीक। लेकिन जब यही सोना भ्रष्टाचार की काली कमाई का ठिकाना बन जाए, तो यह चमक देश के लिए अभिशाप बन जाती है। सरकार को चाहिए कि तस्करी के रास्तों पर कड़ी निगरानी बढ़ाए, सीमा सुरक्षा को मजबूत करे, और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।
‘सोना वही चमके, जो मेहनत से आए,
काले धन का सोना, बस राख बन जाए।’