Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – शिक्षकों की हड़ताल, क्या है बवाल

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

एक कहावत है हवन करते हाथ जले ऐसी ही कुछ स्थिति स्कूल शिक्षा विभाग की है। शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के नाम पर हर जगह से अतिशेष शिक्षकों को हटाने के फ़ैसले से शिक्षक संवर्ग में गहरी नाराजग़ी है। पहले मंत्रालय का घेराव, अब 31 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है। ये युक्तियुक्तकरण जिसे सरकार नई शिक्षा नीति 2020 से जोड़कर क्रांतिकारी कदम बता रही है उसे शिक्षक संगठन और कर्मचारी नेता तुगलकी आदेश बता रहे हैं। शिक्षकों की मांग के समर्थन में छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन भी सामने आ गया है।
फेडरेशन के ज्ञापन के अनुसार, स्कूल शिक्षा विभाग ने 2 अगस्त 24 के ज़रिए से युक्तियुक्तकरण नीति, निर्देश जारी किये हैं जो युक्तिसंगत और व्यवहारिक नहीं है। 2008 के सेटअप में परिवर्तन दोषपूर्ण है, इसे लागू करना बुद्धिमत्ता नहीं है। इससे शिक्षा व्यवस्था में प्रगति न होकर अध्ययन-अध्यापन की दुर्गति होगी। इस संबंध में जो तर्क दिये गये हैं, उसके अनुसार पहली से पांचवीं कक्षा तक कक्षाओं की संख्या 5, विषय संख्या चार, पीरियड बीस, सेटअप 2008 के अनुसार एक हेडमास्टर दो टीचर नये सेटअप में 1+1 किया गया है। सवाल यह है कि पांच कक्षाओं को दो टीचर कैसे पढ़ायेंगे। इसी तरह पूर्व माध्यमिक शाला में 1+ 4 किया गया है। हाईस्कूल में 6 विषय, 12 पीरियड नये सेटअप में 1+5 तथा हायर सेकेंडरी में 32 पीरियड के लिए नये सेटअप में 1+9 टीचर का प्रावधान किया गया है, जो व्यवहारिक नहीं है।
मंत्रालय के समक्ष जंगी प्रदर्शन करने वाले शिक्षक संगठनों का कहना है कि युक्तियुक्तकरण के फैसले से 43 हजार से ज्यादा शिक्षकों के पद खत्म हो सकते हैं। शिक्षक साझा मंच का कहना है कि विसंगतिपूर्ण युक्तियुक्तकरण को निरस्त कर प्रदेश के 1 लाख से अधिक शिक्षकों को एरियर्स सहित क्रमोन्नत वेतनमान देने, प्रथम सेवा करना करते हुए पुरानी पेंशन बहाली सहित समस्त लाभ देने, प्रशिक्षितों को प्रमोशन के लिए बीएड की अनिवार्यता में छूट देने तथा अन्य मांगों के प्रति शासन का ध्यान आकर्षित कराने सड़क पर उतरे हैं। यदि हमारी मांगों पर विचार नहीं हुआ तो हम 31 मई से संभाग स्तरीय क्रमिक हड़ताल करेंगे।
प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था में कमियों की खबरें आए दिन आती रहती हैं, जिससे प्रदेश के शिक्षा तंत्र की स्थिति उजागर हो जाती है। प्रदेश के शिक्षा विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट से फिर एक बार ऐसा ही कुछ हुआ है। विभाग की ओर से जारी युक्तियुक्तकरण रिपोर्ट ने सरकारी स्कूलों की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। बता दें कि रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के 211 शासकीय विद्यालयों एक भी विद्यार्थी नहीं हैं, जबकि शिक्षक पदस्थ हैं। वहीं दूसरी ओर दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में शिक्षकों की काफी कमी है, जिसका सीधा असर विद्यार्थियों के शैक्षणिक प्रदर्शन पर पड़ रहा है।
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि ऐसे विद्यालयों की प्रासंगिकता समाप्त हो चुकी है और अब वहां से शिक्षकों को तत्काल उन स्कूलों में नियोजित किया जाएगा जहां आवश्यकता है। राज्य सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को उत्कृष्ट स्वरूप प्रदान करने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए शालाओं और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को प्राथमिकता से लागू करने का निर्णय लिया है। वहीं शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य सरकार का निर्णय समय की मांग है। यदि इसे निष्पक्षता और डेटा-आधारित पद्धति से लागू किया जाए तो प्रदेश की शिक्षा प्रणाली देश में एक आदर्श मॉडल बन सकती है। युक्तियुक्तकरण को शक्ति से लागू करने का विचार रखने वाले कहते हैं कि सरकार को अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए इसे लागू करना चाहिए। एक परिसर में सभी स्कूलों का नियंत्रण एक ही हाथ में हो और वे एक यूनिट के रूप में कार्य करें, यह निर्णय बहुत ही अच्छा है।
इसके पहले भी युक्तियुक्तकरण के बहुत से प्रयास हुए किन्तु सफल नहीं हुए। जुगाड़ू और रसूखदार टीचरों ने अपने संबंधों का फ़ायदा उठाकर मनचाही जगह अपनी पोस्टिंग करवा ली, अटैचमेंट करवा लिया। बहुत सारे शिक्षकों की पढ़ाने में कम आफि़सों में, जैसे राजीव गांधी शिक्षा मिशन, समग्र शिक्षा, मंत्री, विधायक के पास अटैचमेंट में ज़्यादा रूचि दिखाई। बहुत सारे हेडमास्टर केवल नाममात्र को स्कूल जाते हैं, पढ़ाने लिखने में उनकी रूचि कम होती है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का यह कहना कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। यह प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सशक्त करने का अभियान है। हम उस व्यवस्था की नींव रख रहे हैं, जहां शिक्षक और छात्र दोनों अपनी सही जगह पर हों। युक्तियुक्तकरण इस परिवर्तन की वह कुंजी है जो वर्षों की उलझनों को सुलझाएगी और शिक्षा को नई ऊंचाई देगी।
यदि हम स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा दी जा रही जानकारी पर भरोसा करें तो अनेक दूरस्थ और आदिवासी क्षेत्रों में वर्षों से शिक्षक संकट की स्थिति बनी हुई है। मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी भरतपुर जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुंवारपुर में विषयवार शिक्षक न होने के कारण वर्ष 2024-25 में कक्षा 12वीं का परीक्षा परिणाम महज 40.68 प्रतिशत रहा, जो राज्य औसत से बहुत कम है। मुख्यमंत्री ने इस मांग को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग को निर्देश दिए कि जहां शिक्षक अनुपयोगी रूप से पदस्थ हैं, वहां से उन्हें शीघ्रता से जरूरतमंद स्कूलों में भेजा जाए। उन्होंने कहा कि शिक्षक वहीं तैनात हो जहां छात्र हैं, यही सुशासन की प्राथमिकता है।