-सुभाष मिश्र
बिहार, पश्चिमी बंगाल के चुनाव को देखते हुए जिस तरह से प्रधानमंत्री बिहार दौरे में आपरेशन सिंदूर छाप देखी गई और जिस तरह से आपरेशन सिंदूर का जिक्र हुआ उसके बाद विपक्ष सेना के शौर्य का राजनीतिकरण का आरोप लगा रहा है। बिहार में आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए उन पर आपरेशन सिंदूर का श्रेय लेकर सेना के शौर्य को चुनाव के लिए भुनाने की कोशिश करने का आरोप लगाया हैं।
अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया और कहा कि, ‘पिछले दिनों पहलगाम आतंकी हमले में निर्दोष नागरिक मारे गए। पहलगाम हमले के बाद मैं बिहार आया था। बिहार की धरती से हमने ऐलान किया था कि, आतंकियों के आकाओं को मिट्टी में मिला देंगे। उन्हें कल्पना से भी बड़ी सजा देने की बात कही थी। आज जब वापस बिहार आया हूं तो अपना वचन पूरा करने के बाद आया हूं। उन्होंने बिहार के सासाराम में मंच से गरजते हुए यह भी कहा कि, ‘यह नया भारत है और यह नए भारत की शक्ति है। जिन लोगों ने पाकिस्तान में बैठकर हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा था, उनके ठिकानों को हमारी सेना ने खंडहर में बदल दिया। भारत की बेटियों के सिंदूर की शक्ति को पाकिस्तान और दुनिया ने भी देख लिया। ‘ऑपरेशन सिंदूर में भारत की ताकत दुश्मन ने देखी। यह तो हमारे तरकस का केवल एक ही तीर है। ‘अभी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई थमी नहीं है। आतंक का फन अगर फिर उठेगा, तो भारत उसे बिल से खींचकर कुचलने का काम करेगा। मोदी आपरेशन सिंदूर के साथ-साथ विपक्ष पर निशाना साधने से भी नहीं चूंके। पीएम मोदी ने कहा कि, ‘जिन लोगों ने बिहार को सबसे ज्यादा ठगा, उन्हें बिहार छोड़कर जाना पड़ा। आज वही लोग सत्ता पाने के लिए सामाजिक न्याय की बात बोल रहे हैं। दशकों तक गरीब, दलित, पिछड़ा आदिवासियों के पास शौचालय नहीं था और यहां तक कि बैंक में खाते नहीं थे। हमने बैंक खाते खुलवाए। शौचालय बनवाए।Ó
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हालिया बिहार दौरा बिहार के राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य में भी गहरे निहितार्थ रखता है। आपने दौरे में उन्होंने पटना में नए एयरपोर्ट टर्मिनल का उद्घाटन, बिहटा में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की आधारशिला, और 48,520 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का लोकार्पण किया। इसके अलावा, बिक्रमगंज में रैली और पटना में मेगा रोड शो ने इस दौरे को राजनैतिक रूप से भी महत्वपूर्ण बना दिया।
बिहार, जो लंबे समय से आधारभूत संरचना और आर्थिक पिछड़ेपन की चुनौतियों से जूझ रहा है, के लिए ये नई परियोजनाएँ एक नई उम्मीद लेकर आई हैं। नए हवाई अड्डे और सड़क परियोजनाएँ न केवल कनेक्टिविटी को बेहतर करेंगी, बल्कि पर्यटन, व्यापार और निवेश के लिए भी नए द्वार खोलेंगी। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में बिहार के विकास को नई गति देने की प्रतिबद्धता दोहराई, जिसमें 50,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएँ शामिल हैं। यह बिहार को पूर्वी भारत का आर्थिक हब बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
मोदी का यह दौरा बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भी अहम है। बिक्रमगंज की रैली में उन्होंने शाहाबाद क्षेत्र की 22 विधानसभा सीटों को साधने की कोशिश की, जहाँ 2020 के चुनाव में एनडीए को 20 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। उनके भाषणों में विपक्ष पर निशाना साधते हुए सामाजिक न्याय के नाम पर झूठ का आरोप लगाया गया, जो सत्ता की लड़ाई में नैतिकता का मुद्दा उठाता है। पटना में रोड शो और ऑपरेशन सिंदूर की झांकी ने राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया, जिसका मकसद मतदाताओं में राष्ट्रवादी भावनाएँ जगाना था। यह दर्शाता है कि भाजपा बिहार में विकास और राष्ट्रवाद के दोहरे एजेंडे पर चुनावी वैतरणी पार करना चाहती है।
बिहार के मंच से पीएम मोदी ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी, खासकर ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में। उनके अंग्रेजी में दिए संदेश ने वैश्विक समुदाय का ध्यान खींचा, जिसमें भारत की सख्त कार्रवाई की नीति को रेखांकित किया गया। यह न केवल पड़ोसी देशों के लिए, बल्कि आंतरिक राजनीति में भी एक मजबूत नेतृत्व की छवि को प्रोजेक्ट करता है।
विपक्ष, खासकर राजद और कांग्रेस, ने इस दौरे को चुनावी स्टंट करार दिया। तेजस्वी यादव जैसे नेताओं ने सवाल उठाया कि 11 साल से केंद्र और 20 साल से बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए ने बिहार के लिए ठोस क्या किया? बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर विपक्ष का आक्रामक रुख दर्शाता है कि बिहार का चुनावी माहौल ध्रुवीकरण की ओर बढ़ रहा है। साथ ही, सामाजिक न्याय का मुद्दा इस दौरे में बार-बार उभरा रहा है। मोदी ने विपक्ष पर सत्ता के लिए सामाजिक समीकरणों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया, जो जातिगत समीकरणों पर आधारित बिहार की राजनीति में एक नया टकराव पैदा कर सकता है।
कुछ आलोचकों ने दौरे के समय पर सवाल उठाए। हाल के कश्मीर हमले के बाद मोदी का बिहार में रैली करना और पाकिस्तान को धमकाना कुछ लोगों को असंवेदनशील लगा। सोशल मीडिया पर इसे लेकर तीखी प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं, जहाँ इसे चुनावी रणनीति का हिस्सा बताया गया।
प्रधानमंत्री मोदी का बिहार दौरा विकास, राजनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के त्रिवेणी संगम के रूप में देखा जा सकता है। यह दौरा बिहार को आर्थिक और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों पर ले जाने का वादा करता है, लेकिन साथ ही यह राजनैतिक रणनीति और चुनावी गणित का भी हिस्सा है। बिहार की जनता के सामने अब सवाल यह है कि क्या ये परियोजनाएँ वास्तव में उनके जीवन में बदलाव लाएँगी, या यह केवल चुनावी वादों का एक और दौर है। इस दौरे के प्रभाव को समझने के लिए हमें आने वाले महीनों में बिहार की सियासत और विकास की प्रगति पर नजर रखनी होगी।
ऑपरेशन सिंदूर, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य शक्ति के प्रदर्शन के रूप में पेश किया गया, भारत की सामरिक ताकत और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का प्रतीक है। बिहार दौरे के दौरान पटना में आयोजित रोड शो में इस ऑपरेशन की झांकी शामिल की गई, जिसमें सैन्य उपकरणों और उपलब्धियों का प्रदर्शन हुआ। पीएम मोदी ने बिक्रमगंज की रैली में इसका जिक्र करते हुए पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी और कहा कि भारत अब कमजोर नहीं, बल्कि सख्त कार्रवाई करने वाला देश है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा। एक बयान में उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर भाजपा बार-बार भावनात्मक उन्माद पैदा करती है, लेकिन बिहार में बेरोजगारी, गरीबी और शिक्षा जैसे मूल मुद्दों पर चुप्पी साध लेती है। विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि ऑपरेशन सिंदूर की झांकी को शामिल करने का मकसद बिहार के मतदाताओं में राष्ट्रवादी उफान पैदा कर जातिगत समीकरणों और विकास के मुद्दों से ध्यान भटकाना था।
सोशल मीडिया, खासकर एक्स प्लेटफॉर्म पर, इस मुद्दे ने व्यापक बहस छेड़ दी। विपक्ष समर्थित यूजर्स ने #PoliticsOverSecurity जैसे हैशटैग्स के साथ सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। एक यूजर ने लिखा, कश्मीर में हमले हो रहे हैं, और पीएम बिहार में रोड शो कर रहे हैं। क्या यही है न्यू इंडिया? वहीं, सरकार समर्थक यूजर्स ने पीएम के बयानों का समर्थन करते हुए कहा कि मोदी जी ने पाकिस्तान को दुनिया के सामने ललकारा, यह भारत की ताकत है। इस ध्रुवीकरण ने बिहार के राजनैतिक माहौल को और गरमा दिया।
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह दौरा भाजपा और एनडीए के लिए महत्वपूर्ण था। ऑपरेशन सिंदूर का प्रदर्शन और राष्ट्रवादी बयानबाजी को राजनैतिक विश्लेषक भाजपा की उस रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं, जिसमें विकास के साथ-साथ राष्ट्रवाद को प्रमुख मुद्दा बनाया जाता है।
हालाँकि, विपक्ष का मानना है कि यह रणनीति उलटी पड़ सकती है। बिहार में बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और बाढ़ जैसी समस्याएँ मतदाताओं के लिए प्राथमिक मुद्दे हैं। राजद और कांग्रेस ने दावा किया कि राष्ट्रवाद के नाम पर भावनाएँ भड़काने की कोशिश बिहार की जमीनी हकीकत को नहीं बदल सकती। तेजस्वी यादव ने एक रैली में कहा, बिहार के युवा को नौकरी चाहिए, किसान को एमएसपी चाहिए, लेकिन भाजपा केवल जुमले और झांकियाँ दे रही है।
कश्मीर में हाल के आतंकी हमलों के बाद पीएम का बिहार में रोड शो और रैली करना कुछ हलकों में असंवेदनशील माना गया। विपक्ष ने इस समय को राष्ट्रीय शोक का समय बताते हुए कहा कि सरकार को सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए था, न कि चुनावी तमाशे पर। कुछ स्वतंत्र विश्लेषकों ने भी इसकी आलोचना की, यह कहते हुए कि ऑपरेशन सिंदूर जैसे संवेदनशील मुद्दों को रोड शो जैसे उत्सवपूर्ण आयोजनों में शामिल करना अनुचित था।