रायपुर। नाम थोड़ा अजीब सा है पर फि़ल्म लाजवाब है यादव जी के मधु जी। राज्य स्थापना के साथ विकास की ओर अग्रसर हुई छत्तीसगढ़ फि़ल्म इंडस्ट्री में यह फिल्म एक नया स्वाद, नई ताजगी और नये विषय के साथ आई है। फिल्म से जुड़े लोगों , मीडिया के लिए आज नवा रायपुर के मिराज सिनेमा में फिल्म का विशेष शो रखा गया। बिलासपुर के हमारे पुराने रंगकर्मि साथी सुनील चिपडे के आग्रह पर मैं और मेरा रंगकर्मि पत्नी रचना इस फिल्म को देखने पहुँचे , लगा यदि फिल्म औसत भी हुई तो बहुत से रंगकर्मि , सिनेमा साहित्य से जुड़े लोगों से भेंट हो जायेगी।
हमारी आशंका निर्मूल साबित हुई। फिल्म देखने के दौरान ही मालूम पड़ा की सुनील चिपडे ने फिल्म के मुख्य किरदार यादवजी का रोल किया है। आज फिल्म के ज़रिए हमारी मुलाक़ात एक नये सुनील से हुई। अद्भुत अभिनय प्रतिभा के ज़रिए पूरी फि़ल्म को सुनील ने बाँधे रखा। फि़ल्म के हर किरदार का अभिनय लाजवाब था। फिल्म के लेखक , निर्देशक आदिल ख़ान ने बहुत ही बढिय़ा स्क्रीप्ट राईटिग के साथ बहुत ही अच्छा निर्देशन किया है। यह उनकी पहली फिल्म है जो हमें उनके भविष्य के प्रति आश्वस्त करती है। यादव जी के मधु जी देखी, हल्की फुल्की कॉमेडी की चाशनी में अधेड़ प्रेम के भंवर में उलझे एक ऐसे शक्स की कहानी है जिसने किन्हीं कारणों से विवाह नहीं किया।
अपने छोटे भाई के परिवार के साथ मौज मस्ती के साथ रहने वाले बाबू नाम से पुकारे जाने वाले यादवजी को भतीजे के सगाई में होने वाली बहु की अधेड़ युवा पर दिल आ जाता है फिर कहानी में इमोशंस , पारिवारिक मध्यवर्गीय संस्कार , और प्यार के अहसास के बहुत से दृश्य देखने मिलते हैं। एक ओर भतीजे का युवा प्रेम है जो रिश्तों की परवान चढऩे के पहले खटाई में पड़ता दिखता हैं वही अधेड़ यादवजी किसी युवा की तरह प्रेम में डूबे नजऱ आते हैं। फिल्म यादव जी के मधुजी,,सुनील चिपड़े और श्वेता पाण्डेय सहित रंगमंच के कलाकारों के अभिनय से लबरेज़ है। फिल्म में छत्तीसगढ़ सिनेमा का युवा और नया टैलेंट सामने आया है आदिल खान के संवाद गुदगुदाते है,निर्देशन बेहतरीन है। यादव जी के मधु जी छत्तीसगढ़ी फिल्म 28 फरवरी से प्रदेश के 35 सिनेमाघरों में एक साथ रिलीज होने जा रही है।
यह फिल्म बिलासपुर और इसके आसपास के क्षेत्र में शूटिंग की गई है। फिल्म आखिरी समय तक अपने दर्शकों को किस तरह बांधकर रखती है और इस फिल्म का अंतिम परिणाम क्या आता है यह फिल्म देखने तो बेहतर होगा। फिल्म के निर्देशक आदिल खान,मुख्य कलाकार सुनील चिपड़े, रोहित वैष्णव और वैष्णवी जैन ने बताया कि फिल्म क्षेत्रीय भाषा छत्तीसगढ़ी और हिंदी मिक्स में तैयार हुई है। इस फिल्म के ज्यादातर कलाकार रंगमंच से जुड़े हुए है।
रंगमंच की वास्तविक सरलता फिल्म के अभिनय में दिखेगी और फिल्म रियलिस्टिक बन पड़ी है। यह 70 एमएम की ईस्टमैन कलर टोन और सिनेमा टू ग्राफी स्टाइल दूसरी फिल्मों से डिफरेंट है। स्क्रीन प्ले, तकनीक, डायलॉग, भाषा, म्यूजिक और बीजीएम म्यूजिक, लिरिक्स फोक म्यूजिक यह सब दूसरी फिल्मों से कुछ हटकर है।यह फिल्म सिर्फ छत्तीसगढ़ी लोगों के लिए ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ में रह रहे विभिन्न भाषा भाषी लोगों तक भी पहुंचेगी।भाषाई सरलता और सिचुएशन की वजह से हर व्यक्ति के देखने लायक है।
अर्बन सिटी बेस्ड भाषा में यह फिल्म लोगों को पसंद आएगी। अपना सिनेमा बैनर तले बनी इस फिल्म का लोगों को बड़ी बेसब्री से इंतजार हो रहा है। इस फिल्म में सात गाने हैं जिसमें
कसम से और चना के दार गाना लोगों की जुबान पर चलने लगा है। विभिन्न आयोजनों में भी डीजे और साउंड सिस्टम में यह गाने धूम मचा चुके हैं।
हमारे साथ फि़ल्म देखने वालों में सुप्रसिद्ध फिल्म राइटर और राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित अशोक मिश्र, छत्तीसगढ़ के सबसे सफल व्यवसायी सिनेमा के निर्माता निर्देशक सतीश जैन, संतोष जैन मनोज वर्मा, अशोक तिवारी, लेखिका मधु चतुवैदी, रायपुर प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रफ्फुल ठाकुर रंगकर्मि सुमेधा अग्रहरी भी मौजूद थी। फिल्म के समापन के पश्चात सुनील चिपडे सहित अतिथियों ने चर्चा की। सभी ने फिल्म की सराहना करते हुए इसे भविष्य की ब्लाकबस्टर फिल्म बताया।