सुभाष मिश्र
छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासनिक संस्कृति में बीते कुछ दिनों में जो दृश्य उभरा, उसने सत्ता और ब्यूरोक्रेसी के रिश्ते को नए संदर्भों में परिभाषित कर दिया है। रायपुर में आयोजित कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस 2025 न केवल शासन-प्रशासन की समीक्षा का मंच बनी, बल्कि इसने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की कार्यशैली और सोच की भी झलक दिखाई।
कांन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री ने जब कोरबा के कलेक्टर अजीत वसंत की सराहना की, तो यह बात महज़ प्रशंसा तक सीमित नहीं रही। क्योंकि यही वह कलेक्टर हैं, जिनके खिलाफ हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर ने सार्वजनिक रूप से कलेक्टर हटाओ मुहिम छेड़ी थी। कंवर का आरोप था कि जिले में योजनाओं के क्रियान्वयन में अनियमितताएं हैं और अधिकारी जनता से कटे हुए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री निवास के सामने प्रदर्शन तक किया, जिसके बाद उन्हें हाउस अरेस्ट कर लिया गया था।
ऐसे समय में मुख्यमंत्री का उसी अधिकारी की सार्वजनिक प्रशंसा करना सिर्फ एक प्रशासनिक टिप्पणी नहीं, बल्कि एक स्पष्ट राजनीतिक और नीतिगत संदेश था कि काम बोलता है, न कि दबाव।
साय का यह कदम इस बात का प्रतीक है कि राज्य की नौकरशाही पर अब राजनीतिक दबाव नहीं, बल्कि प्रदर्शन आधारित मूल्यांकन का दौर शुरू हो चुका है। उन्होंने संकेत दिया कि मुख्यमंत्री का हाथ अब उन्हीं अधिकारियों के सिर पर रहेगा, जो जनता के लिए परिणाम लाते हैं, चाहे उनके खिलाफ कितने भी आरोप या राजनीतिक असंतोष क्यों न हों।
शासन की नई भाषा : नतीजे और जवाबदेही
नवा रायपुर स्थित मंत्रालय में हुई तीन दिवसीय कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री ने सुशासन और पारदर्शिता को शासन की रीढ़ बताया। बैठक की शुरुआत तय समय से पहले कर उन्होंने अपने अनुशासन और प्राथमिकता का संकेत दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा, यह केवल समीक्षा बैठक नहीं, बल्कि जनहित के नए मानक तय करने का अवसर है। शासन की नीतियों और योजनाओं का असली मूल्यांकन रिपोर्टों से नहीं, बल्कि जनता के जीवन में दिखने वाले सुधार से होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि जनहित में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिलों में योजनाओं के क्रियान्वयन का मूल्यांकन अब फाइलों की गति से नहीं, परिणामों की गुणवत्ता से किया जाएगा।
किसानों के लिए सख्त निर्देश
मुख्यमंत्री ने धान खरीदी को लेकर कहा कि 15 नवंबर से आरंभ होने वाली प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता पाई गई तो संबंधित जिले का कलेक्टर सीधे जिम्मेदार होगा। उन्होंने निर्देश दिए कि धान खरीदी की निगरानी इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से की जाएगी और सीमावर्ती इलाकों में विशेष चौकसी रखी जाएगी ताकि बाहरी राज्यों से अवैध धान की आवाजाही रोकी जा सके। मुख्यमंत्री ने विशेष पिछड़ी जनजातीय इलाकों में किसानों के शत-प्रतिशत पंजीयन और भुगतान में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
किसान और ऊर्जा योजनाओं में दक्षता
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की समीक्षा में मुख्यमंत्री ने कहा कि एक भी पात्र किसान वंचित न रहे। साथ ही, प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना को लेकर कहा कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अधिक से अधिक हितग्राही जुड़ें। उन्होंने वित्तीय संस्थाओं को निर्देश दिया कि बैंकिंग प्रक्रिया इतनी सहज बने कि कोई भी पात्र परिवार योजना से वंचित न रहे।
यही वह बिंदु था, जब मुख्यमंत्री ने कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत की तारीफ की — जिन्होंने इस योजना के तहत उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। यह वही क्षण था जिसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी, क्योंकि जिस जिले के अधिकारी के खिलाफ सत्ता दल के नेता आंदोलन कर रहे थे, उसी अधिकारी को मुख्यमंत्री ने उत्कृष्ट क्रियान्वयनकर्ता बताया।
स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा पर फोकस
मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य सेवाओं को सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी, संस्थागत प्रसव की अनिवार्यता और प्रत्येक टीकाकरण सत्र की फील्ड वेरिफिकेशन पर बल दिया। उन्होंने मैटरनल डेथ ऑडिट को हर मामले में अनिवार्य कर दिया और एनआरसी तथा वेलनेस सेंटरों के प्रभावी संचालन की हिदायत दी। मुख्यमंत्री ने बस्तर संभाग को च्च्स्वास्थ्य मिशन का केंद्रज्ज् बताते हुए कहा कि मलेरिया के हॉटस्पॉट क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाकर राज्य को मलेरिया मुक्त बनाया जाएगा।
शिक्षा में सुधार और नवाचार
शिक्षा विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि ड्रॉपआउट शून्य और सकल नामांकन अनुपात 100 प्रतिशत करने का लक्ष्य हर हालत में हासिल किया जाए। उन्होंने कहा शिक्षण सामग्री अलमारियों में नहीं, कक्षाओं में दिखनी चाहिए। बीजापुर जिले में स्थानीय युवाओं द्वारा गोंडी भाषा में शिक्षण के प्रयोग की उन्होंने सराहना की और कहा कि शिक्षा स्थानीय संस्कृति और मातृभाषा से जुडऩी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान शुरू करने की घोषणा की, जिसमें स्कूलों का सामाजिक अंकेक्षण और ग्रेडिंग होगी। उन्होंने निर्देश दिए कि 31 दिसंबर तक सभी विद्यार्थियों का आधार आधारित अपार आईडी पंजीयन पूरा कर लिया जाए ताकि छात्रवृत्ति, गणवेश और किताबों का वितरण पारदर्शी ढंग से हो सके। कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री ने कहा कि च्च्जनता के बीच आपकी उपस्थिति ही आपकी पहचान है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे जिलों में समयबद्ध निरीक्षण करें, जनता की समस्याएं सुनें और योजनाओं की वास्तविक स्थिति का आकलन करें।
तीन दिनों तक चली यह बैठक केवल समीक्षा नहीं, बल्कि राज्य की प्रशासनिक दिशा तय करने वाला मंथन साबित हुई। कानून व्यवस्था, पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि जैसे विषयों पर विभागवार चर्चा के साथ इसका समापन गुड गवर्नेंस समिट के रूप में हुआ, जहाँ मुख्यमंत्री ने कहा सरकार की नीतियाँ जनता के जीवन में बदलाव लाएँ, यही असली सुशासन है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की इस पहल से एक बात स्पष्ट है अब छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी केवल आदेशपालक नहीं, बल्कि शासन की जवाबदेह रीढ़ बनने जा रही है। राजनीतिक रस्साकशी के बीच मुख्यमंत्री ने यह संदेश दे दिया कि सरकार उन अधिकारियों के साथ खड़ी रहेगी जो जनता के लिए काम कर रहे हैं, चाहे उनके खिलाफ कितनी भी आलोचनाएँ क्यों न हों।
यह नई शैली जहां अनुशासन, भरोसा और जवाबदेही एक साथ चल रहे हैं, छत्तीसगढ़ प्रशासन को सुशासन के नए युग की ओर ले जाती दिख रही है।