Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से- छत्तीसगढ़ का अंजोर विजन-महत्वाकांक्षी सपना या व्यावहारिक चुनौती?

-सुभाष मिश्र

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जारी ‘अंजोर विजन@2047 ‘ दस्तावेज़ एक साहसिक कदम है जो राज्य को 2047 तक 75 लाख करोड़ रुपये की जीडीपी वाला विकसित इकाई बनाने का वादा करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत’ संकल्प से प्रेरित यह विजन न केवल महत्वाकांक्षी है, बल्कि राज्य की प्राकृतिक संपदा और मानव संसाधनों का उचित दोहन करने की क्षमता रखता है। हालांकि, इसके कार्यान्वयन में व्यावहारिक चुनौतियां स्पष्ट हैं और सफलता राजनीतिक इच्छाशक्ति तथा जन भागीदारी पर निर्भर करेगी।

सकारात्मक पक्ष से देखें तो यह दस्तावेज़ राज्य की ताकतों पर आधारित है। छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत वन क्षेत्र, खनिज संसाधनों की प्रचुरता (कोयला, लौह अयस्क, एल्युमिनियम) और कृषि की विविधता इसे उन्नत उद्योग, इनलैंड लॉजिस्टिक्स और पर्यटन का हब बनाने की क्षमता प्रदान करती है। 13 क्षेत्रों और 10 मिशनों का ढांचा, जैसे कृषि उन्नति मिशन से किसानों की आय में 10 गुना वृद्धि या आईटी हब बनाने का लक्ष्य, राज्य को केवल संसाधन-आधारित अर्थव्यवस्था से बाहर निकालकर नवाचार और सेवाओं की ओर ले जाता है। एक लाख से अधिक सुझावों से तैयार होने से यह जन-केंद्रित लगता है और नीति आयोग की भागीदारी इसे राष्ट्रीय स्तर पर विश्वसनीय बनाती है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का दावा कि यह ‘माइलस्टोन ‘ साबित होगा, सही है क्योंकि राज्य की जीडीपी पहले ही 10वें से 5वें स्थान पर पहुंच चुकी है।

फिर भी चुनौतियां नजरअंदाज नहीं की जा सकतीं। राज्य अभी भी स्वास्थ्य संकेतकों में पिछड़ा है जीवन प्रत्याशा राष्टीय औसत से कम, शिशु मृत्यु दर अधिक और प्रति 10,000 लोगों पर मात्र 2.9 डॉक्टर उपलब्ध हैं। कनेक्टिविटी की समस्या, विशेष रूप से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में, विकास को बाधित करती है। 15 प्रतिशत वार्षिक ग्रोथ का लक्ष्य आकर्षक है, लेकिन जलवायु परिवर्तन, वैश्विक आर्थिक उतार-चढ़ाव और केंद्र-राज्य संबंधों की अनिश्चितताओं को देखते हुए यह चुनौतीपूर्ण लगता है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सही कहा कि राज्य के 17 प्रतिशत राष्ट्रीय संसाधनों के बावजूद गरीबी बनी हुई है, क्योंकि मूल्य संवर्धन की कमी रही है।

यह विजन भाजपा शासित राज्य की राजनीतिक उपलब्धि के रूप में चित्रित किया जा रहा है, लेकिन वास्तविक सफलता मॉनिटरिंग और अनुकूलन में है। सरकार को प्राइवेट निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार, स्किल डेवलपमेंट पर फोकस और सतत विकास सुनिश्चित करना चाहिए। यदि कार्यान्वयन मजबूत रहा तो छत्तीसगढ़ न केवल विकसित भारत का हिस्सा बनेगा, बल्कि अन्य राज्यों के लिए मॉडल भी। अन्यथा यह महज एक दस्तावेज़ बनकर रह जाएगा। समय बताएगा कि यह अंजोर (प्रकाश) फैलाता है या अंधेरे में खो जाता है।

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