-सुभाष मिश्र
छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर के शहीद वीर नारायण सिंह स्टेडियम को बचाने की क़वायद और सरकार की मंशा हमने बनाया है हम ही सँवारेंगे के चलते अरसे बाद सीनियर क्रिकेटर्स की मास्टर्स ट्रॉफ़ी का मैच संपन्न हुआ। सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर की सहभागिता वाले इस आयोजन में छत्तीसगढ़ सरकार भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से पूरी तरह शामिल थी। 65 हज़ार दर्शकों की क्षमता वाला यह क्रिकेट स्टेडियम फ़ाइनल मैच में खचाखच भरा था। ये अलहदा बात है कि अधिकांश लोग जनप्रतिनिधियों, अफ़सरों, ठेकेदारों, सप्लायर्स और इंडस्ट्रियल से मिले सौजन्य पास के ज़रिए मैच का मज़ा लेने आये थे। मास्टर्स यानी भूतपूर्व नामचीन क्रिकेटर वाली यह ट्रॉफ़ी अभी युवाओं और विज्ञापनदाता कंपनियों, ब्रांड को उस तरह से आकर्षित नहीं कर पाई जैसा आईपीएल, चैम्पियंस ट्रॉफ़ी करता है।
एक भारी भरकम स्टेडियम का रखरखाव, बिजली बिल इतना ज़्यादा होता है कि उसे क्रिकेट कंट्रोल या सरकार का खेल विभाग बोर्ड वहन नहीं कर सकता, जब तक कि उसमें लगातार व्यवसायिक मैच ना हो। इस स्टेडियम पर तीन करोड़ बिजली बिल पाँच साल से बकाया है। मैच के दौरान स्टेडियम की अधिकांश एलईडी स्क्रीन बंद थी। चूँकि, क्रिकेट एक लोकप्रिय खेल है जिसे कराने से सरकार को लोकप्रियता मिलती है और प्रदेश की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होती है। यही वजह है कि सरकार ने इस आयोजन को अपने कंधे पर उठा रखा था। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के खेलकूद विभाग की कोई ख़ास भूमिका नहीं थी। यह स्टेडियम राज्य सरकार के खेल विभाग के पास है जिसका एक दिन का किराया ढाई लाख रूपये है। जिस तरह बीसीसीआई बाक़ी क्रिकेट मैचों में इन्वाल्व होता, वैसी कोई भूमिका उसकी यहाँ नहीं थी। सुनील गावस्कर की कंपनी के माध्यम से हुए इस आयोजन में मुख्यमंत्री सचिवालय के क्रिकेट प्रेमी एक पॉवरफुल सेक्रेटरी और भाजपा के एक पॉवरफुल नेता जिनका बेटा क्रिकेटर है, उनकी बड़ी भूमिका रही। वैसे खेल विभाग को इस स्टेडियम में रणजी ट्राफ़ी जैसे आयोजन होते रहे इसके लिए पहल करनी चाहिए। डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में यहाँ आईपीएल मैच हुए थे इस बार के शेड्यूल में उसका कोई अता-पता नहीं है।
रायपुर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम भारत में तीसरा और विश्व का चौथा सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम है। इसमें कुल 65,000 लोगों के बैठने की जगह है। 2010 में यहां पहला मैच खेला गया था। इस दौरान कनाडा की राष्ट्रीय टीम यहाँ पर छत्तीसगढ़ राज्य की टीम के साथ अभ्यास मैच खेलने के लिए आयी थी। रायपुर के वीर नारायण सिंह स्टेडियम में रविवार को इंडिया मास्टर्स और वेस्टइंडीज मास्टर्स के बीच अंतरराष्ट्रीय मास्टर्स लीग का फाइनल मुकाबला खेला गया। इंडिया मास्टर्स की कप्तानी सचिन तेंदुलकर ने की। वेस्टइंडीज मास्टर्स की कमान ब्रायन लारा ने संभाली। इस टी20 लीग में कुछ छह टीमों (भारत, वेस्टइंडीज, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड) ने हिस्सा लिया था। फाइनल में सचिन तेंदुलकर के नेतृत्व वाली इंडिया मास्टर्स और ब्रायन लारा की अगुवाई वाली वेस्टइंडीज मास्टर्स आमने-सामने थी। जिसमें सचिन तेंदुलकर की इंडिया टीम की जीत हुई।
रायपुर का शहीद वीर नारायण स्टेडियम जबसे बना है तभी से यह राज्य शासन के अधीन है। छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ लगातार यह मांग शासन से करता रहा है कि स्टेडियम का स्वामित्व (हैंड ओवर) सीएससीएस को आधिकारिक रूप से सौंप दे ताकि स्टेडियम का रख-रखाव सुचारू रूप से हो सके एवं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों की मेजबानी मिलती रहे। इस स्टेडियम में अब तक आईपीएल,चैंपियन ट्रॉफी , एक टी/20, ऑस्ट्रेलिया- वन डे न्यूजीलैंड मैच, रणजीत ट्रॉफी के अनेक मैच एवं अंतरराज्य टूर्नामेंट (महिला/पुरुष) हो चुके हैं। इसी कड़ी में पिछले वर्ष सीसीपीएल (छत्तीसगढ़ क्रिकेट प्रीमियर लीग) के आयोजन की शुरुआत हुई है।
ये तमाम टूर्नामेंट सीएससीएस अपने संसाधनों का उपयोग करती आ रही है। रहा सवाल स्टेडियम के हतांतरण का तो जब तक राज्य शासन इसे सीएससीएस को हस्तांतरित नहीं करेगी, ऐसी विषम स्थिति बनी रहेगी। शासन से सीएससीएस/बीसीसीआई को हस्तांतरण पश्चात पूरे स्टेडियम का रखरखाव, मैचों की मेजबानी, स्टेडियम में बेहतर सुविधाएं आदि समस्त कार्य बीसीसीआई द्वारा संपन्न कराए जा सकते हैं और खेलप्रेमी जनता को उच्च कोटि के अंतरराष्ट्रीय मैचों की लगातार मेजबानी का लुत्फ मिल सकता है। छत्तीसगढ़ के लिए एक महत्वपूर्ण बात ये भी है कि सीएससीएस के पूर्व अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया(पप्पू भाटिया )के पुत्र प्रभतेज भाटिया (कोषाध्यक्ष बीसीसीआई) है। अगर स्टेडियम का हस्तांतरण बीसीसीआई या सीएससीएस को हो जाता है तो स्टेडियम की पूरी जिम्मेदारी बीसीसीआई या सीएससीएस की होगी। हमारे देश में हर काम सरकार नहीं कर सकती ना ही उसे करना चाहिए। स्टेडियम की दुर्दशा बताती है की इसका सरकारीकरण इसे खऱाब कर रहा है।
क्रिकेट स्टेडियम को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर बनाए रखना और इसका रखरखाव एक बड़ी चुनौती काम है जिसे बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट संघ मिलकर बेहतर तरीक़े से कर सकते हैं। किसी मानक स्टेडियम के लिए पिच और आउटफील्ड की देखभाल अच्छी क्वालिटी की घास, ड्रेनेज सिस्टम और पिच क्यूरेशन जरूरी होता है। फ्लड लाइट्स और इलेक्ट्रिक सिस्टम नाइट मैचों के लिए हाई-क्वालिटी लाइटिंग जरूरी होती है। स्टेडियम में सुरक्षा और आपातकालीन सुविधाएँ, मेडिकल सुविधाएं, एम्बुलेंस और सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए।
फैंस के लिए सुविधाएँ बैठने की अच्छी व्यवस्था, साफ-सफाई, फूड कोर्ट और टिकट सिस्टम होना चाहिए। स्टेडियम में मैच के दौरान अपनाई जाने वाली नई-नई तकनीक के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी-हाई-डेफिनिशन स्क्रीन, डीआरएस (डीआरएस) तकनीक, और लाइव स्ट्रीमिंग के लिए बेहतर कैमरा सेटअप भी ज़रूरी है।
भारत में क्रिकेट के मैचों की संख्या बढऩे के साथ-साथ स्टेडियमों का विकास भी तेजी से हो रहा है। लेकिन उनके रखरखाव को बेहतर करने के लिए आधुनिक तकनीकों, पर्यावरण अनुकूल उपायों और आर्थिक रूप से व्यावहारिक मॉडल अपनाने की जरूरत है। बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट बोर्ड को मिलकर स्टेडियमों को ज्यादा उपयोगी और टिकाऊ बनाने पर ध्यान देंगे तो निश्चित ही स्टेडियम में सुधार होगा। भारत में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक जुनून है। आईपीएल, अंतरराष्ट्रीय मैच, घरेलू टूर्नामेंट और महिला क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता के कारण क्रिकेट मैचों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसके साथ ही स्टेडियमों का विकास और रख रखाव एक अहम मुद्दा बन गया है। अभी हमने हाल ही में चैम्पियन ट्राफ़ी के जियो हॉटस्टार पर लाईव प्रसारण में देखा कि इसे एक समय में 88 करोड़ लोग देख रहे थे। चूँकि हमारे देश में क्रिकेट में सबसे ज़्यादा ग्लैमर, पैसा प्रसिद्ध है, ऐसे में अब बड़ी-बड़ी कंपनी अपने मैच अपनी टीमें बना रही है। इन दिनों हो रहे सभी फ़ार्मेट के क्रिकेट पर एवं एलआईसी की यह पंच लाइन जि़ंदगी के साथ भी, जि़ंदगी के बाद भी लागू होती है। जूनियर टीम से लेकर मास्टर टीम में सभी उम्र अनुभव के खिलाड़ी फ़ीट हो रहे हैं। क्रिकेट ही हमारे देश में ऐसा खेल है जिसमें अधिकांश रिटायर्ड खिलाडिय़ों को पुनर्वास मिलता है।
भारत में क्रिकेट मैचों की बढ़ती संख्या इस बात का सबूत है कि देश में दिन-प्रतिदिन क्रिकेट का क्रेज़ बढ़ता जा रहा है। यदि हम इधर होने वाले मैच की बात करें तो प्रमुख रूप से आईपीएल हर साल अप्रैल-मई में 60-70 मैच खेले जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय मैच में टेस्ट, वनडे और टी20 सीरीज पूरे साल आयोजित होती हैं। घरेलू टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी, विजय हजारे ट्रॉफी, सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी जैसी कई प्रतियोगिताएं होती हैं।
महिला क्रिकेट में महिला प्रीमियर लीग के आने से महिलाओं के क्रिकेट को भी बढ़ावा मिला है। युवा और अंडर-19 क्रिकेट में नए खिलाडिय़ों को मौका देने के लिए कई जूनियर स्तर की प्रतियोगिताएं होती हैं।
क्रिकेट मैच के लिए जितने ज़रूरी खिलाड़ी, दर्शक, टीवी पर लाईव प्रसारण और प्रायोजक ज़रूरी हैं, उतना ही ज़रूरी क्रिकेट स्टेडियम। यदि आप गली मोहल्ले और छोटे मोटे मैदान पर खेल कर आप वो मुकाम हासिल नहीं कर सकते जो इस कम्पिटेटिव टाईम में ज़रूरी है। हमारे देश में सर्वाधिक दर्शक क्षमता वाला स्टेडियम गुजरात के अहमदाबाद में नरेन्द्र मोदी स्टेडियम है जिसकी दर्शक क्षमता 1,32 000 है। उसके बाद कलकत्ता का ईडन गार्डेन स्टेडियम है जिसकी क्षमता 66,000 है, उसके बाद रायपुर का शहीद वीर नारायण स्टेडियम है जिसकी क्षमता 65,000 है। चैनई के चिदंबरम स्टेडियम की क्षमता 50,000 है और मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम की क्षमता 33000 है। चूँकि ये स्टेडियम हमेशा इंगेज रहते हैं। इन स्टेडियम से बड़े-बड़े खिलाडिय़ों के नाम जुड़े हुए हैं जैसे दिल्ली का फिरोज शाह कोटला मैदान विराट कोहली और सहवाग जैसे दिग्गजों का मैदान है। राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम (हैदराबाद) में आईपीएल में सनराइजर्स हैदराबाद का घरेलू मैदान। एचपीसीए स्टेडियम (धर्मशाला)-खूबसूरत पहाड़ों के बीच स्थित। ग्रीनफील्ड स्टेडियम (केरल) बहुउद्देशीय स्टेडियम जैसे बहुत से नाम है। रायपुर का क्रिकेट स्टेडियम अभी अपनी पहचान तलाश रहा है। इसके साथ किसी बड़े स्टार खिलाड़ी का नाम नहीं जुड़ा है।
स्टेडियम को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट संघ मिलकर रखरखाव का काम करते हैं। भारत में क्रिकेट के मैचों की संख्या बढऩे के साथ-साथ स्टेडियमों का विकास भी तेजी से हो रहा है, लेकिन उनके रखरखाव को बेहतर करने के लिए आधुनिक तकनीकों, पर्यावरण अनुकूल उपायों और आर्थिक रूप से व्यावहारिक मॉडल अपनाने की जरूरत है। बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट बोर्ड को मिलकर स्टेडियमों को ज्यादा उपयोगी और टिकाऊ बनाने पर ध्यान देना चाहिए और राज्य सरकार को अपनी भूमिका फेसिलेटर की रखनी चाहिए। वरना राज्य में बने बहुत सारी अधोसंरचना और मिनी स्टेडियम की तरह इस स्टेडियम का भी यही हश्र हो सकता है।