Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – नदियों पर मंडराता खतरा एक गंभीर चेतावनी
-सुभाष मिश्र कवि दुष्यंत कुमार का एक शेर है – यहां तक आते-आते सूख जाती हैं कई नदियाँ मुझे मालूम है पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा।। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों से हम देखते हैं जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है तेजी से जल स्त्रोतों का पानी खत्म होने लगता है। नदियों का पानी घटते ही रेत माफिया […]
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