Shraddhaya Idam Shraddhaam : सर्वपितृ अमावस्या : भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन कृष्ण अमावस्या तक ब्रह्मांड की ऊर्जा पृथ्वी पर व्याप्त रहते हैं पितृप्राण

Shraddhaya Idam Shraddhaam :

Shraddhaya Idam Shraddhaam : श्राद्धपक्ष ( पितृपक्ष ) 

Shraddhaya Idam Shraddhaam : पितृपक्ष में प्रत्येक परिवार में मृत माता पिता का श्राद्ध किया जाता है, सभी हिन्दू नियम संयम के साथ इन 16 दिनों में तिथि के अनुसार श्राद्धकर्म करते हैं। भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर आश्विन कृष्ण अमावस्या तक ब्रह्मांड की ऊर्जा तथा उस ऊर्जा के साथ पितृप्राण पृथ्वी पर व्याप्त रहते हैं।

धार्मिक ग्रंथों में गरुण पुराण के अनुसार वह सूक्ष्म शरीर जो आत्मा भौतिक शरीर छोड़ने पर धारण करती है, प्रेत होती है। प्रिय के अतिरेक की अवस्था प्रेत है, क्योंकि आत्मा जो सूक्ष्म शरीर धारण कर लेती है, तब भी उसके अंदर मोह, माया, भूख और प्यास का अतिरेक होता है।

पिंडदान के बाद वह प्रेत, पितरों पितरों में सम्मिलित हो जाता है। 16 दिन अपना अपना भाग लेकर शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से पितर वापस चले जाते हैं। इन 16 दिनों के अंदर अपने पितरों के लिए श्राद्धकर्म अवश्य करें।

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Shraddhaya Idam Shraddhaam :  जो इस श्राद्धपक्ष में अपने पितरों के लिए अभी तक श्राद्ध नहीं किये है और जो कर भी दिए है वो भी आज श्राद्धपक्ष के अंतिम दिवस यानी सर्वपितृ अमावस्या के शुभ अवसर पे श्राद्धकर्म अवश्य करें।

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श्रद्धया इदम श्राद्धम।

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