Pradeep Mishra: मां से बड़ा इस संसार में दूसरा कोई गुरु नहीं : पं. श्री प्रदीप मिश्रा

मां से बड़ा इस संसार में दूसरा कोई गुरु नहीं : पं. श्री प्रदीप मिश्रा

7वें दिन की शिव महापुराण कथा आज सुबह 8 से 11 बजे तक

(दिपेश रोहिला)
जशपुर/मयाली। जिले के मयाली में मधेश्वर पहाड़ के समीप 21 मार्च से 27 मार्च तक आयोजित शिव महापुराण कथा के आज छठवें दिवस पर लाखों श्रद्धालुओं ने शिव कथा का रसपान किया। कथा से पूर्व प्रतिदिन की भांति मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय ने उपस्थित कथा श्रोतागणों को आध्यात्मिक बातें सुनाई। वहीं कथा के दौरान अपनी किस्मत का ताला खोलते चलो श्री शिवाय नमस्तुभ्यं तुम बोलते चलो के भजन पर पूरा पांडाल झूम उठा।

पंडित श्री प्रदीप मिश्रा ने छठवें दिवस के शिव महापुराण कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि मनुष्य का जन्म 84 लाख योनि में भटकने के पश्चात इस संसार में अंतिम जन्म में मनुष्य का होता है। इस मानव जन्म में मंदिर जाकर शिवलिंग में चढ़ाया गया एक लोटा जल से जीवन का उद्धार निश्चित है। उन्होंने कहा कथा और प्रवचन में बहुत बड़ा अंतर है। प्रवचन में दूसरे को ज्ञान,उपदेश देना सरल होता है, मगर कथा सुनकर स्वयं पर आत्मसात करना अत्यंत कठिन है। स्वयं परिचय कैसा हो यह कथा का पहला कार्य है और दूसरा ईश्वर को क्या श्रेष्ठ और प्रिय लगता है यह भी कथा बताती है। कथा स्वयं का भाव और एक रूप है।

उन्होंने वर्तमान पीढ़ी के नवयुवकों को अपने मुखारविंद से बतलाया कि पुत्र या पुत्री मां पिता का हाथ तब तक पकड़कर चलते जब तक उनके कंधे पर जिम्मेदारियां ना आए। उन्होंने युवा पीढ़ी से कहा किसी अच्छे सद्गुरु से जीवन में किसी भी परिस्थिति पर निर्णय लेने की शिक्षा ग्रहण करना अतिआवश्यक है। मगर इस पृथ्वी पर मां से बढ़कर दूसरा कोई गुरु नहीं हो सकता। कई ऐसे भी हैं जिनके मन को पड़ोसियों और दोस्तों की बात अच्छी लगती है, और घर के मां पिता और बुजुर्गों की बातें मानना उचित नहीं समझते,घर के बुजुर्गों के पास आज भी उन्होंने कहा शिव महापुराण कथा कहती है माता पिता के शब्द भले ही कड़वे लगते हों मगर श्रेष्ठता के मार्ग पर चलने का रास्ता उन्हीं से प्राप्त होता है।

Related News

भारत एक ऐसा देश है जहां भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म द्वारा साल के 365 दिनों में 400 से अधिक उत्सव और त्यौहार मनाए जाते हैं, आज जो सनातन धर्म के त्यौहारों को छोड़कर लोग अन्य त्यौहारों की ओर आकर्षित होकर मार्ग भटक रहे हैं वे अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे, आगे उन्होंने कहा जब भी ब्रह्मा,विष्णु, नारायण,वरुण अरुण 33 कोटि देवताओं के हृदय पर किसी भी बातों को लेकर संशय उत्पन्न हुई उन्होंने देवों के देव महादेव का सहारा लिया, केवल देवता ही नहीं बल्कि भगवान राम और कृष्ण के मन में भी संशय हुआ तब भगवान शिव की आराधना और भक्ति करी है। आपके अंतःमन में भी किसी प्रकार के संशय है तो मंदिर जाकर जल चढ़ाना प्रारंभ करें सारे संशय शिव समाप्त कर देते हैं। मंदिर में शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए मंदिर का ही जल उपयोग ना करें केवल घर से ही जल लेकर जाए जिससे पूरे कुल का उद्धार होता है, शिव को प्राप्त करने का एकमात्र स्थान शिव महापुराण कथा है, जिसमें शिव के दर्शन अवश्य होते है। मंदिर में भगवान के विग्रह का दर्शन होता है।

उन्होंने इस दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय को कहा कि इस शिव महापुराण कथा में यजमान बनने पर आनंद की प्राप्ति दी गई है तो जिले के लोगों सहित क्षेत्र के वनवासी क्षेत्र के लोगों को दी गई क्योंकि सभी इस महापुराण में यजमान बने हैं। उन्होंने श्रीमती साय को नारीशक्ति को जागृत करने में अहम भूमिका निभाने की बात कही। वहीं विश्व विख्यात पंडित श्री प्रदीप मिश्रा ने गंगा नदी के किनारे भगवान श्रीराम और केवट के मिलन की संपूर्ण कहानी पर विस्तार से प्रकाश डाला।

उन्होंने जशपुरवासियों से कहा आप सभी का सौभाग्य है कि इस वनांचल क्षेत्र मयाली में शिव महापुराण कथा के आयोजन पर आज स्वयं देवताओं द्वारा पुष्पों की वर्षा की जा रही होगी। उन्होंने कहा ताड़कासुर ने भगवान शिव से वरदान मांगा था कि उसका जीवन केवल शिव पुत्र से ही समाप्त होगा, क्योंकि उसे ज्ञात था कि जो आश वह शिव से लगाए बैठा है वह पूर्ण होने का यही एकमात्र मार्ग होगा। जिसके पश्चात कथा के छठवें दिवस पर भगवान श्री गणेश के विवाह का सजीव चित्रण का दर्शन कराते हुए श्रीमती कौशल्या साय सहित यजमानों ने आरती प्रारम्भ की। वही कल शिव महापुराण कथा के अंतिम दिवस पर सुबह 8 से 11 बजे तक कथा शुरू होगी।

Related News