- मोबाइल चलता है 4 जी से, लैपटॉप 5 जी से और आज का कलयुग चलता है शिव जी से
- शिव महापुराण के चतुर्थ दिवस पांडाल में दिखा जनसैलाब, लाखों की संख्या में उमड़ी भीड़
(दिपेश रोहिला)
जशपुर/पत्थलगांव। जिले के कुनकुरी, मयाली में दुनिया के सबसे बड़े प्राकृतिक शिवलिंग मधेश्वर पहाड़ के समीप अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पंडित श्री प्रदीप मिश्रा द्वारा 21 मार्च से प्रतिदिन शिव महापुराण की कथा की जा रही है, जो 27 मार्च तक भक्ति भाव से चलेगी। जिसमें छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों से आए शिव भक्तों को मधुर ध्वनियों में कथा का रसपान कराया जा रहा। इस मौके पर शिव भक्त हर हर महादेव के जयकारे और भजनों में जमकर झूम रहे हैं। सोमवार को कथा के चौथे दिन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय सहित अन्य यजमानो ने कथा सुनी। इस दौरान पंडित श्री प्रदीप मिश्रा ने श्रीमती कौशल्या साय को जशपुर सहित प्रदेश की मातृशक्ति को जागृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की बात कही।
वहीं प्रदीप मिश्रा ने चतुर्थ दिवस की शिव महापुराण के कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि शिव महापुराण यदि सबसे पहले कुछ प्रदान करती है तो वह हमारे मन को शांति प्रदान करती है। इस महापुराण को जो कोई अतःमन से श्रवण करता है उसकी झोली खुशियों से महादेव भरते है। हमारे सनातन धर्म में 4 वेद, 6 शास्त्र, 18 पुराण और 108 उपनिषद हैं, मगर यह शिव महापुराण की कथा एक ऐसी कथा है जिसे सच्चे मन से सुनी जाए तो मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। उन्होंने कहा कि जब शिव और पार्वती को तामरुका ने यह शिव महापुराण की कथा सुनाई है जिसमें महादेव स्वयं यजमान बने। इस शिव महापुराण कथा के पश्चात तामरुका ने भगवान शिव से दक्षिणा के रूप में किसी के घर पहुंच कर दुखों को हर लेने का वचन मांगा। यह एक ऐसी कथा है जिसमें भगवान शिव स्वयं वचन देते हैं कि इस कथा श्रवण के मात्र से मनुष्य के कष्टों को मिटाने के जवाबदारी शिव की होती है।
इस दौरान पंडित श्री प्रदीप मिश्रा ने कहा कि पंथ और सनातन धर्म दोनों में बहुत ही अंतर है, पंथ में स्थल,विधि विधान,पूजन पद्धति किसी एक पर ही टिककर चलती है लेकिन सनातन धर्म ऐसा है जिसमें 33 कोटि देवी देवताओं सहित पूजा,पद्धति,विधि विधान,स्थल सभी अलग अलग होते है। उन्होंने शिव भक्तों से सनातन धर्म को मजबूत करने का निवेदन करते हुए कहा कि अपने घरों में सदस्यों को बढ़ाने का प्रयास करे। सनातन धर्म को प्रबल बनाने में अब लोग एकजुट हो रहे है। शिवलिंग की आराधना भक्ति और वंदन करना सरल है परंतु ऐसा तभी संभव है जब शिव स्वयं आपके हृदय में बैठे हों। उन्होंने उपस्थित श्रोताओं को कष्टमयी जीवन से दूर रहने की विधि बताते हुए आगे कहा कि ब्रह्मा ब्रह्मलोक में, विष्णु बैकुंठलोक में रहते है लेकिन भोलेनाथ मृत्युलोक में ही वास करते है। उन्होंने पहली जिद खुद से और दूसरी जिद शिव से करने पर सभी कार्य सफल होने की बात कही। अपने हृदय में भक्ति का संचार करने के लिए शिव महापुराण का मूल ही “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” है। उन्होंने त्रेतायुग में भगवान श्री राम द्वारा 14 वर्ष वनवास के दौरान शिव की आराधना करने और द्वापरयुग में पांडवों को भगवान श्री कृष्ण द्वारा कहे गए भगवान शंकर का गुणगान करने का विस्तार से वर्णन किया। आगे उन्होंने कहा संसार के सभी दुखों को मिटाने शिव का साथ जरूरी है। जिस प्रकार “मोबाइल 4 जी से चलता है और लैपटॉप 5 जी से चलता है उसी प्रकार आज का कलयुग शिव जी से चलता है। कई वर्षों से शिव मंदिरों में ताले लगे हुए थे मगर यह शिवमहापुराण जल और पूजा का सुख पूरा विश्व को दे रहा है, क्योंकि सनातनियों की पहचान ही शिव है।
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उन्होंने कहा विधर्मीयों ने वर्षों पुराने शिव के मंदिरों को तोड़कर अपने स्थान बनाए हुए थे, और वर्तमान में जब उन्हें तोड़ा जा रहा है तो पुराने शिवलिंग निकल रहे हैं, छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक तप श्रीराम ने किया, यहां के छोटे से छोटे गांव, भूमि में यदि खोद कर देखा जाए तो वहां शिव ही निकालेंगे क्योंकि शंकर पार्वती का यहां मेल है। आज भी कौशांबी के एक कस्बे में गंगा नदी के तट पर युधिष्ठिर ने जो शिवलिंग निर्माण किया था वह आज भी है, मुगलों को लगा कि सोमनाथ मंदिर में हीरे,आभूषण मौजूद है मगर वहां उन्हें कुछ नहीं मिला तो शिवलिंग पर उनके द्वारा तलवार से वार कर उसे खंडित कर दिया यही अन्य धर्म और सनातन धर्म में अंतर है। जिसके पश्चात उन्होंने शिव का जाप कराते हुए मधुर वाणी से भजनों का रसपान कराया और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय ने यजमानों के साथ आरती की।