कोरिया/सोनहत। पंचायत सचिवों ने अपने शासकीयकरण की मांग को लेकर विगत 17 मार्च से हड़ताल जारी रखी है। उनकी हड़ताल के चलते पंचायत के सभी कार्य प्रभावित हो रहे हैं, जिससे ग्रामीणों को मिलने वाली सुविधाओं में भी बाधा उत्पन्न हो रही है। मंगलवार को पंचायत सचिवों ने मंत्रालय घेराव की चेतावनी दी थी, लेकिन बाद में वे जनपद पंचायत कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गए।
इस हड़ताल का मुख्य कारण विधानसभा चुनाव 2023-24 के दौरान प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पंचायत सचिवों के शासकीयकरण का वादा है। बीते 7 जुलाई 2024 को रायपुर के इंडोर स्टेडियम में आयोजित एक सभा में मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, उपमुख्यमंत्री, और महिला बाल विकास मंत्री ने पंचायत सचिवों के शासकीयकरण को आवश्यक बताते हुए जल्द समाधान का भरोसा दिया था। मुख्यमंत्री ने 18 जुलाई 2024 को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा एक समिति गठित करने का भी आश्वासन दिया था, जो 30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
हालांकि, अब जबकि समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है, पंचायत सचिवों को उम्मीद थी कि बजट सत्र में उनके शासकीयकरण का मामला उठाया जाएगा, लेकिन उनकी मांगों को दरकिनार कर दिया गया।
Related News
20 अप्रैल को दिल्ली के जंतर मंतर पहुंचकर अपनी आवाज करेंगे बुलंद
पत्थलगांव(दिपेश रोहिला) । पंचायत सचिव संघ अपने शासकीयकरण की एक सूत्रीय मांग को लेकर बीते 30 दिनों से हड़ताल पर है, ...
Continue reading
8 अप्रैल से 11अप्रैल तक नगरीय निकायों एवं ग्राम पंचायतों में आमजन से लिए जाएंगे आवेदन
कलेक्टर ने विभिन्न ग्राम पंचायत पहुंचकर प्राप्त आवेदनों का किया अवलोकन
हिंगोरा सिं...
Continue reading
रबी फसल कमजोर, चिंता में पोहा मिलें
राजकुमार मल
भाटापारा:- विष्णुभोग रिकॉर्ड 6050 रुपए क्विंटल। मंदी की धारणा दूर-दूर तक नहीं क्योंकि मांग और आपूर्ति के बीच गहरी खाई बन चुकी है। ...
Continue reading
कोरिया/सोनहत। अपनी शासकीयकरण की मांग को लेकर पंचायत सचिवों ने विगत 17 मार्च से हड़ताल जारी रखी है। इस हड़ताल के कारण पंचायत के सभी कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं, जिससे ग्रा...
Continue reading
राजकुमार मल
भाटापारा:- खुश हैं गमछा कारोबारी पखवाड़े पर पहले निकलती मांग को देखकर। मौसम विभाग के पूर्वानुमानों पर पूरा ध्यान था। इसलिए अग्रिम भंडारण जैसी व्यवस्था काम आने लगी है। ...
Continue reading
कोरिया/सोनहत। पंचायत सचिवों का अनिश्चितकालीन हड़ताल आज आठवे दिन में प्रवेश कर गई है। सचिवों ने अपनी एकमात्र मांग, नियमितीकरण को लेकर आज सुंदरकांड का पाठ किया। उनका कहना है कि उनकी ...
Continue reading
प्रतापपुर। पंचायत सचिव संघ के बैनर तले प्रतापपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत सचिव अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हैं। उनकी प्रमुख मांग पंचायत सचिवों का शासकीयकरण है। यह...
Continue reading
सरकार से शासकीयकरण की मांग
कोण्डागांव। पंचायत सचिवों के शासकीयकरण की मांग को लेकर प्रदेशभर में सचिवों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इसी कड़ी में कोंडागांव जिले के 288 पंचायत सचिव अनि...
Continue reading
पंचायत का कार्य हो रहे प्रभावित, 1 को मंत्रालय घेरेंगे
भानुप्रतापपुर। अपने एक सूत्रीय शासकीयकरण कि मांग को लेकर भानुप्रतापपुर पंचायत सचिव संघ जनपद कार्यालय के सामने 18 मार्च से अन...
Continue reading
हिंगोरा सिंह
अम्बिकापुर।। सरगुजा जिला पंचायत के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के लिए आज हुए निर्वाचन में भाजपा समर्थित निरूपा सिंह जिला पंचायत की अध्यक्ष चुनी गई हैं ।
वहीं उपाध्यक्ष प...
Continue reading
उमेश डहरिया
कोरबा। जिले में हो रहे पंचायत चुनाव के तीसरे चरण मैं मतदान की प्रक्रिया चल रही है वही जिला प्रशासन नहीं चुनावी कार्य के लिए बसों का अधिग्रहण किया है जो चुनाव ड्यूटी म...
Continue reading
जशपुर। जिले के जनपद पंचायत कार्यालय के कैंपस के पीछे नरेगा कार्यालय के बगल में शराब के बोतलों का जखीरा पड़ा मिला है। इस कैंपस में ही एक वरिष्ठ कृषि अधिकारी का भी कार्यालय है। मगर ज...
Continue reading
विकासखंड सोनहत के प्रमुख सचिवों में विजय शंकर जायसवाल, प्रवीण कुमार पांडे, रामलाल राजवाड़े, और अन्य शामिल हैं, जो हड़ताल में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि “हमारी मांगें न्यायसंगत हैं और सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।”
इस स्थिति का ग्रामीणों पर भी गंभीर असर पड़ा है। कई स्थानीय निवासी अब सरकारी सेवाओं से वंचित हो गए हैं, जिससे उन्हें दैनिक जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। एक ग्रामीण ने कहा, “हमें पंचायत सचिवों के काम की जरूरत है, लेकिन यह सब हड़ताल की वजह से ठप है। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार जल्दी ही इस मुद्दे का समाधान निकालेगी।”
यदि पंचायत सचिवों की मांगों को अनदेखा किया गया, तो यह न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे ग्रामीण समाज के लिए एक बड़े संकट का कारण बन सकता है।
पंचायत सचिवों की हड़ताल ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी कर्मचारियों के मुद्दों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ग्रामीणों की भलाई और विकास के लिए उनकी मांगों का समाधान करना आवश्यक है। यदि यह न किया गया, तो आने वाले समय में और भी अधिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।