राजकुमार मल
भाटापारा:- खुश हैं गमछा कारोबारी पखवाड़े पर पहले निकलती मांग को देखकर। मौसम विभाग के पूर्वानुमानों पर पूरा ध्यान था। इसलिए अग्रिम भंडारण जैसी व्यवस्था काम आने लगी है। खरीदी का आंकड़ा इसलिए बढ़ने की संभावना है क्योंकि प्रति नग कीमत स्थिर है।
बीते बरस की गर्मी ने जो तेवर दिखाए थे, उसे देखकर गमछा बाजार इस बार बेहद सतर्क है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के पूर्वानुमानों पर गंभीरता से नजर रखने वाले गमछा बाजार ने इस वर्ष न केवल अग्रिम सौदे किए बल्कि सौदे में संख्या भी बढ़ा दी। अब काम आ रही है यह कवायद क्योंकि चिल्हर बाजार की मांग ने दस्तक दे दी है।
थोक पूरा, बारी चिल्हर की
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग का पूर्वानुमान सच के करीब है। ध्यान था बीते बरस की गर्मी का। इसलिए गमछा बाजार ने फरवरी मध्य में ही गमछा बनाने वाली इकाइयों को ऑर्डर दे दिए थे। समय पर यह काम पूरा कर लिया गया है। अब बारी चिल्हर बाजार की है जिसकी मांग ने दस्तक दे दी है क्योंकि उपभोक्ता मांग चालू हो चुकी है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र इस बार खरीदी को लेकर जोरदार रुझान दिखा रहा है।
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समय से पहले मांग
ग्रीष्मकाल में मार्च के दूसरे सप्ताह से गमछा में खरीदी निकलती थी। इस बार डिमांड ने मध्य फरवरी में ही दस्तक दे दी। अनुमान पहले से ही थी डिमांड की इसलिए गमछा बाजार ने अग्रिम सौदे और भंडारण पहले से ही किया हुआ था। तैयारी काम आ रही है। जैसी डिमांड निकल रही है वह प्रमाणित कर रही है कि जून अंत तक यह स्थिति बनी रह सकती है। बाद के दिनों के लिए छतरियां और रेनकोट की तैयारी की योजना है।
इसलिए 25 फ़ीसदी बढ़ेगी
न्यूनतम 35 रुपए प्रति नग। अधिकतम 150 रुपए प्रति नग। बीते साल की यह कीमत इस बार भी गमछा में बनी हुई है। गर्मी और डिमांड को देखते हुए स्थिर कीमत गमछा बाजार में 25 से 30 फीसदी की वृद्धि ला सकती है। इसके अलावा ग्रामीण बाजार की जैसी मांग निकल रही है, उससे भी वृद्धि की इस धारणा को बल मिल रहा है। इसलिए गमछा बाजार आंध्र प्रदेश की गमछा बनाने वाली इकाइयों से संपर्क बढ़ाए हुए हैं।