Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – ‘विरासत’ पर सियासत

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

लोकसभा चुनाव के बीच विरासत टैक्स पर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आ गई है। इस बीच इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा का भी इस पर एक बयान सामने आया। उन्होंने कहा कि भारत में विरासत टैक्स लगाने पर बहस होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है। अगर किसी के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है। उसके मरने के बाद 45 प्रतिशत संपत्ति उसके बच्चों को मिलती है, जबकि 55 प्रतिशत पर सरकार का मालिकाना हक हो जाता है। यह बड़ा ही दिलचस्प कानून है।
इसके बाद पीएम मोदी, अमित शाह समेत भाजपा के कई नेताओं ने अपनी-अपनी रैलियों में कांग्रेस पर हमला बोला। पीएम मोदी ने छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में कहा कि कांग्रेस कहती है कि वो माता-पिता से मिलने वाली विरासत पर भी टैक्स लगाएगी। आप जो अपनी मेहनत से संपत्ति जुटाते हैं, वो आपके बच्चों को नहीं मिलेगी। वो भी कांग्रेस का पंजा आपसे छीन लेगा। उधर गृह मंत्री गृह मंत्री अमित शाह ने सैम पित्रोदा के बयान की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि सैम पित्रोदा की टिप्पणी के बाद कांग्रेस पूरी तरह बेनकाब हो गई है। सबसे पहले उनके घोषणापत्र में सर्वेक्षण का जिक्र, अब सैम पित्रोदा की अमेरिका का हवाला देते हुए टिप्पणी कि पैसे के बंटवारे पर विचार-विमर्श होना चाहिए। इससे कांग्रेस की मानसिकता का पता चलता है।
उधर, कांग्रेस ने सैम के बयान से किनारा कर लिया। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह उनके निजी विचार हैं। इसका पार्टी से कोई मतलब नहीं है। वहीं मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा देश में एक संविधान है। हमारी ऐसी कोई मंशा नहीं है। पत्रकारों से कहा कि आप पीएम मोदी के आइडिया पर हमारा नाम क्यों लगा रहे हैं। सिर्फ वोट की खातिर पीएम मोदी ये सारे खेल-खेल रहे हैं।
सैम पित्रोदा ने कहा कि भारत में विरासत टैक्स लगाने पर बहस होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है। अगर किसी के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है। उसके मरने के बाद 45 प्रतिशत संपत्ति उसके बच्चों को मिलती है, जबकि 55 प्रतिशत पर सरकार का मालिकाना हक हो जाता है। विरासत टैक्स और संपत्ति कर दोनों अलग-अलग चीजें हैं। एस्टेट टैक्स संपत्ति के बंटवारे से पहले ही उस प्रॉपर्टी पर लगाया जाता है। विरासत टैक्स सीधे उन लोगों पर लगता है जिन्हें विरासत में संपत्ति मिलती है। अगर इस संपत्ति से किसी तरह की कमाई होती है तो उस पर अलग से इनकम टैक्स भी लगता है।
अमेरिका के अलावा दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां विरासत टैक्स लगाया जाता है। एक सर्वे में बताया गया है कि किस देश में कितना विरासत टैक्स वसूला जाता है। जापान में 55 प्रतिशत, साउथ कोरिया में 55 प्रतिशत, फ्रांस में 45 प्रतिशत विरासत टैक्स लगाया जाता है। इसी तरह ब्रिटेन में 40 प्रतिशत विरासत टैक्स लगाया जाता है।
अगर हम इस दिशा में सोचे तो इसके क्या लाभ हो सकते हैं और क्या नुकसान भारत में लगभग 40 साल पहले इन्हेरिटेंस टैक्स, जिसे संपत्ति कर या संपत्ति शुल्क के रूप में भी जाना जाता है लगाया जाता था। इन्हेरिटेंस टैक्स की दर आम तौर पर उत्तराधिकारी द्वारा प्राप्त संपत्ति के मूल्य और मृतक के साथ उसके संबंध पर निर्भर करती थी। इसके विपरीत, संपत्ति कर, मृत्यु के समय मृत व्यक्ति के स्वामित्व वाली संपत्ति के शुद्ध मूल्य पर आधारित होता थी। इसे तभी एकत्र किया जाता था जब मूल्य कानून के तहत छूट सीमा से अधिक हो। राजीव गांधी की तत्कालीन केंद्र सरकार में वित्त मंत्री रहे वीपी सिंह ने इन्हेरिटेंस टैक्स समाप्त करने का निर्णय किया था। वीपी सिंह का मानना था कि इस टैक्स ने अधिक न्यायसंगत समाज बनाने और धन असमानता को कम करने के अपने इच्छित लक्ष्य को हासिल नहीं किया है। इन्हेरिटेंस टैक्स या संपत्ति शुल्क को इस तर्क पर समाप्त कर दिया गया था कि इससे प्राप्त होने वाला शुद्ध लाभ नकारात्मक था। साथ ही सरकार ने खुद को असंख्य मुकदमेबाजी में फंसा पाया था इसलिए इस टैक्स को 1985 में समाप्त कर दिया गया था।
अब इसे फिर से लागू करने का विचार एक बड़ी बहस को जन्म दे सकता है। भले ही सामाजिक स्तर पर इसका लाभ न हो लेकिन सियासी रूप से इसे नया रंग जरूर दिया जा सकता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU