कंगना रनौत का बड़ा बयान! चुनाव जीती तो बॉलीवुड छोड़ दूंगी! राजनीति ही करूंगी…

बॉलीवुड की क्वीन कंगना रनौत इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी की उम्मीदवार हैं. उन्हें हिमाचल प्रदेश के मंडी से टिकट मिला है. मंडी की बेटी कंगना जोर शोर प्रचार में जुटी हुई हैं। उन्हें उम्मीद है इस चुनाव में उनकी जीत होगी.

कंगना ने इशारा किया कि लोकसभा चुनाव में अगर वो जीतती हैं, फिल्म और राजनीति को कैसे मैनेज कर पाएगी? इस पर एक्ट्रेस बोलीं, ‘मैं फिल्मों में भी पक जाती हूं, मैं रोल भी करती हूं, निर्देशन भी करती हूं… अगर मुझे राजनीति में संभावना दिखती है कि लोग मुझसे जुड़ रहे हैं तो फिर में राजनीति ही करूंगी. आईडियली में एक ही काम करना चाहूंगी.

”अगर मुझे लगता है कि लोगों को मेरी जरूरत है तो फिर मैं उसी दिशा में जाऊंगी. मैं अगर मंडी से जीत जाती हूं तो फिर मैं राजनीति ही करूंगी. मुझे कई फिल्ममेकर कहते हैं कि राजनीति में मत जाओ. आपको लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहिए. मेरी निजी महत्वाकांक्षाओं की वजह से लोग सफर कर रहे हैं यह तो अच्छा नहीं है… मैंने एक प्रिविलेज लाइफ जी है, अगर अब लोगों के साथ जुड़ने का मौका मिल रहा है तो उसे भी पूरा करूंगी. मुझे लगता है सबसे पहले लोगों की आपसे जो उम्मीदें हैं …आपको उसके साथ जस्टिस करना चाहिए.”

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राजनीति और फिल्मी दुनिया में कितना फर्क?

एक्ट्रेस से पूछा गया कि फिल्मों के मुकाबले राजनीति की लाइफ एकदम अलग होती है. क्या ये सब उन्हें जंच रहा है? … जवाब में कंगना बोलीं- फिल्मों की एक झूठी सी दुनिया है. वो अलग वातावरण बनाया जाता है. एक बबल बनाया जाता है लोगों को आकर्षित करने के लिए. लेकिन राजनीति एक वास्तविकता हैं आपको लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहिए. मेरी निजी महत्वाकांक्षाओं की वजह से लोग सफर कर रहे हैं यह तो अच्छा नहीं है. मैंने एक प्रिविलेज लाइफ जी है, अगर अब लोगों के साथ जुड़ने का मौका मिल रहा है तो उसे भी पूरा करूंगी. मुझे लगता है सबसे पहले लोगों की आपसे जो उम्मीदें है आपको उसके साथ आपको उसके साथ जस्टिस करना चाहिए.

परिवारवाद पर क्या बोलीं कंगना?

कंगना रनौत ने परिवारवाद पर कहा- स्वाभाविक है. मुझे लगता है कहीं ना कहीं हमने परिवारवाद को फिल्मों और पॉलिटिक्स तक सीमित कर दिया है. परिवारवाद सबकी दिक्कत है और होनी चाहिए. इसका दुनिया में कोई अंत नहीं है. आपको ममता से उभरकर बाहर आना होगा. जहां तक हम खुद को एक्सटेंड करते हैं वो परिवार होता है. आज मुझे कहते हैं मंडी की बेटी. ये मेरा परिवार है. ममता में कमजोर नहीं होना है.

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