मैं नहीं शराब घोटाले का मास्टर माइंड, ईडी के सारे आरोप झूठेः अनिल टुटेजा

मैं नहीं शराब घोटाले का मास्टर माइंड

रायपुर। छत्तीसगढ़ के 2 हजार करोड़ के शराब घोटाले (छत्तीसगढ़ शराब घोटाला) में फंसे पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर खुद को बेकसूर बताया है। टुटेजा ने सीएम को छह पेज की चि_ी लिखी है जिसमें उन्होंने वे सारे प्रमाण संलग्न किए हैं जो उन पर लगाए गए आरोपों को निराधार बताते हैं। टुटेजा ने पत्र के माध्यम से कहा कि ईडी ने उन पर सिर्फ कल्पना के आधार पर आरोप लगाए हैं जिनके कोई पुख्ता सुबूत नहीं हैं। उनको इस संबंध में अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया गया। टुटेजा का यह पत्र दो महीने पहले का है जब ईओडब्ल्यू ने उन पर केस दर्ज किया था। टुटेजा ने कहा कि रिटायर होने के बाद भी उनकी अब तक पेंशन नहीं बनी है और न ही उनको जीपीएफ का पैसा मिला है।


सीएम को यह लिखा है अनिल टुटेजा ने पत्र में  : ईडी ने अपने प्रासिक्यूसन कंपलेन में मुझ पर शराब घोटाले का मास्टर माइंड होने का आरोप लगाया है। प्राकृतिक नियम के अनुसार मुझे अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए था लेकिन मेरा पक्ष नहीं सुना गया। इसलिए मैं आपके सामने अपना पक्ष रख रहा हूं।  आबकारी विभाग को हाईजैक करने, अपने हिसाब से नीतियां तय करने और अपने व्यक्तियों को लाभ दिलाने का आरोप काल्पनिक है। नवंबर 2018 से मई 2019 तक कमलप्रीत आबकारी विभाग के सचिव व आयुक्त थे। इसके बाद 2023 तक निरंजन दास विभाग के सचिव और आयुक्त थे। सारे अधिकारी इनके ही अधीन होते हैं। मुझसे कभी कमलप्रीत या निरंजनदास ने आबकारी विभाग के संबंध में कोई चर्चा नहीं की। न ही मेरे द्वारा कोई दखलंदाजी की गई। ईडी द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि के लिए न तो कमलप्रीत और न ही निरंजनदास के बयान लिए गए। ईडी को पता था कि यदि इन दोनों अधिकारियों के बयान ले लिए गए तो उसकी पूरी कहानी झूठी साबित हो जाती। इस तथ्य को भी ध्यान में नहीं रखा गया कि उद्योग विभाग में मेंरी पोस्टिंग जुलाई 2019 में हुई थी इसके पहले मुझे कोई विभाग आवंटित नहीं किया गया था। जबकि 1 अप्रैल 2019 को अवैध वसूली का कार्य आरंभ होना बताया गया था।
सिंडीकेट के अन्य सदस्यों और देशी विदेशी महिदा के निर्माता और सप्लायर,प्लेसमेंट एजेंसी के मालिक सिद्धार्थ सिंघानिया,होलोग्राम सप्लायर विधुगुप्ता, कैश कलेक्शन एजेंसी के संचालक एफएल 10(ए) के लायसेंसी, विकास अग्रवाल,अरविंद सिंह, नितेश पुरोहित से और फील्ड में पदस्थ किसी भी आबकारी अधिकारी से न मैं कभी मिला और न ही इनसे किसी प्रकार का मेरा संवाद हुआ। इनमें से किसी को भी शराब व्यवसाय से संबंधित किसी प्रकार के कार्य दिलाने में मेरी कोई भूमिका नहीं थी। ईडी ने इनके बयान लिए हैं जिनमें से किसी ने भी मेरी किसी भी प्रकार की भूमिका का उल्लेख नहीं किया।
शराब के अवैध कारोबार से मुझे हिस्सा देने का एक मात्र गवाह नितेश पुरोहित को बताया गया है। शराब व्यवसाय में मुझे 14.41 करोड़ मिलने के आरोपों की पुष्टि के लिए ईडी ने अनबर ढेबर और नितेश पुरोहित के बीच के वाट्सएप चैट को पेश किया गया है। इस चैट के आधार पर मुझ पर ये रुपए लेने का आरोप लगाया गया। जबकि सच तो ये है कि मैं नितेश पुरोहित को न तो जानता हूं,न कभी मुलाकात या बात हुई है। इसलिए ये आरोप पूर्णत: निराधार साबित होता है।
मुझे ये जानकारी मिली है कि नितेश पुरोहित को ईडी अधिकारियों ने प्रताडि़त किया है और पहले से टाइप किए हुए बयान पर हस्ताक्षर करने को मजबूर किया गया। जबकि नितेश पुरोहित ने रायपुर की विशेष अदालत में आवेदन देकर यह स्पष्ट कहा है कि उनसे कुछ पन्नों पर जबरदस्ती हस्ताक्षर कराए गए। मैं अनिल टुटेजा को नहीं जानता और न ही कभी उनसे मिला हूं।
अनवर ढेबर कांग्रेस नेता हैं और मेरे और एपी त्रिपाठी के पुराने परिचित हैं। 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने पर वे देशी और विदेशी शराब में कुछ हिस्सा लेना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने मुझसे और त्रिपाठी से मदद मांगी। मैने मदद करने की कोशिश की लेकिन मुझे सफलता नहीं मिली। इसके बाद मेरी उनसे इस संबध में कभी कोई चर्चा नहीं हुई। न ही उनके द्वारा कोई साक्ष्य प्रस्तुत किया गया।
इन सारे तथ्यों से ये स्पष्ट है कि मुझ पर शराब घोटाले का मास्टर माइंड होने, पद का दुरुपयोग करने और अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने के आरोप पूर्णत: मनगढ़ंत हैं। मेरी विनम्र प्रार्थना है कि एसीबी द्वारा मेरे खिलाफ की जा रही जांच पर रोक लगाने के निर्देश जारी करने का कष्ट करें और मुझे पेंशन स्वीकृति और जीपीएफ भुगतान के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी करने का कष्ट करें।

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