हाईकोर्ट ने सभी 50 याचिकाएं की खारिज, कहा-सरकार की अधिसूचनाओं में हस्तक्षेप का वैध कारण नहीं
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव के लिए वार्ड परिसीमन के खिलाफ दायर सभी 50 याचिकाओं को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। जस्टिस पीपी साहू ने याचिकाओं को आधारहीन मानते हुए राज्य सरकार की अधिसूचनाओं पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।
दरअसल, हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान बिलासपुर, राजनांदगांव नगर निगम, तखतपुर, कुम्हारी, बेमेतरा के साथ ही 7 नगर निगम और नगर पालिका में होने वाले वार्डों के परिसीमन पर रोक लगा दिया था। वहीं, पिछली 13 याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए सभी को खारिज कर दिया। अब मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर गहन विचार के बाद याचिकाओं को औचित्य-हीन बताया है। साथ ही कहा कि, परिसीमन पर हस्तक्षेप करने का कोई उचित और ठोस कारण नहीं है।
याचिकाकर्ताओं ने 2011 की जनगणना को बनाया आधार
परिसीमन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर याचिकाकर्ताओं का कहना था कि, राज्य सरकार ने प्रदेश भर के निकायों के वार्ड परिसीमन के लिए जो आदेश जारी किया है। उसमें वर्ष 2011 की जनगणना को आधार माना गया है। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने इसके पहले वर्ष 2014 और 2019 में भी वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन का कार्य किया है। जब आधार एक ही है, तो इस बार क्यों परिसीमन कराया जा रहा है।
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कांग्रेस नेताओं ने जारी की थी याचिका
यह याचिका बिलासपुर में पूर्व कांग्रेसी विधायक शैलेष पांडेय और कांग्रेस के चार ब्लॉक अध्यक्ष विनोद साहू, मोती थारवानी, जावेद मेमन, अरविंद शुक्ला ने तो तखतपुर से टेकचंद कारड़ा ने दायर की थी।
पहले भी जनसंख्या के आधार पर किया गया है परिसीमन- शासन
मामले की सुनवाई दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि, जनसंख्या के आधार पर पहले भी परिसीमन किया गया है। कभी भी कोई आपत्ति नहीं आई। इस बार जानबूझकर ऐसा किया जा रहा है ताकि प्रक्रिया को प्रभावित किया जा सके। इस पर कोर्ट ने पूछा कि, वर्ष 2011 की जनगणना को वर्तमान परिदृश्य में आदर्श कैसे मानेंगे। दो बार परिसीमन कर लिया गया है, तो तीसरी बार परिसीमन क्यों किया जा रहा है। इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि परिसीमन से पहले पूरी प्रक्रिया और नियमों का पालन किया गया है। जनसंख्या के आधार पर परिसीमन के लिए पहले नोटिस जारी किया गया। आपत्तियों का निराकरण भी किया गया। कोर्ट ने सरकार की बात को स्वीकार करते हुए परिसीमन के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।