Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – महामहिम मुर्मू ने बढ़ाया छत्तीसगढ़ का मान

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-सुभाष मिश्र

राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च पद होता है, इस पर महामहिम द्रौपदी मुर्मू आसीन हैं। ऐसे में अगर वह छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य में जाती है और वहां 2 दिन का समय बिताती हैं। वह भी शिक्षण संस्थानों में जाकर तो इससे देश और दुनिया को एक बड़ा संदेश जाता है। छत्तीसगढ़ एक पिछड़ा हुआ राज्य है, यहां नक्सलवाद भी काफी ज्यादा है। छत्तीसगढ़ अपनी नक्सलवाद वाली छवि को तोड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। यहां भारत में राष्ट्रपति अपने 2 दिन के दौरे पर आती है। एम्स में जाती हैं, एनआईटी में जाती हैं। वहां पर वे लोगों को संबोधित करती हैं। इससे पूरे देश में यह संदेश जाता है कि छत्तीसगढ़ में भी शिक्षा के मायने में वे तमाम चीजें मौजूद हैं जो एक विकसित राज्य में होनी चाहिए। छत्तीसगढ़ ने अपनी पूरी 24 वर्ष की यात्रा में सफलता के नए-नए प्रतिमान गढ़े हैं। चाहे वह चिकित्सा के क्षेत्र में हो या फिर शिक्षा के क्षेत्र में हो और चाहे इंफ्रास्टक्चर के क्षेत्र में हो छत्तीसगढ़ लगातार विकास के नए-नए सोपान गढ़ रहा है।
छत्तीसगढ़ में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए जो महतारी वंदन योजना चल रही है। उसमें भी राज्य अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल कर रहा है, तभी तो महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महिला हितग्राहियों के बैंक खाते में अक्टूबर माह के एक-एक हजार जारी किए। ऐसे में अगर देखा जाए तो राष्ट्रपति का दो दिवसीय दौरा छत्तीसगढ़ की सुंदर छवि को पूरी दुनिया के सामने स्थापित करने में बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने दो दिवसीय दौरे में छत्तीसगढ़ के तमाम शिक्षण संस्थानों में गई और वहां दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया। वे किन-किन संस्थानों में गई और क्या कहा इसे समझने की कोशिश करते हैं।
दरअसल, भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 25 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचीं। माना स्थित विमानतल पर उनका स्वागत प्रदेश के राज्यपाल रमेन डेका और प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उनका हार्दिक स्वागत किया। उनके साथ सांसद बृजमोहन अग्रवाल भी मौके पर मौजूद रहे। इसके बाद वे यहां से सीधे राजभवन पहुंचीं जहां राज्यपाल रमेन डेका ने सपत्नीक महामहिम मुर्मू का स्वागत किया। उसके बाद वे एम्स के दूसरे दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं। यहां उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि एम्स रायपुर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, चलित क्लीनिकल डिजीज और सपोर्ट सिस्टम पर भी कार्य कर रहा है। एम्स के डॉक्टरों और विद्यार्थियों से यह आशा की जाती है कि वे आधुनिक पद्धतियों को अपनाने के लिए हमेशा सक्रिय रहेंगे। हमने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। डिजिटल समावेशन के क्षेत्र में भारत की सफलता ने दुनिया को चौंका दिया है। केंद्र सरकार इंडिया-एआई मिशन के तहत स्टार्टअप को प्रोत्साहित कर रही है। स्थानीय समस्याओं के लिए कम लागत वाले समाधान विकसित करना सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रबंधन, शिक्षकों और छात्रों की प्राथमिकता होनी चाहिए। राष्ट्रपति ने एम्स के 10 छात्रों को गोल्ड मेडल प्रदान किया। वहीं 514 छात्रों को डिग्री दी गई।
राष्ट्रपति ने एनआईटी में इंजीनियरिंग की अलग-अलग शाखाओं के 11 टॉपर्स को गोल्ड मेडल दिए। समारोह में 1439 विद्यार्थियों डिग्री दी गई। एनआईटी रायपुर के 14वें दीक्षांत समारोह में मेडल प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं के साथ राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे।  एनआईटी कन्वोकेशन में कुल 1439 स्टूडेंट को डिग्री दी गई। इनमें बी.टेक और बी.आर्क प्रोग्राम के 1044, एमसीए और एम. टेक प्रोग्राम के 225 छात्रों और पीएचडी के 170 लोगों को डिग्री दी गई। एनआईटी के सीएस ब्रांच के यश बंसल ओवर ऑल टॉपर रहे। वहीं इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट की दिशा जैन सेकेंड ओवरऑल टॉपर, प्रियांशु कुमार थर्ड ओवरऑल टॉपर रहीं। एनआईटी में अंडर ग्रेजुएशन कैटेगरी में 11 लड़कियां और 13 लड़कों को मेडल प्रदान किए गए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विद्यार्थियों को एनआईटी जैसे उत्कृष्ट शिक्षण संस्थान से शिक्षा ग्रहण कर डिग्री प्राप्त करने पर हृदय से बधाई दी। उन्होंने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए विद्यार्थियों से कहा कि आज आप अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण चरण को पूरा कर दूसरे चरण में प्रवेश कर रहे हैं। आप लोगों ने अपने परिश्रम और प्रतिभा के बल पर विशिष्ट मान्यता प्राप्त की है। विद्यार्थियों की सफलता में परिवार के प्रोत्साहन तथा प्राध्यापकों के मार्गदर्शन की निर्णायक भूमिका होती है। मैं सभी विद्यार्थियों के परिवारजनों तथा प्राध्यापकों को भी बधाई देती हूं।

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि तकनीक का विकास विज्ञान पर निर्भर होता है। इंजीनियरिंग में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए अत्याधुनिक वैज्ञानिक प्रगति के बारे में जानकारी बनाए रखना आप सबके लिए सहायक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि डिजिटल इनक्लुजन के क्षेत्र में भारत की सफलता ने पूरे विश्व को आश्चर्यचकित कर दिया है। हमारे देश में ऐसे अन्य उदाहरण प्रस्तुत करने की संभावनाएं और क्षमताएं विद्यमान हैं। एनआईटी रायपुर जैसे उच्च तकनीकी शिक्षण संस्थानों और आप जैसे युवाओं में यह उत्साह होना चाहिए कि ऐसी संभावनाओं को समझें और उन्हें कार्यरूप प्रदान करें। आप अपने योगदान का दायरा जितना अधिक विस्तृत करेंगे, उतना ही अधिक आपका व्यक्तिगत विकास होगा। बड़ी सोच, बड़ी आकांक्षाओं को जन्म देती है। बड़ी आकांक्षाएं ही प्रभावशाली यथार्थ का रूप लेती है।
राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि जो व्यक्ति अपना काम पूरी निष्ठा, नैतिकता और कुशलता के साथ निरंतर करते रहते हैं, उन्हें सहज ही लोगों का सम्मान प्राप्त होता है। आप सभी लगन के साथ कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ते रहिए। सफलता और प्रतिष्ठा आपका अनुसरण करेंगी। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का उदाहरण देते हुए कहा कि दूसरों के कल्याण के लिए कार्य करना व्यक्तिगत जीवन को सार्थक और सामाजिक जीवन को बेहतर बनाता है। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम ने विज्ञान और तकनीक का देश की सुरक्षा और समाज कल्याण के लिए उपयोग करते हुए अपार यश अर्जित किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार ने देश को ग्लोबल सेमीकंडक्टर मेनुफैक्चरिंग हब बनाने तीन वर्ष पहले इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन का शुभारंभ किया है। आर्थिक विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा और टेक्नोलॉजिकल सेल्फ-रिलायंस की दृष्टि से सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री बहुत महत्वपूर्ण है। इस उद्योग में युवा इंजीनियरों को रोजगार तथा स्टार्ट-अप्स के अनेक अवसर मिलेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे देश के प्रतिभाशाली इंजीनियर्स ने ऐसे अनोखे उद्यम स्थापित किए हैं, जिनके बारे में कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। आप जैसे इंजीनियरिंग टैलेंट पूल के बल पर देश में महत्वाकांक्षी योजनाएं बनाई जा रही है, उनको कार्यरूप दिया जा रहा है। राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि युवा विकसित भारत का निर्माण करेंगे। युवाओं के प्रयासों से भारत विश्व में अपनी स्थिति को और मजबूत बनाएगा। इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने छत्तीसगढ़ राज्य की 70 लाख महिलाओं को दीवाली से पहले महतारी वंदन योजना की 9वीं किश्त की राशि 651.37 करोड़ रूपए रिमोट बटन दबाकर उनके बैंक खातों में ऑनलाईन अंतरित किया। राष्ट्रपति ने आदिम जाति कल्याण विभाग से जुड़ी तीन पुस्तकों का भी विमोचन किया।
राष्ट्रपति ने पहले दिन नवा रायपुर स्थित पुरखौती मुक्तांगन में हो रहे कार्यक्रम में जनजातियों से संवाद में आदिवासी समुदाय से चर्चा की। इस दौरान राष्ट्रपति ने मुक्तांगन के सरगुजा प्रखंड का भी उद्घाटन किया। कार्यक्रम में आदिवासी लोक कलाकारों नृत्य की अलग-अलग प्रस्तुतियां दीं। इस दौरान राष्ट्रपति ने आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा प्रकाशित तीन पुस्तकों क्रमश: ‘आदि नारीÓ आदिवासी महिलाओं की अस्मिता और गौरव गाथा, वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम के क्रियान्वयन हेतु मार्गदर्शिकाÓ एवं पोदडग़ुमा पेन करसाड का विमोचन किया।
राष्ट्रपति मुर्मू भारत के ओडिशा राज्य से आती हैं, जहां भगवान जगन्नाथ की पूजा की जाती है। ऐसे में अपनी यात्रा के दूसरे दिन यानि 26 अक्टूबर को उन्होंने सुबह-सुबह रायपुर के जगन्नाथ मंदिर का दर्शन किया। उसके बाद वे भिलाई रवाना हो गईं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आई.आई.टी. भिलाई पहुंची। आई.आई.टी. भिलाई के तृतीय एवं चतुर्थ दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं। राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी उपस्थित रहे। राष्ट्रपति के मुख्य आतिथ्य में दीक्षांत समारोह हुआ। राष्ट्रपति के हाथों सात छात्र गोल्ड मेडल से सम्मानित हुए। दीक्षांत समारोह में 2023 और 2024 में स्नातक करने वाले 396 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई। 2023 बैच के स्नातक छात्रों में 13 पीएचडी, 11 एमएससी, 27 एमटेक, 13 बीटेक (ऑनर्स) और 123 बीटेक स्नातक शामिल थे । 2024 के स्नातक बैच में 8 पीएचडी, 20 एमएससी, 19 एमटेक, 12 बीटेक (ऑनर्स) और 150 बीटेक छात्र शामिल थे। उसके बाद वे रायपुर स्थित राजभवन वापस लौट आई हैं। दोपहर 3.30 बजे पं. दीनदयाल उपाध्याय स्मृति चिकित्सा एवं आयुष विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया इसके बाद वे नई दिल्ली वापस लौट गईं।
तो एक प्रकार से देखा जाए तो यह राष्ट्रपति का शैक्षणिक दौरा था। उनके आने से छत्तीसगढ़ भारत को यह बताने में कामयाब हुआ कि उसके पास अच्छी शैक्षणिक संस्थाएं मौजूद हैं। चाहे अच्छी मेडिकल की सुविधा हो, अच्छी तकनीक की बात को या फिर अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर की या फिर कला संस्कृति की, हर क्षेत्र में छत्तीसगढ़ ने अपने 24 साल के संघर्ष में सफलता के नए-नए आयाम गढ़े हैं।
निश्चित रूप से राष्ट्रपति के इस दो दिवसीय दौरे से छत्तीसगढ़ को पूरे भारत में एक नई पहचान मिली है। राष्ट्रपति जिन-जिन रास्तों से होकर गुजरी उन्हें बेहद कलात्मक पूर्ण ढंग से सजाया गया। यह माता कौशल्या की धरती है। यह माता शबरी की धरती है। ऐसे सुंदर स्लोगंस लिखे गए, महामहिम मुर्मू जिस भी रास्ते से गुजरी उनके स्वागत के लिए लोग कतारबद्ध होकर खड़े नजर आए। छत्तीसगढ़ शासन ने राष्ट्रपति के सम्मान में कोई भी कोर कसर नहीं बाकी रखी। तमाम तरह की सजावट की गई, उनके आवभगत का विशेष ध्यान रखा गया। इससे एक संदेश यह भी गया कि छत्तीसगढ़ चाहे शिक्षा का हो या फिर मेडिकल का अथवा तकनीक का इन सभी चीजों का हब बनने को तैयार है।
रायपुर से भिलाई तक और अब इसमें राजनांदगांव को भी जोड़ दिया जाएगा। छत्तीसगढ़ से जाते समय महामहिम राष्ट्रपति अपनी स्मृतियों में छत्तीसगढ़ की एक नई छवि लेकर दिल्ली गई हैं। हम उम्मीद करते हैं कि महामहिम राष्ट्रपति का यह दो दिवसीय दौरा छत्तीसगढ़ की प्रतिष्ठा में नि: संदेह चार चांद लगाएगा।

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