अंबिकापुर। टेमरी जंगल भी गुरुघासीदास टाइगर रिजर्व की सीमा से लगा हुआ है। बाघ नजर आने से टाइगर रिजर्व प्रबंधन भी उत्साहित है। चार दिनों से बाघ उसी क्षेत्र में विचरण कर रहा है। सूरजपुर जिले से लगे पटना क्षेत्र के टेमरी से लगे जंगल में बाघ द्वारा मवेशियों का शिकार करने की सूचना वन विभाग को दी गई थी। इस क्षेत्र में इसके पहले कभी भी बाघ की चहलकदमी नहीं थी,इसलिए ग्रामीणों के दावे पर विभाग को भरोसा भी नहीं था लेकिन जंगल के नजदीक जलाशय और जंगल के गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व क्षेत्र से लगे होने के कारण संभावनाओं के आधार पर टेमरी के जंगल में ट्रैप कैमरे लगाए गए थे।
जिस दिन ट्रैप कैमरे लगाए गए उस दिन तथा रात में कोई भी वन्य प्राणी कैमरे में कैद नहीं हुआ। अगले दिन सुबह लगभग आठ बजे बाघ उस स्थल पर पहुंचा जहां उसने भैंस का शिकार किया था। भैंस के शेष बचे मांस का उसने आराम से सेवन किया। इसी क्षेत्र में उसने एक गाय का भी शिकार किया था। उसके मांस का भी सेवन किया था। आसपास के गांवों के लोग इसी जंगल में मवेशियों को रखकर चारा की भी व्यवस्था करते थे।उन्हीं में से दो मवेशियों का उसने शिकार किया था। बाघ के आ जाने के बाद सभी मवेशियों को पशुपालकों ने वापस गांव ले आया है। प्रभावित क्षेत्र में लोग भयभीत है। ग्रामीणों को जंगल नहीं जाने की भी सलाह दी जा रही है।
एक महीने से बाघ देखे जाने का दावा कर रहे थे ग्रामीण
सूरजपुर जिले के ओडग़ी तथा कुदरगढ़ वन परिक्षेत्र में पिछले एक महीने से ग्रामीण यह दावा कर रहे थे कि क्षेत्र में बाघ की चहल कदमी है लेकिन विभाग को इस पर विश्वास नहीं हो रहा था।ओडग़ी के धरसेड़ी, सांवारांवा के आसपास वन्य प्राणी के पद चिन्ह भी मिले थे लेकिन इसकी बारीकी से जांच नहीं हुई थी। भैयाथान विकासखंड के बड़सरा निवासी मनोज यादव सहित कई अन्य ग्रामीणों द्वारा जंगल में मवेशियों को रखा गया था ताकि चारा की व्यवस्था हो सके। उस दौरान मनोज यादव के दो मवेशियों का भी शिकार किया गया था इसके बाद भी बाघ के होने की पुष्टि नहीं हो रही थी। आखिरकार टेमरी के समीप वन विभाग की ओर से ट्रैप कैमरे लगाए गए तो बाघ की स्पष्ट तस्वीर कैमरे में कैद हुई है।
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इसी क्षेत्र में बाघिन ने ग्रामीणों पर किया था हमला
दो वर्ष पूर्व ओडग़ी क्षेत्र में ही एक बाघिन ने ग्रामीणों पर हमला किया था। आत्मरक्षार्थ टांगी के प्रहार से बाघिन भी जख्मी हुई थी। घायल बाघिन का सुरक्षित तरीके से रेस्क्यू किया गया था। बाद में इसे रायपुर ले जाया गया था। वन्य जीव चिकित्सकों की देखरेख में उपचार के बाद बाघिन स्वस्थ हुई थी। इस बाघिन को बिलासपुर के अचानकमार टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया है। ओडग़ी का यह इलाका गुरुघासीदास टाइगर रिजर्व से लगा हुआ है।
टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद पहली बार नजर आया बाघ
छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान तथा तमोर पिंगला अभयारण्य क्षेत्र को मिलाकर नया टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है। गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान , अविभाजित मध्य प्रदेश के जमाने में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान का ही हिस्सा था। राज्य विभाजन के बाद इसे अलग किया गया। इस क्षेत्र में बाघों की उपस्थिति के प्रमाण पहले ही मिल चुके हैं। तमोर पिंगला अभयारण्य क्षेत्र को मिलाकर टाइगर रिजर्व का दायरा बढ़ाया गया है। टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद पहली बार बाघ नजर आया है। इसी क्षेत्र से होकर बाघ के सूरजपुर और कोरिया जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में पहुंचने की संभावना है। ट्रैप कैमरे में कैद बाघ काफी बड़ा और तंदुरुस्त है। बाघ नजर आने से टाइगर रिजर्व प्रबंधन में भी उत्साह है।