Throat disease remedy : गले के रोग का उपाय
Throat disease remedy : गले में कई तरह के रोग हो सकते हैं, जैसे- घेंघा (गले की सूजन), टान्सिलाइटिस (गले की गांठे), तुतलाना, स्वरभंग (आवाज का बैठ जाना) आदि।
भोजन और परहेज
गले के रोगों में हल्का तथा पौष्टिक (ताकत देने वाला) भोजन करना चाहिए।
विभिन्न औषधियों से उपचार
हरड़
ईख के रस में हरड़ का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से गलगंड (गले की गांठे) रोग ठीक हो जाता है।
हरड़ के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से गले के सारे रोगों में आराम आता है।
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हल्दी
हल्दी, मालकांगनी, देवदारू, पाढ़, रसौत, जवाक्षार और पीपल को बराबर मात्रा में लेकर शहद के साथ मिलाकर उसकी गोलियां बना लें। एक गोली मुंह में रखकर चूसने से गले के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
कड़वी तोरई
कड़वी तोरई को तम्बाकू की तरह चिलम में भरकर उसका धुंआ गले में लेने से गले की सूजन दूर होती है।
दारूहल्दी
दारूहल्दी, नीम की छाल, रसौत और इन्द्र-जौ का काढ़ा बनाकर पीने से गले के रोग समाप्त हो जाते हैं।
गुड़हल
आलूबुखारा के पानी में गुड़हल का शर्बत बनाकर पीने से गले के कई रोग समाप्त हो जाते हैं।
कायफल
कायफल को पान में रखकर चबाने से गले का भारीपन दूर हो जाता है।
इमली
इमली को पानी में भिगोकर उस पानी से कुल्ला करने से गले का दर्द दूर हो जाता है।
आम
आम के सूखे पत्तों को चिलम में भरकर पीने से गले के रोग दूर हो जाते हैं।
शहतूत
शहतूत का फल चूसने से या शहतूत का शर्बत बनाकर पीने से कण्ठ-दाह (गले में जलन) दूर होती है।
शहतूत के पत्ते, जड़ और डाल को पानी में उबालकर उस पानी से गरारे करने से गले की सूजन दूर होती है।
सिरका
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Throat disease remedy : कटहल के पेड़ के रस को और सिरके को बराबर मात्रा में मिलाकर लगाने से गलगंड की गांठे बैठ जाती हैं या फिर पक जाती हैं।
सिरके को गर्म पानी में मिलाकर गरारे करने से गले के अंदर के छाले दूर हो जाते हैं।