:दिलीप गुप्ता:
सरायपाली :- महासमुन्द सांसद रूपकुमारी चौधरी ने काफी जद्दोजहद के बाद आश्चर्यजनक रूप से सोच व दावे के ठीक उलट नगरपालिका सरायपाली में अपना सांसद प्रतिनिधी कैलाश अग्रवाल को नियुक्त कर सभी संभावनाओं में विराम लगा दिया है। कैलाश अग्रवाल की इस नियुक्ति को कथित रूप से प्रमुख दावेदार के हार के रूप में देखा जा रहा है ।
नगरपालिका में संबंधित दावेदार की सांसद प्रतिनिधि के रूप में बहुत प्रयासों के बावजूद मनोनयन नही होने व उसके विपरीत उसके विरोधी को सांसद प्रतिनिधि बना दिये जाने से कथित दावेदार को भारी झटका लगा है । चिंता उसे अब इस बात की हो गई है कि नगरपालिका के बैठको व कार्यो में हस्तक्षेप किये जाने का अवसर नही मिल पायेगा । पार्टी के ही कुछ लोगों ने बताया कि यह अत्यधिक घमंड किये जाने के प्रतिफल के रूप में देखा जा रहा है । इससे भी भारी शोचनीय यह है कि सांसद प्रतिनिधि बनने के दौड़ में अपने आपको सबसे आगे समझने वाले इस व्यक्ति से उनकी पसंद का नाम तक भी नही पूछा गया , न ही सलाह ली गई और न ही पड़ दिया गया । दूध में मक्खी की तरह निकाल फेंका गया । इसे स्थानीय भाजपा की राजनीति भारी उलट फेर के रूप में देखा जा रहा है ।
भाजपा के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष रह चुके चंद्रकुमार पटेल सांसद प्रतिनिधि बनने काफी प्रयासरत थे । वर्तमान में उनकी पत्नी सरस्वती पटेल नगरपालिका अध्यक्ष है । वर्तमान में चंद्रकुमार पटेल के पास कोई जनप्रतिनिधि पद नही है किंतु इसके बावजूद पूर्व अध्यक्ष होने व वर्तमान पति के अध्यक्ष होने के साथ सत्ताधारी पार्टी के सदस्य होने के नाते उनके द्वारा नगरपालिका के निर्माण व विकास कार्यो में सुझाव व हस्तक्षेप करते रहे हैं । जिसके खिलाफ कांग्रेस व नगरवासियो ने आवाज भी उठाते हुवे विरोध दर्ज कराया जाता रहा है ।
नगरपालिका परिषद की बैठक के सीसीटीवी फुटेज की भी आने वाले समय मे मांग की जाएगी कि कही वे अनाधिकृत रूप से अध्यक्ष के स्थान पर स्वयं तो संचालन या हस्तक्षेप तो नही कर रहे हैं । यदि ऐसा पाया गया तो सबूतों के साथ शिकायत की जायेगी । अध्यक्ष पति के पास अपनी पत्नी को कार्य में सहयोग व बैठक में शामिल होने के लिए कोई एक अधिकार पत्र की आवश्यकता थी और अंतिम उपाय सांसद प्रतिनिधि का पद ही बचा था जिसके जरिये वे कुछ कंट्रोल कर सकते थे पर अंतिम आशा की एक किरण भी हांथ से निकल गई । वही ऊपर से अपने धुर राजनैतिक व वैचारिक विरोधी रहे कैलाश को प्रतिनिधि बना दिए जाने से उन्हें डबल झटका लग गया है जो उनके लिए चिंता का विषय बन गया है ।
इसके साथ ही चंद्रकुमार पटेल के खिलाफ नगर के शासकीय महाविद्यालय में जन भागीदारी समिति का अध्यक्ष पद भी अब खतरे में नजर आ रहा है। वैसे कुछ भाजपाइयों व विरोधीयों का कहना है कि उनकी इस पद पर नियुक्ति ही गलत हुई थी किंतु पार्टी के अनुशासन के चलते चुप रहना मजबूरी थी । नियमतः जो निर्वाचित जनप्रतिनिधि होता है उसे ही अध्यक्ष बनाये जाने का नियम है । वर्तमान में चंद्रकुमार किसी भी निर्वाचित पद पर नही हैं ऐसे में उनकी अध्यक्ष पद की कुर्सी भी जा सकती है ।
इस संबंध कांग्रेस जनों का कहना है कि वे आगामी सोमवार को शासकीय महाविद्यालय प्रतिनिधि मंडल जाकर चंद्रकुमार पटेल को जनभागीदारी समिति को किस आधार पर अध्यक्ष बनाये जाने व वर्तमान में किसी भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि नही होने के बावजूद अध्यक्ष पद से क्यों नही हटाया जा रहा है से संबंधित चर्चा की जायेगी । अध्यक्ष पद से नही हत्येवजाने की स्थिति में आंदोलन काईये जाने की भी जानकारी दी गई है ।
इस संबंध में नाम न छापने की शर्त पर कुछ भाजपा जनों ने बताया की लगातार नगरपालिका में पति पत्नी के अध्यक्ष निर्वाचित होने से घमंड काफी बढ़ गया था । अपने सामने किसी को कुछ समझा ही नही जाता था। पैसों व चापलूसी के बल पर संगठन के पदों पर भी कब्जा किया गया । भाजपा की नीति रही है की “एक व्यक्ति एक पद ” पर रहेगा किंतु ठीक इसके विपरीत शासकीय कालेज में जनभागीदारी समिति में अध्यक्ष , भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा का जिलाध्यक्ष , पार्षद , नपाध्यक्ष जैसे पदों को दूसरों का हक मारकर हथिया लिए जाने से भाजपा कार्यकर्ताओं में भी भारी विरोध व आक्रोश था । नगर में एक सेवा समिति है जिसके संचालक नगर में वर्षो से निशुल्क नगरवासियो को पानी , टंकी सहित अनेक चीजे वे निशुल्क वितरण कर रहे है । विगत नपाध्यक्ष के प्रमुख व तगड़े दावेदारी के रूप में सामने आये पर अपना वर्चस्व समाप्त न हो यह सोचकर उन्होंने काफी तिगड़म बाजी कर अपनी पत्नी को टिकट दिलवाने में सफ़ल रहे । कई भाजपाई भी इन्हें टिकिट दिए जाने के पक्ष में नही थे । हर जगह अपनी दावेदारी दिखाने के कारण अनेक भाजपाई भीतर ही भीतर आक्रोशित हो गए । कहा जाता है अध्यक्ष चुनाव में इसे हराने के लिए भी काफी प्रयास किया गया पर अंततः कांग्रेस द्वारा कमजोर प्रत्याशी उत्तर दिए जाने के कारण अध्यक्ष पद पर उनकी पत्नी विजयी हुई । उसे उसे मालूम था कि उनके टिकिट मांगे जाने का सभी विरोध कर रहे हैं व चुनाव में भी उन्हें हराने के प्रयास किया गया था किंतु इज़के बावजूद चुनाव मे विपरीत परिस्थितियों के बावजूद चुनाव में विजयी होने से इसका घमंड। सातवें आसमान पर पहुंच गया व अपने आपको अजय समझने लग गया । इसके साथ ही कईं मामलो में कार्यकर्ताओं की नाराजगी सामने आई थी । भाजपा से जुड़े ठेकेदारों से भी कमीशन में कोई रियायत नही करने से भी ठेकेदार वर्ग के भाजपाई नाराज चल रहे थे व इसके विरोधी हो गए थे । पूर्व पार्षद व वर्तमान में पार्षद प्रतिनिधि ने बताया कि अकड़ व घमंड इतना कि सही हो या गलत उसने जो कह दिया वह पत्थर की लकीर कहलाती थी ।
सांसद प्रतिनिधि बनने का ख्वाब पाले चंद्रकुमार पटेल की आने वाले समय मे मुश्किल और बढ़ने की संभावना से इनकार नही किया जा सकता ।